विश्वावसु-विश्वेयेदस्
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विश्वावसु (सं० पु०) विश्वं पसु यस्य, विश्वेषां घसु विश्वासह (स' त्रि०) सर्वाभिमवकारो, शलुओंका
यस्माद्वा। दीर्घः (पा ६।३।१२८ ) १ अमरावतीवासी दमन करनेवाला। विश्वासाहमवसे" (ऋक् ३१४७५)
• गन्धर्वभेद । २ विष्णु । (महाभारत ६६२२४५) ३ वत्सर- विश्वासाह (सपु०) विश्वासह देखो।
विशेष, एक संवत्सरफा नाम । इस समय कपास महगो विश्वासिक (सं० त्रि०) विश्वासके पात्र, जिसका
विकतो है। (स्त्री० ) ४ रात्रि, रात । ( मेदिनी) विश्वास किया जाय।
विश्वावसु कापालिक-भोजप्रयन्धोद्धत एक कवि। विश्वासिन् ( स० वि०) विश्वासोऽस्यास्तीति विश्वास
विश्वावास (सं० पु०) १ सयोंकी आवासभूमि, सभी इनि । १ प्रत्ययशील, जिसे विभ्यास करता हो । २ जिस-
लोगों का वासस्थान । २ विश्वाश्रय, सवों का माधय का विश्वास किया जाय ।
स्थान।
विश्वास्य (स० वि०) विश्वासके योग्य, जिस पर
विश्वास (सं० पु०) विश्वस-घम् । १ श्रद्धा.। २ प्रत्यय, विश्वास किया जा सके।
किसीके गुणों आदिका निश्चय होने पर उनके प्रति उत्पन्न विश्याहा ( स० अव्य० ) प्रतिदिन, रोज रोज । (ऋक
होनेवाला मनका भाव, पतवार, यकीन । संस्कृत पर्याय- १।२५।१२)
यिथम्भ, आश्वास, आश्रम। ३ मनकी यह धारणा जो विश्वाहा (स स्त्री०) १ शुण्ठी, सौंठ । २ बाहुशाल
विषय या सिद्धान्त मादिकी सत्यताका पूरा पूरा प्रमाण | गुड़ ।
न मिलने पर भी उसकी सत्यता सम्बन्ध होती है । विश्वेदेव (सपु०) १ अग्नि । २ श्राद्धदेव । (संक्षिप्त.
४ केयल गनुमानके माधार पर होनेयाला मनका दृढ सार० उपा०) ३ गणदेयताविशेष।
निश्चय:
___घेदसहित नौ देयताओं को एक साथ 'विश्वेदेवा।'
विश्वासकारक (सं० लि.)१ विश्वास करनेवाला ।। कहा है। पे देवगण इन्द्र, अग्नि मादिसे निम्न श्रेणीक
२ मनमें विश्वास उत्पन्न करनेवाला, जिससे विश्वास | है और सभी मानवके रक्षक तथा सत्कर्मफे पुरस्कार.
उत्पन्न हो।
• दाता हैं। अक्संहिताके ६।५१७ मन्त्रमें विश्वेदेवोंको
विश्वासघात (सं० पु०) किसीके विश्वासके विरुद्ध की हुई। विश्वके अधिपति तथा जिससे शल गण अपने अपने
क्रिया, अपने पर विश्वास करनेवालेके साथ ऐसा कार्य | शरीरके ऊपर अनिष्ट उत्पादन करते हैं, उसके प्रवर्तक
जो उसके विश्वासके विलकुल विपरीत हो।। । कहा है । उक्त प्रथिके १०११२५।१ मन्त्र में तावत् देवताको
विश्वासघातक (सं०नि०) विश्यासं इन्ति या विश्वास
हो 'विश्वेदेवा बताया है। अफ् १०११२६ चौर १११२८
छन् ण्वुल । विश्वासनाशक, धोखेबाज । पर्याय-प्रत्यय
सूक्तमें विश्वेदेवाको स्तुति की गई है। शुहायजुः २०२२
कारी, विश्वासहरना, मविश्वासी, प्रतारक, पञ्चक ।
मन्त्रमें पे गणदेवतारूपमे माने गये हैं। परपत्ती पौरा.
विश्वासदेवी ( स. स्त्री०) मिथिलाराजपलोमेद । आप | णिकयुगमें इन देवताओंको औदुर्घदेधिक क्रियाका उत्स.
विद्यापतिकी प्रतिपालिका थीं। विद्यापति देखो। 'दि पान किया जाता है। अग्निपुराणमें इनकी संख्या
विश्वास राय-महाभारत-टीकाकार अर्जुन मिश्र के प्रति दश बताई गई है, यथा-फतु, दक्ष, यसु, सत्य, काम,
पालक। ये किसी गौड़ेश्वरके मन्लो थे।
काल, ध्वनि, रोचक, आद्रव पीर पुरया।
विश्रासन (स० लो०) विश्वस-णिज्ल्युट् । विश्वास,
एक असुरका नाम।'
पतवार, यकीन ।
| विश्वेदेव (सपु०) भगांकुर । ( शब्दार्थनि.)
विश्यासपान (स0पु0) जिस पर भरोसा किया जाय, विश्यमाजस् (स० पु०) विश्व भुज-मआर
विश्यमोजस् (स० पु०) विश्व भुज-असि सप्तम्या
विश्वास करने के योग्य।
मलुक। ( उणा २२२३७ ) इन्द्र।
विश्वासस्थान (को०) विश्वासमाजन, यह जिसका विश्ववेदस् (सपु०) विश्वे विद्-ममि विदिभुजिभ्यां
विश्वास किया जाय ।
विश्व। उण ४।२३७) अग्नि ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/७३५
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