पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/४०९

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विट्ठल दीक्षित-विठुर चित है। इस पर विठ्ठल लजित हो थैठे, नर्सको फिरसे आग्रयणपद्धतिके रचयिता। . • रङ्गरायको साथ ले चली। रङ्गरायसे मन्तदीक्षिता | विट्ठलभेट्ट-जयतीर्थक्त प्रमाणपद्धतिके टोकाकार । . राजकन्याको जब यह हाल मालूम हुआ, तय वे दौड़ी विट्टलमिश्र-१: ब्रह्मानन्दीयटोका और करणालङ्कृति आई और गुरुदेवको मुक्ति के लिये उन्होंने नर्सकोको पकड़ नामकी समरसारटोका रचयिता। लिया तथा यथासक्षम्य पण करके नर्सकोसे गुरुमुनिको विट्टलेश्वर-पएढरपुरके प्रसिद्ध विठोवा-देवता । कामना.को । किन्तु नर्तकीने राजकन्याका असीम विटपण्य ( सं० क्लो. ) विशां पण्यं । वैश्योंक घेचनेको सौजन्य देख कर कुछ भी प्रहण न किया और रङ्गरायको | यस्तु । "छोड दियाराजन्याने भी अपने सौजन्यको रक्षा विट्पति (सं० पु०) विपः कन्यायाः पतिः। . १ जामाता, लिये गोत्रस्य शालारादि उतार नर्सकोको दे दिये और दामाद । २ घेश्यपत्ति । . गुरुदेव के साथ घर लौटो'1 .. (विट्पालम-सुमिष्ट पालमशाफ-भेद। इसकी जड़ लाल विठ्ठल दीक्षित-१ सुप्रसिद्ध पलभाचार्य के पुत्र, एक वैष्णव- कन्दयुक्त होती है। यह फन्द बहुत मोठा होता है। इसकी भक्त और दार्शनिक । घाराणसीधाममें १५१६ ई० में तरकारी रोंघ कर खानेमें बड़ी अच्छा होती है। इसके इन्होंने जन्मप्रहण किया। परम पण्डित पिताके निकट | पत्ते या साग उतने अच्छे नहीं होते। इस विट्मूलसे ये नाना शास्त्रों में शिक्षित हुए थे। यल्लभाचार्यको | शर्करांश निकाल कर यूरोपीय विभिन्न देशवासी एक • मृत्यु होने पर इन्होंने भो आचार्यपद लाभ किया तरह दानेदार चोनो तैयार करते हैं। इस तरह जो चीनी तया वडे, उत्साहसे पिताका मत प्रचार करने | बनाई जाती है, उसे (Beet Sugar) या विटचीनी कहते लगे। इनके उपदेश पर दक्षिण और पश्चिम भारतके | हैं। आज कल भारतमें ईख या खजूरको चीनीके बदले बहूतेरे मनुष्य इनके शिष्य हो गये,थे जिनमें से २५२ शिष्य विटनीनोका हो वाणिज्य अधिक है। शर्करा देखो। भधान थे। इन २५२ शिष्यों का परिचय.'दो सौ बावन घिप्रिय (सं० पु० ) १ शिशुमार या सूस नाक जल. वार्ता' नामक हिन्दी प्रन्यौ पित है।. १५६५३०में - जन्तु । चिशा प्रियः 1 २ वैश्योंका प्रिय । विट्ठल गोकुल पा कर वस गपे। यही ७० वर्षको उनमें , विटशूद्र (सं० क्लो० ) वैश्य और शूद्र । . इन्होंने जोयन-लोला, संघरण को। इनको दोपत्नीक गर्भ विराल (सं० पु०) सुश्रुतके अनुसार एक प्रकारका शूल. से गिरिधर, गोविन्द, बालकृष्ण, गोकुलनाथ, रघुनाथ! राग। शुजराग दखा। यदुनाथ और घनश्याम ये सात पुत्र उत्पन्न दुप। विट्सङ्ग (सं० पु०) मलरोध, कब्जियत । • विठ्ठल दीक्षित यहुनसे संस्कृत प्रन्योंको रचना कर गये | विटसारिका (सं० स्त्री०) विप्रिया सारिका । एक है। उनमसे अवतारतारतम्यस्तोत्र, मार्या, कायनेतिविध प्रकारका पक्षो। । रण, कृष्णम मामृत, गोता, गीतगोविन्द,प्रथमाएपदोवितिः विटमारी (मं० स्त्री० ) विटसारिका, मारिकाभेद । गोकुलाहक, जन्माष्टमोनिर्णय, जलभेटीका ध्रवपदायिठर ( स० पु०) वाग्मी, वक्ता। नामचन्द्रिका, न्यामादेविवरण, प्रबोध, प्रेमामृतमाय, पिठुर (विठोर)-युक्तप्रदेशके कानपुर जिलेका एक नगर। . भक्तिहेतुनिर्णय, भगवत्स्वतन्त्रता, भगवद्गीतानात्पर्य, भग- यह अक्षा० २६३७३० तथा देशा० ८०.१६ पू० के मध्य यद्गोताहेतुनिर्णय, भागयततत्वदीपिका, भागवतदशमः कानपुर शहरसे १२ मील उत्तर-पश्चिम गङ्गाके दाहिने स्कंधविकृति, भुजङ्गप्रयाताटक, यमुनाएपदो, रससवख, , किनारे अवस्थित है। जनसंख्या ७ हजारसे ऊपर है। रामनयमानिर्णय, घलमाटक, विद्वन्मएडन, विकधैर्यो. इस शहरकं गड़ा तट पर अति सुन्दर घाट, देवमन्दिर थ्रयटोका, शिक्षापत्र, शृद्धाररममण्डल, पटपदी, संन्यास और बड़ी बड़ी भट्टालिकायें खड़ी हैं जिनसे यह स्थान निर्णयविवरण, 'समयप्रदीप, सर्वोत्तमस्तोत्र, सिद्धान्त- वड़ा ही मनोरम दिखाई देता है। नदी किनारे जो सव मक्तावली. स्वतन्त्रलेखन. स्वामिनीस्तोत्र आदि प्रम्य स्नान घाट हैं, उनमें ब्रह्मघार हो प्रधान और एक प्राचीन मिलते हैं। " तीय गिना जाता है। .....::.. .: