पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/१८६

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११६ · वायुविज्ञान • अश्सिजन और कार्यानिक एसिड गेम है। शिराफे) ग्लोविन (oxxhnemoglobin ) नामसे प्रसिर है। रत्तम अफिमजन कार्यानिक एसिडका (द्वारलाङ्गारक यह अक्सिहिमोग्लोयिन 'रिशु' पदार्थ में प्रविष्ट होने पर याप) बाहुन अधिक है। कार्योन-अङ्गार । रामार काले ! इसका गपिमान पृथक हो जाता है। इस परस्पा रङ्गका है, यतपय शिराका रक्त भी काला है। ऐसा समझा जा नहीं सकता, कि अक्सिजन नित्य ही __यह दात निश्चय है कि समूची देवगै यह वायघीय रिशुस्थित कार्यो निकफे साथ मिल कर ' कार्यानित पदार्थ विचरण कर देहका ताप सरक्षण और पुष्टि- एमिटका उत्पादन करेगा और ऐमा सिद्धान्त भी ममो. माधन पर रहा है। देहका प्रत्येक गठन-उपादान हो चीन नदी, कि हाइड्रोजनके माथ मिल कर नित्य हो अफिमजन ले रहा है । कार्यानिकके साथ अक्सिजन मिल | यह जलमें परिणत होगा। मांसपेशियों कमो कभी कर देहमें दहनक्रिया सम्पादन कर रहा है। इससे कार्यो । अफिजन मरसित अवस्था विद्यमान रहता है। यह निक एसिड और तापको उत्पत्ति होती है। . प्रति दिन सञ्चित अक्सिजग टिशुमै विद्यमान रहने के कारण विशुद्ध हो दफे भीतर पे कार्य हो रहे है । दैहिक पदार्थ याय: । नाइट्रोजन गैसके सस्पर्शमानसे पेशियाँ कुश्चित हो राशिक अधिसजनको प्रहण करनेके लिये दुर्भिक्ष द्वारा जाती है और इस अवस्थामें भी कार्यानिक एसिट पोडित क्षु धातकी तरह या विरहिणी बजवालामोको | उत्पन्न होता है। एक मेढ़कको परिशुद नाइट्रोजन तरह हमेशा प्याकुल रहता है। फिर भी, | भरी यातलमें कई घण्टे तक रसनेसे भी उसकी जीयनो. देहप्राति कार्यानिक मिड सपा देहके क्षयप्राप्त किया जरा भी ध्याधाम उपस्थित नहीं देना और उस पदार्थों का बहिष्कार करनेके लिये प्रस्तुन | | समय भी उसकी पेशियोसे कार्योगिक पसिड उत्पन्न रहती है। देहफे क्ष दतम अवयव ( Tissue) रकको होता रहता है। लेहितकणासे अपिसजन संग्रह करते हैं। पालकी प्रश्वास-परित्यक्त यायु ।। सरह पारीक बारीक घानियों के प्राचीरफा भेद कर रक्त यह माज हो माझमें जाता,कि प्रश्याम यायमें के हिमोग्लोयिनके गफ्सिजन देहिक रसमें (Lymph ) | कार्यानिक बहुत अधिक रहता है। हम निभ्यासके और छोटे छोटे देशोगादान कोष में प्रविष्ट होते हैं। ऐसी जो यायुग्रहण करते हैं और प्रयासफे ममय जो यायु जगहों पर क्षयप्राप्त यान्त्रिक पदार्थों में सस्थित } छोड़ते है-इन होनों तरहयो यायुझे उपादान चिनि मपिमजन कार्यानफे साथ मिल कर तापोत्पादन करता) र्णायक दो सूचियां दी जाती है। है। अक्सिजन कार्योनपे. माय मिल जानेसे वो काशे. निवास कालोन पायुके उपादानोंका परिमाण-- निक एसिड गेसको उत्पत्ति होती है। टिशु या अक्सिजन ..०.८४ (सकता ) देदिक उपादामविशेषस्थित कार्यानिक पसि रम नाइट्रोजन ( Lymph )के बीचसे हो कर कैशिकाके प्राचौरको कार्यो न दाइ अपसाइड ०.०४ . . भेद कर उसके रक्त में पहुंच जाता है। समप्र दैहिक जलीय यापका परिमाण यदा नहीं दिया जाता। उपादान, अफिमजन और कावोनिक पमिडका यद जो प्रयासाटीन यायनका गरिमाण-- आदान-प्रदान होता है-यही गभ्यन्तरीण श्यामकिया सपिमजन ( Internal respiratien या Tissue reipiration ) नाइट्रोजन ७६,०२ नाम विश्वात है। इसकी प्रक्रिया के मक्षित मर्म! कायोगापमा ३६५५ इस मरद है,-युम्धिा भक्सिजन फुस्फुसफ गायु इम सूनी पर मालूम होता कि कार्योगिक कॉपी प्रविष्ट हार स्मफे प्रायोको पार कर मिका पारमा प्रयामयायुमें जितमा पित। शरिक रक्त दिमोग्लोविन पदार्थ. सारा मामायाकार- सम्भवतः यायो नाइट्रोजन परिमाणको पास का मौसम में मिल जाता है। यह मिला हुमा पदार्थ समिदिमो सं सृद्धि हो सकती है। इसके माध जातिय पदार्थका