पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/५६८

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४९० विरजात-वास हुए । इधर गोपियों की बात चीत सुन श्रीहरि वहांसे, विरजानदो-दाक्षिणात्य महिसुर राज्यके अन्तर्गत महि. अन्तर्हित हुए । विरजाने श्रीकृष्णका अन्तर्धान और सुर जिले की एक कृत्रिम नदो। कायेरों नदोषं दाहिने सामने राधिका देख भयसे प्राणत्याग किया । किनारे बालमुरि बांध द्वारा यह प्रायः ४० गोल परि उस समय पिरजाको उस पवित देने सरिरूप धारण चालित हुई है। पलोहल्लो नगरमें जो सये चीनी और किया। राधा रिजाका सरिता देव घर लौट गई। लोइके कारम्बाने है ऐसा नहर की सोतशक्ति से चलाये इधर श्रीकृष्ण मा कर विग्जाको यह गति देन रोने लगे- जाते है। तुम्हारे विरहसे मैं कैसे जो सर्वंगा, तुम एक वार मिश्च ( स० पु०) ब्रह्मा। . . सजीव हो कर मेरे पास आओ । श्रीहरिके इस तरह | विरञ्चन (सं० पु०) ब्रह्मन् । . विलाप करने पर विरजा राधाको तरह सुन्दर मूर्ति विरश्चि (सं० पु. ) ब्रह्मा, सुष्टि रचनेवाला, विधाता। धारण कर श्रीकृष्णके पास जलसे निकल आई। विरञ्चिसुत (स० पु०) ब्रह्माके पुत्र, नारद । ' श्रीकृष्ण उसफा पा कर परम सन्तुष्ट हुए और नाना विरच्य ( स०पु०) विरिञ्चिका भोग, ब्रह्माका भोग। प्रकारसे उन्होंने उसका सम्भोग किया । मन्तमें विरजाको मायुधियं विभवमैन्द्रियमाविरिश्च्यात्। ' श्रीकृष्णसे गर्भ रह गया। उस गर्भसे विरजाने सात (भाग० जहा२४) पुत्र प्रसय किये। कुछ दिन वोतने के बाद एक दिन विरट ( स० पु० ) १ कन्ध, कंधा । २ गुरु, मगरक्ष । घिरमा सम्भोगको आशामें श्रीकृष्णके साथ बैठो घो। विरण ( को०) धोरण तृण, बोरन नामको घास। ऐसे समय विरजाका कनिष्ठ पुत्र अन्य भाइयोंसे ताड़ित चिरत (सं०नि०) विरम-त ।१ निवृत्त, क्षान्त, उपरत । हो जो कर माताको गोदमें बैठ गया । विरजाने पुन- २ विभ्रान्त, विमुत्र । ३ पैरागी, जिसने सांसारिक को परित्याग किया, किन्तु दयामयं श्रीकृष्ण उसे विषयोंसे अपना मन हटा लिया हो। ४ विशेषरूपसे गोदमे ले राधाफे घर चले गये । इघर सम्भोगकातरा 'रत, बहुत लोन । ' विरजा श्रीकृष्णको विरह-वेदनासे प्रताड़ित हो विलाप विरति ( सं० स्त्री०) वि.रम किन् । १ निवृत्ति । पर्याय-- करने लगो और उन्होंने पुत्र को शाप दिया, कि तुम लवण गारति, अमरति, उपराम, विराम। ( भारत ) २ उदा. समुद्र होयो । अन्यान्य पुत्र भी माताके कोपकी बात सुन सौनता, जीका उचटन। । ३ पैराग्य, सांसारिफ विषयोंसे - पृथ्वीमे मा कर सात द्वीपके सात समुद्र हुए। इन्हों। जोका हरना। समुद्राग्ने पृथ्यो शस्यशालिनी होती है। विरथ ( स० वि०) विगतो रथो यस्य । १ रथशून्य, ' (श्रीकृष्ण जन्मवपह) घिनो रथका । २ रथसे गिरा हुआ। ३ पैदल । .. ४ उडोसेका एक प्रधान तो। इस समय यह यान: Ricatoदो र नष्ट करके शव को । पुर और नाभिगया नामसे परिचित है । याजपुर देखे।। ___ एकायन पीठो विरजा भी एक प्रधान पीठ है। . रथहीन करना।.. प्रायश्चित्ततत्त्यधृत स्कन्दपुराणके मतसे सभी तीर्थी- विरथीभून (सं० त्रि०) विरथीकृत, जो रयशून्य किये गये हों। . . . . . . . में ही मुण्डन और उपयास करना होता है। किन्तु यहाँ श्रा कर पैसा नहीं करना होगा। .. पिरथ्य ( स०नि०) रथ्या या पधहीन ।' . । ५ ब्रह्माका एक मानसपुत्र । ६ लोकाक्षिके शिष्य। विरथ्या (सं० स्त्री०) १ विशिष्ट रध्या। '२ कुपध। (निपु० २४१२३) विरद ( २० पु०) १ बड़ा नाम, लंया चौड़ा यो सुन्दर . विरजाक्ष (सं० पु) मा एडेय पुराण के अनुसार नाम। २ सयाति, प्रसिद्धि। ३ यश, कीर्सि। (नि.) पवंत जो मेरुके उत्तर है। ' ४ दन्तहीन, विना दांतका। .. . विरजाक्षेत्र--एक प्राचीन तीर्थ। इसका घर्तमान, नाम | विरदायलो (हि. 'स्त्रो० ) यह को कथा, प्रशंसांके गीत । याजपुर है। " विरप्स ( स०नि०) १ बहुविध उपचारयादी "पवाह्यस्य