पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६०१

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'.. वितवणतां-विम्बिता विमिन्न लक्षणं यस्य 1३ साधारणसे भिन्न, असाधारण, विलज (स. त्रि.) वि-लज-मच् । निलज, लजा. अपूर्व । विशिष्ट लक्षणं यस्याः । ४ विशेष लक्षणयुक्त, | रहित, येहया।' . ' अनोखा, अनूठा।. . .. विलपन (स' क्लो०) यि-लप ल्युट । १ विलाप। २ विलक्षणता (सं० स्रो०) १ विशेषरय, अनोखीपनं। २] भालापन, पातचीत करना । विलक्षण हानेका भाव, अपूर्यता। .. विलम्ध (स. त्रि०) १ पाया हुमा, किया हुमा। २ विलक्षणत्य (सं० क्लो०) विशेषत्व । | अलग किया दुआ। विलक्षणा (सं० स्रो०) श्रादकम में दान।।।। विलम्धि (सं० स्रो०) विल्लभ-क्ति । छानिभेद । विलक्ष्य (सं०नि०) विलक्ष। विक्षन देखो। विलम्य (सं० पु.) विलम्ब धम्। १ गोण, देरी बिलखना (हिं० कि०) दुःखो होना। देर। २ लम्बन । ३ प्रभवादि साठ संवत्सरमिसे यिलमाना (हिं० कि० ) विलखानाका सकर्मकरूप, विकल | ३२वां घर्ष । (नि.) बहुत काल, देर ।' करना। विलम्वक (सपु.) १गजमेह । २ अजीर्ण रोगभेद । पिलग (हि. वि०) पृथक , अलंग। - (नि.) विलम्ब स्वाधे-कन् । विलम्ब, देर । बिलगाना (हि. कि०) मलग होना, पृथक होगा। '२ / विलम्बन (सं० क्लो०) विलम्ब ल्युट । १ देर करना, पृथक पृथक दिखाई पड़ना, विभक्त या मलंग दिखाई। विलम्ब करना । २ लटकना, टंगना । ३ सहारा पकड़ना । देना। विलम्पना (हिं० कि०) १ देर करना, बिलम्म करना। २ विलग्न (सं०नि०) वि लसज-अच् । १ संलग्न । (लो०)। लटकना । ३ सहारा लेना । ४ रम जाना, मन लगाने के २ मध्य, पीय । ३ जन्मलान । ४ मेषादि लग्नमात्र। कारण वस जाना। बिलग्राम-प्राचीन नगरभेद। ...  : . पिलम्वतोपर्ण (सलो०) सामभेद । विलवन (सं० लो०) दिल ल्युट् । लङ्घन, कूद या | विलम्विका (म स्त्रो०) विमुचिकारोगभेद । इस रोगमै लांघ कर पार करनेकी क्रिया । २ लङ्घन करना, यात न कफ गौर पाय द्वारा खाया हुआ पदार्थ अत्यन्त दूषित सुनना। ३ उपवास करना। किसी वस्तु के भोगसे हो कर भी परिपाक नहीं होता और न ऊपर पानीको अपने आपको रोक रखना, पचित रहना ओर हो चला जाता है अर्थात यमि या दस्त हो कर बिलवना (सं० स्त्री.) १खएडन, बाधा दूर करना । २ नहीं निकलता है। इस कारण पेट धीरे धीरे फूलने लडन, लांघना। लगता है और माखोर रोगोके प्राण चले जाते हैं। इसी- विलनीय (संत्रि.) १ पार करने योग्य, लाघने | लिपे आयुर्वेदाचार्य ने इस रोगको चिकित्साका असाध्य, लायक। २ परास्त करने योग्य, नीचा दिखाने लायक ।। या चिकित्सातोत .कहा है। यिलङ्गित (सं० वि०') १ जो परास्त दुधा हो, जिसने | विलम्बित ( स० वि०) विलम्यक्त। १ मशोध, जिसमें नोचा देखा हो। २ जो विफल हुमा हो।' बिलम्व या देर हुई हो। २ लटकता हुआ, झुलता हुभा. यिलहिन (स.नि.) उल्लनकारी, 'नियमलङ्घन (क्लिा३मन्दत्व, सुस्ती!. ४ मुस्न चलनेयाला जाना, करनेवाला। । यर । जैसे-हाथी, गैड़ा, भैस इत्यादि । सङ्गीतमें बिल- विलय ( स० वि०) विलंख-यंत् । मला, जिस. स्थित लयका प्रयोग है। ..... ... : 'का लडन न किया जाय । २ लडनयोग्य, पार करने | विलम्वितगति (स. स्रो०) छन्दाभेद। इसके प्रत्येक 'लायक । ३ परास्त होने योग्य, वशमें आने लायक । ४ | चरणमें १७ अक्षर रहते हैं। उनमेंसे १, ३,४,५,७, ६, करने योग्य, सहस । १०, ११, १२ और १६षां गुरु और क्षाको लघु होते हैं। विलयता ( स० वि०) विलस्य भोयः तल-टाप । विलम्बिता (स प्रो. विलम्ब पत त्रियां-टाप् । १. लखनको भयोग्यता 1.' . . . . . सुदोघ (सि.)। बिलम्वविशिष्ट, देरसे करनेवाला।