पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७६२

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७५६ योनिलिङ्ग-योषिन्मय . को टुकड़े टुकड़े करके तिलतैलमें पाक करे। मांस | योनिसङ्कोचन (सं० पु० ) १ योनिको फैलाने और सिको. जव अच्छी तरह सिद्ध हो जाय तव उसे नीचे उतार ले। इनकी क्रिया। २ योनिके मुखको सिकोड़ने वा तंग पोछे उस तेल में कपड़े भिगो कर योनिमें धारण करने करनेको औषध। यह क्रिया अथवा इसका प्रयोग प्रायः संभोग सुखके लिये किया जाता है। से कन्दरोग नष्ट होता है। फलघृत, फलकल्याणघृत और कुमारकल्पद्र मघृत आदि इस रोगमें बहुत उप. योनिसम्बत्ति (सं० स्त्री०) योनिका एक रोग जिसमें उस. कारी है। का मार्ग सिकुड़ जाता है। - इस रोगका पथ्यापथ्य-दिनमें पुराना चावल, मूग, योनिसम्भव (सं० पु० ) योन्याः सम्भवति योनि सम् भू. मसूर और चनेकी दाल, कञ्चाकेला, करेला, डूमर, परवल अप। वह जो योनिसे उत्पन्न हुआ हो, योनिज । और पुरानी कोहड़े की तरकारी तथा सह्य देने पर वकरे ' यान्यर्शस (सं० क्लो०) योनिजातमर्शः। योनिका एक -मांस तथा छोटी मछलीका थोड़ा जुस भी दे सकते हैं। रोग जिसमें उसके अन्दर गांठ-सी हो जाती है। रातको भूखके अनुसार रोटी आदि खानेको देना आव-' योनिरोग और कन्द देखो। श्यक है। तीन या चार दिनके अन्तर पर स्नान कराना योपन (सं० क्ली० ) १ चिहलोपकरण, चिह्न मिटाना। २ हितकर है। ज्वरादि उपसर्ग रहनेसे स्नान न करे तथा पीड़न, पीड़ा। ३ उत्यक्तकरण, अत्याचारसे पकड़ना। हलका भोजन खानेको। योम ( म० पु० ) १ दिन, रोज । २ तिथि, तारीन । . गुरुपाक और कफजनक द्रव्य, मत्स्य, मिटद्रव्य, ० योमा-पूर्वसीमान्तव ती एक पर्वतमाला। यह कछाड़के लाल मिर्च, अधिक लवण, दुग्धसेवन, अग्निसन्ताप,। पर्वसे आराकानके बीच हो कर नेग्निसवन्दर तक प्रायः रौद्र सेवन, उंढ लंगाना, मद्यपान, ऊ'चे स्थान पर चढ़ना । ५० मील विस्तृत है लेकिन अक्षा० २२३७उ० तथा और वहांसे उतरना, मैथुन, ममूनादिका वेगधारण, देशा० ६३ ११ पू० नील पर्वतले विछिन्न हो करके सङ्गीत और उच्चशब्दाचारण इस रोगमें विशेष निषिद्ध दक्षिणको ओर ७०० मील आ कर पेगु तक चली गई है। है रज बंद हो जानेसे स्निग्ध किया आवश्यक है। '. यह समुद्रपीठसे चार हजारसे ले कर पांच हजार तक उड़द, तिल, दधि, कांजी, मछली और मांस भोजन इस अवस्था में बहुत उपकारी है। (सुश्रुत ) । ऊंची है। नेनिस अन्तरीपके निकटवत्ती पहाडकी चोटी । योनिलिङ्ग (स० क्ली०) रोगभेद । । । पर एक सुन्दर पागोदा ( मन्दिर ) है। योनिवेश ( स म भारतके अनसार एक देशका याराप ( स०पू०) यूराप दखा। प्राचीन नाम, जिसमें क्षतियोंका निवास था। . योरोपियन (अ० पु० ) यूरोपियन देखो। योनिशूल. (स० क्लो०) योनिरोगविशेष, योनिका एक । योपणा (स' स्त्रो०) असती स्त्री, वह स्त्री जो सती और रोग जिसमें बहुत पीड़ा होती है। पतिवता न हो। योनिशूलध्नी ( स० मो०) योनिशल हन्ति हन-क्किप योपन् ( स० स्त्री०) गतभर्तृका स्त्री, विधवा लो। स्त्रियां ङीष् । शतपुष्पा। ". योषा (स स्त्री०) यौति मिश्रो-भवति यु मिश्रणे वाहुल- योनिसंचरण (स० फ्ली० ) गर्भवती स्त्रियोंका एक | कात् स ( उप श६२) स्त्रियां टाप् । नारी, स्त्रो। प्रकारका रोग। इसमें योनिका मार्ग सिकुड़ जाता है, योषित् (स० स्त्री०) योपति पुमांस', युध्यते पुभिरिति गर्भाशयका द्वार रुक जाता है, गर्भाशयका द्वार रुक | वा युष इति ( हसरुहियुषिभ्य इति । उण् १९६ ) नारी, जाता और गर्भका मुंह बंद हो जानेसे सांस रुक कर स्त्री। वचा मर जाता है। इस रोगमें गर्भिणीके भी मर जानेकी योपिता (संस्त्री० ) योषित्-टाप् । स्त्री, औरत । आशंका रहती है। योनिसङ्कर (सं० पु० ) योन्या सङ्करः। वर्णसंकर, वह | हलदी। । योपित्प्रिया (स. स्त्रो०) योषितां प्रिया । हरिद्रा, जिसके पिता और माता दोनों भिन्न भिन्न जातियों- योषिन्मय (सं०नि०) योपित् स्वरूपे मयट । योषित्वरूप. स्त्रीखरूप।।..