पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४०४

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३३४ विज्ञान .. मर्थात् इस प्रपञ्चका प्रत्येक पदार्थ ही शक्तिका अभि- ganic and organic phenorneua'इन दो भागोंने व्यक्ति मात्र है। फलतः यह विश्वप्रपञ्च सर्वकारण धो- विभक्त किया है। गोतामें भी अपरा और पराके मेदसे , भगवान् की अभिव्यक्तिमयी लीला तरङ्गमान है। गोता. दो प्रकारको प्रतिका उल्लेख किया गया है। कप का जोश उद्धत हुभा, यह यथार्थमें ही विज्ञानका सार | प्रकृति भूमि आप अनल मिल मादि तथा परामहति । सत्य है। हार्घट स्पेनसर कहते हैं- जीवभूना प्रकृति है। . . ' "The final out-come of that speculation com. कोमतेने विज्ञानको प्रधानतः ५ भागोंमें विभक्त किया : menced by the primitive man is that the pow.| er manilested through out the universe, distin. १ । ज्योतिर्विज्ञान (Astronomy) - .. guished as material, is the same Porer which २। पदाथविज्ञान ( Physics ) . in ourselves swells up under the form of cons. ३. रसायनविज्ञ न (Chemistry) . ciousness. ४। शरोविज्ञान ( Physiology) - - श्रीकृष्णने और भी कहा है- ५। समाजविज्ञान (Sociologs) "मन परतरं नान्यत् किशिस्ति धनन्जय। कोमतेके मतसे माधुनिक अन्यान्य.बहुविध विज्ञान मयि सर्य मिद प्रोत सूत्र मणिगणात " इन्ही के भन्लभुक्त है। किन्तु कोमतेने गणितदिशानको स्पेन्सरने कहा है- हो विज्ञानजगत्फे सर्वप्रथम सम्मानाई बताया है। "Ever in presence of an Infinite and Eternal/ . . घेकन, कोभते, हरवर्ट, स्पेन्सर और पेहन मादि Energy from which all things proceed, 1- पण्डितोंने विधानशास्त्र घेणो विभागकं सम्बन्धमें चएडामें लिया है- गहरी आलोचना की है। १८१५०को प्रकाशित Ency- "सेच विश्व इसयते ।" clopedia sietroplitana नामक किसी अन्धमे दिखान- यही शक्ति विज्ञानको सार और मूल सत्य है । स्पेन फे चार मौलि विभाग दिलाये गये थे- सर आदि पण्डितांफ बचके साथ हम लोगोंको गालाय. प्रथम विभागमें व्याकरण-विज्ञान, तर्फयिज्ञान, गल. शक्तिका बहुत प्रभेद है। यूरोपोय इस श्रणाके वैज्ञानिक कारयिष्ठान, गणितविज्ञान, मनोविज्ञान ( Metaphy. पण्डित जो जगत्शक्तिको वात कहते हैं, यह केवल अचित् sics), व्यवस्था विज्ञान ( Law), नीतिविधान भीर प्रकृति- Cosmophysical) तथा वित् प्राकृति- Cosmo. धर्मविज्ञान है। यहां पर हम लोगोंको अमरकोपको psychical ) शक्ति ( Energy) मात्र है। हम लोगोंका | लिखित "विज्ञान शिल्पशास्त्रशो" क्या याद मा माती यिशान शानमय पुरुषको शानमयो महाशक्तिको वाह्य मि| है। रोकाकारने लिखा है, "शास्त्र व्याकरणादि" मर्यात् यानको तरदलाला दिखा कर भनिभायक पर करने में व्याकरणादि शास्त्र मा विज्ञानराज्य मन्तगत है। • सदायक होता है। श्रीभगवद्वोताको उक्तियों को पर्यालोचन - द्वितीय विभाग-मेकानिकस, हारहोस्टेरियम, करनेसे पट जाना जाता है, कि इसमें एक मोर निसन्युमारियस, अप्पिस और ज्योतिर्यिशान ( Astro. nomy) है। . प्रकार Redistribution of Matter and lotion मादि . - तृतीय विभागों-मागनेरिजम्, इलेकद्रोसोटी, ताप, . पैशानिकतत्यफे मूल योजा सूत्र मौजूद है, उसी प्रकार मालोक, रसायन, शब्दविज्ञान या आकुष्टिकम् (Acous. दुमरी मोर भगत इहोपक सारतत्त्वौको इसमें tics ), मिरियालजो और उयुद्धेसी (Geodesy), विविध पूर्ण स्पुति मा विद्यमान है। हम लोगोंके मांस और 1.प्रकारका मिला और निरिस्सा-विहान गो स विभाग के वैशेषिक आदि दर्शनों में जो सूक्ष्म घेशानिकतस है, उसका अन्तर्गत है। ' मम हानिकतम लिंना जा चुका है। चतुर्थ यिभागमें इतिहास, जोयंनो, भूगोल, अमि. कोमते ( Comte) ने यिमानशाखको पहले Inor.) पान तथा अन्यान्य शतश्य विषय है। ......