पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६०३

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- विलायती छछू दर-विलास ५२१. विलायती छछ्दर (हिं पु०) एक प्रकारका छछूदर । यह । विलायतो सेम (हि.सी.) एक प्रकारकी सेम । इसकी गलेएडके पश्चिमी मोरके प्रदेशों में बहुत पाया जाता फलियां साधारण सेमसे कुछ पड़ी होती हैं। है। यह पृथ्वी के नीचे सुरंगमें रहता है और प्रायः दृध विलायन (संलो०) १ गत, गड्ढा। २ प्राचीनकाल. पीता है । इसे अंधार अधिक प्रिय होता है। इसके अगले | का एक अस्त्र। कहते हैं, कि जब इस अत्रका उपयोग पैर चौड़े और पट्टेदार तरिछे होते हैं। इसको आंखें किया जाता था, तव शल की सेना विश्राम करने लगती छोटो, थुथना लंबा और नोकदार, वाल सधन और थी। कोमल होते हैं। इसकी श्रवणशक्ति बहुत तेज होती हैं। विलारी-१ युक्तप्रदेशके मुरादाबाद जिलान्तर्गत एक तह- विलायती नोल (हि पु०) एक विशेष प्रकारका नीला | सोल । म परिमाण ३३३ वर्गमोल है। 'रंगजो चीनसे आता है। २ उक जिलेका एक नगर गौर विलारो तहसीलका विलापती पटुआ (दि. पु. ) लाल पटुआ, लाल सन। विचार सदर। मुरादाबाद नगरसे यह कोस दक्षिण- विलायतो पात (हि. पु०) रामांस, कृष्ण फेनको । पूर्व पड़ता है। यहां अयोध्या रोहिलखण्ड-रेलवेका पिलायती प्याज (हि.पु.) एक प्रकारका प्याज.। इसमें एक स्टेशन है। इसलिये यह स्थान वाणिज्यके लिए गांठ नहीं होती सिर्फ गूदेदार जड़ होती है। बहुत सुविख्यात है। यहां एक दीयानी और दो विलायती बैंगन (हि. पु० ) एक प्रकारका अँगन या भंटा फौजदारी अदालते हैं। जो इस देशमें यूरोपसे आया है। यह क्षुप जातिकी | विलाल ( सं० पु०) वि-लल धन । १ यन्त्र । (शब्दच० ) वनस्पति है जो प्रति वर्ष योई जाती है। इसका क्षुप

२ विड़ाल, विल्लो।

दो दाई हाथ ऊचा होता है। इसको 'डालियाँ | | विलायली (दि स्त्री०) पक रागिनी जो हिडोल रागको भूमिकी मोर झुको अथवा भूमि पर पसरी रहती हैं। 1. स्त्री मानी जाती है। पत्ते आलूखे पत्तोंके से होते हैं। इंडियों के बीच बीचसे | विलापिन् ((सनि०) वि-लपधिनुण (पा शरा१४४) सीके निकलते हैं जिन पर गुच्छे में फूल आते हैं। विलासी, सुखभोंगी। पे फूल साधारण अंगनके फूलों के समान पर उनसे |विलास (संपु०) वि-लस घन्। १ प्रसन्न या प्रफु. छोटे होते हैं। इसका रंग पीला होता है । फल प्रायः 1.लित करनेवाली क्रिया। २ सुख-भोग, आनन्दमय दोसे चार इंच तकके गोलाकार और कुछ चिपटे नारंगी- कोड़ा, मनोरञ्जन। ३ आनन्द, हर्ष । ४ किसो चोजका के समान होते हैं। कच्चे रहने पर उनका रंग हरा और हिलना डोलना। ५ मारामतलबी, अतिशय सुखभोग। और पकने पर लाल चमकीला हो जाता है। इसको ६ सत्त्वगुणंजात पौयय ( पुरुषत्य ) भेद। विलासयुक्त तरकारी, चटनी आदि बनती है। स्वादमें यह कुछ पुरुषमें दुष्टिका गाम्भीर्य, गतिका विना (मनोहारित्य) खट्टापन लिपे होता है।' रासायनिक विश्लेषणसे पता तथा पचनका हास्यभाव दिखाई देता है। जैसे "मति लगता है, कि इसमें २३ सैकड़े लोहेका जश होता है। अतः यह रक्तवद्धक है। अगरेज लोग इसका अधिक उद्धत वेशर्म समरमें आये हुपे इसको (कुशको ] पिसे ध्यवहार करते हैं। इसे टुमेटो कहते हैं। ' हो मालूम होता है, कि उसमें मानो त्रिजगत्फे प्राणियोंका विलायती लहसुन (हिं० पु.) एक प्रकारका लहसुन । पल सम्मिलित है और यह त्रिजगत् को तुच्छ समझ रहा यह मसालेके काममें आता है। है। इसको गतिकी धोरता और उद्धतभाव देखनेसे विलायती.सिरिस (दि. पु०) एक प्रकारका सिरिस जो मालूम होता है, कि यह मानो धरित्नोको यिमित कर रहा विदेशसे यहां आया है पर अब यहां भी होने लगा है। है। फिर यह (कुश) देखने में तो चञ्चल सुकुमार है, यह नीलगिरि पर्वत पर बहुतायतसे होता है। पंजावमें ‘पर गिरिवर सदृश अचल और अटल मालूम होता है। यह मिलता है। इसको छाल प्रायः चमडा सिमानेके । गतएव यह स्वयं दर्प,ई या वीररस" यहां गतिके 'काममें माती है। | मोद्धत्य और वीरत्वको युगपत् प्रतीयमानता हो उसका Vol. XxI: 131