पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/६७४

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...... विविका--विवेक विविक्ता ( स० स्त्री० ) वि-विच क्त स्त्रियां - टाप। विवुधवन (सं० पु०) देवताओंका प्रमोद वन, नन्दनकानन । विवुधवैद्य (सं०.पु०) देवताओंके चिकित्सक, अश्विनी- : वियिक्ति ( स० स्त्रो०) वि-विच-किन् । १ विभाग । २ / कुमार। । : विच्छेद। ३ उपयुक्त सम्मान, पार्थक्यनिर्णय। . . विवुधेश (सं० पु०.) देवताओं का राजा, इन्द्र। , ' .. विधिकस् ( स० वि० ) वि.विच् कसुः। विधेकवान्, | विकृत् (सं० स्त्री० ) अन्न। .. ज्ञानो। विघृत (सं० वि० ) वि-क। १ विस्तृत, फैला हुआ। विविक्ष (स नि०.) शरणेच्छु, आश्रपेच्छु। (शाकुन्तान १माङक ) २ खुला हुआ। (पु० ) ३ ऊधम . (भाग०पु०.६।४।५०), स्वरों के उधारण करनेका प्रयत्न । स्पृट, पत्स्पृट, विवृत . ' विविचार ( स० वि०) १ विचाररहित, विवेकशून्य ।। और संवृत ये चार प्रयत्न हैं। . इनसे ऊष्मपर्ण और २ माघाररहित । .स्वरके प्रयोगकालमें, प्रक्रिपादशामें विवृत होता है।' विविचारी (स'० पु० ) १ अविवेकी, मूर्ख, येवकूफ । २ यिवृता (सं० स्त्री०) पैतिक क्षुद्ररोगभेद। इसमें मुंहमें ... दुश्चरिच, दुराचारो। .. | गूलरके फलके सदृश मंडलाकार फुसियां होती है विविधि ( स० वि०) पृथककृत, अलग किया हुआ। । तथा मुंह सूज आता है। पैतिक विसर्पको तरह इसको विवित्ति (स० स्रो०) विशेष लाभ । चिकित्सा करनी होती है। (भावप्र०) .. . वियित्सा (सं० स्त्री०) १ आत्मतत्त्य जाननेको इच्छा, विवृताक्ष (सं० पु०) विवृते अक्षिणो यस्य । १ कुपकर, मात्मविचार । ( भाग ११।७।१७ ) २ जाननेको इच्छा । मुर्गा। (नि.) २ विस्तृत अक्षिविशिष्ट, बड़ी बड़ी आँखों- . विचित्सु (स० वि०) १ जानने में इच्छुक । (भाग० ३३८३)/ चाला। .. (पु०)२ धृतराष्ट्र के एक पुत्रका नाम । (भारत १।११।७४) | विवृति (सं० स्त्रो०) वि.वृ-क्ति । व्याख्या, टोका। . .. विचिदिपा ( स० स्त्री० ) विधित्सा, जाननेकी इच्छ! 1. विवृतोक्ति (सं० सी०) एक मलङ्कार । इसमें श्लेपसे । विचिदिपु ( स० त्रि०) विदित्सु, जाननेका इच्छुक । . छिपाया हुआ गर्दा कवि स्वयं अपने शब्दों द्वारा प्रकट , विविध त् ( स० वि०.) १ विद्यु होन।. २ विधु दु कर देता है। . . विशिष्ट । विवृत्त (सं० वि०) वि-मृत्-त । चक्रवद् चलित, चक... विविध (सति०) १ बहुत प्रकारका, अनेक तरहका। | की तरह घुमा हुआ। . . (पु.) २ एकाइभेद । ( शाखायनश्रौतसू० १४।२८।१३) वित्ति (सं० स्त्री० ) वि यत् क्ति । १ चकरभ्रमण, चक्र. विविध्य ( स० पु०) दानवमेद । ( मारत) ... के समान, घूमनेकी क्रिया । २ घूर्णन, घूमना । ३ विविध विवीत ( स० पु० ) १ वह स्थान जो चारों ओरसे घिरा · पृत्तिलाम। . हो। २ प्रचुर तृणकाष्ठसे पूर्ण राजरक्षित भू-प्रदेश । घिवृद्धि (सं० सी०.) विशेषरूपसे वृद्धि। . . यह स्थान ऊर भैंस,आदि द्वारा विध्यस्त होने पर राजा | विगृह (सं० पु०) मापे माप खुल जागा । . .. उनके पालकोंको दण्ड देंगे। . : . । विहन (सं० पु० ) काश्यपके पुत्रभेद । ये ऋग्वेदके १०म विवीतभत (सं० पु०) विवीतभूमिका स्वामी। . मण्डलके १६३ संख्यक सूक्तद्रष्टा ऋपि हैं। विवित्ता (सं० स्रो०) विज-क, स्त्रियां टाप। दुर्भगा। विवेक (सं० पु०) धि- विधम् ।। १ परस्पर व्यावृत्ति विवुध (सं० पु० ) १ देवता । २ पण्डित, शानी। अर्थात् पाद विचार द्वारा यस्तुका स्वरूपनिश्चय । वस्तुतः । विवुधपुर (सं० पु० ) देवताओंका देश.. . .. . किसी प्रकारका कुतर्क न करके केवल परस्पर यथार्थ . विवुधप्रिया (सं० तर्क द्वारा प्रगत निर्णय करनेका नाम हो विवेक है। प्रत्येक चरणमें र, . • ' और पुरुषको विभिन्नताका शान। पर्याय-- , 'चंचली' और च विवेचन, पृथगमाय । ( मनु १२६ ) ३जला :