पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/३९६

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विजात-विजार .. ममिलेट कोर्ट, सव-मजिस्ट्रेट अदालत, मुशिफी अदा-1 युक्त न हो तथा पापयुक्त चंदक साथ रयिका योग रहे, लत, पोष्ट एएड टेलिग्राफ माफिस और फ्लागष्टार्फ, वही बालक विजान होता है। द्वादशो, द्वितीया और . गिरजा, यारूद मौर अखागार तथा छायनी मौजूद हैं। सप्तमी तिथिमें रवि, शनि गौर,मगलबारमें तथा भग्न. . यहांने पांच मील उत्तर समुद्रके किनारे वाल्टेयार नामक | पाद नक्षत, अर्थात् कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु,-उत्तर- स्थानमें अङ्करेजों की छायनो गी। इस समय वहां जिले. फलानी, चित्रा, विशास्त्रा. उत्तराषाढा, धनिष्ठा और पूर्व. के हाकिम हो रहते हैं। यहां डिविजनल पालिकादपद नक्षत्र में जन्म होनेसे जातपालक जारज होता पास. इन्जीनियर्स आफिम और इएकोए रेलवे की है। तिथि, वार गौर नक्षत्र एक साथ मिलनेसे उक्त, हे माफिस है। -योग हुआ करता है। ....... . ..... ___ यहां चार प्रसिद्ध देवमन्दिर है। पागोद्रा ट्रीटमें. (पु०) २ सनो छन्दका एक भेद । . इसके प्रत्येक फोदण्डरामस्वामीका मन्दिर है । इसमें भगशेन् राम ! • चरणमें ५-५-४ के विश्रामसे-१४ मात्राए' और अन्त में लक्ष्मण और माता सीताको मूर्ति विद्यमान है। प्रधान मगण या यगण होता है। इसकी पहली और मात्र) सड़कफी वगलमें श्रीजगन्नाथस्वामीका मन्दिर है। गरुड़ / मानाप लघु रहती है। इसके अन्तर्मे जगण, तगण या पदानाभ नामक यहाँक किसी यणिक ने पुरषोत्तमक्षेत्रके | रगण नहीं होना चाहिए। .... : ... .... जगन्नाथदेयके मन्दिरको तरह इम मन्दिरको तैयार | विज्ञाता (सं० स्त्री०) १ जारज लड़की, दोगली । यह स्त्री -कराया था। ईश्वरम्वामी के मन्दिर में शिवमूत्ति प्रति | जिस हाल में संतान हुई हो, . जयान - ।... विजाति (सं० .त्रि०) मिन्न या दूसरी जातिका उलफिननोज पहाडफे ऊपर कुछ एक्के मकानोंका विजातीय (स० वि०) भिन्नां जानिमहनि विजछि , निह है। पहले यहां एक छोटा किला था। इस समय जो दूसरी जातिका हो, एक अथवा अपनी जानिसे भिन्न उसके बदले यहाँ ५० वि० नरसिंहरावका पलागष्टाफ ज निका। ::...... ..... खड़ा है। पहाडको उपत्यकामे राजा जी, एन, गमपनि-विज्ञानक (स.त्रि०.)शात । (भारत १३ पर्व) . रायका पुष्पोद्यान है। विजानि (स.नि.) अपरिचित । ( अथर्ना ५:१५१८) ____ यहांसे ४ मील दूर पर सिहाचलके पूर्व-दक्षिण विज नु ( स० पु०.) तलवार चलाने के ३२ हार्थोमसे एक गात्र में एक झरना है । यह पुण्यधारा एक तो कमें हाथ या प्रकार। . . ..: . परिगणित है। यहां भी श्रृं:माधयस्वामीमा एक मन्दिर | विजानुष ( स० लि०) जनयिता । (मृक १०१७७१ सायण) , है। देयता नामसे यह धारा माधयधाराक नामसे विजापक (स.प्ली०) नामभेद । (पा ४१२११३३) . प्रसिद्ध है। यहां नित्य ही वसन्तका भावास है। धारा.. . . . नापका देखो। . के निकट हो एक गुहा दिवाई देती है। जनसाधारण विजापयित ( स० वि०.) विजयकी घोषणा करनेवाला । का विश्वास है, कि इस गुहा माधवस्यामो माज भी ___.. .(कथासरित्सा• १३५); विधमान है। .. : . . . विजामन् (स० वि०.). विविधजन्मा, जिसका नाना किम्यदन्ती है, कि १४वीं सदी में फुलोनङ्गनोलने इस | प्रकार से जन्म हुआ हो! . . .: .., नगरको स्थापना की । कलिङ्ग बिजयके साथ यह नगरविजामातृ ( स० पु० )- गुणहीन जामाता, यह जमाई जो । मुमलमानों हाथ गाया। जिले का इतिहास देखो। | ध्रुत-शोलयान न हो। (ऋक् १११०६२) ........ विजात (स. त्रि०) विरुद्ध जाति जन्म यम्य । १ . विजामि (सं० १०) विविधज्ञाति, सानिविशेष! : घेजगा, जारज, घामकर, दोगटा। ज्योतिष में लिखा . . . ... ... ... (ऋक : १.६६१२) .. है, कितिम बालकके जन्मकाल में लग्न और चहा | विजार (दि. पु०)एक प्रकारको मटिगा भूमि । इसमें . प्रति इस्पतिक दृष्टि न रहे अथवा रबिके साथ घट | धान और कभी कभी चना भी बोया जाता है। : .