पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१०२

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१८ गर- रा डहर (हि.सी.) १ पथ, माग, रास्ता। ३ पाकाश- डॉड (E'• पु० ) १ डहा, सोधी लकड़ो। २ गया । ___३ वह सम्बा डंडा जिससे नाव खेई जातो, चप्प । डहरमा (हिं कि० ) भमण करना, चलना, फिरना। ४ पंकुथका हत्या। ५ गढ़को हण्डो। चो डहाला (म. स्त्री० ) डालभूमि, चेदिराज्यका मग उठो हुई सरोण अमोन जो बहुत दूर तक पतलो रखा. माम। बाहल देखो। ___ को तरह चली गई हो, अंची मेड़। ७ कम जंचाईको डहु (स'• पु०) दहति तापयति सर्वशरीरं दहक। दोवार जो पाड़ प्रादिके लिये उठाई जातो है। ८ जंचा मृगय्यादयश्च । उण् । ति मूत्रण निपातनात माधुः। स्थान, छोटा भौटा। ८ मेड़। १० ममुद्रका ढालुवाँ १ शक्षविशेष, लकुच, डाहर। इसके पर्याय -लकुच और रतीला विमारा। ११ सोमा, इद । १२ जनरल कटा लिकुच है। मका गुण-गुरु, विदोष पौर शकपुष्टि- एषा मैदान। १३ पथदण्ड, जुरमाना । १४ नुकसान- कारक। लकुच देखो। २ बाहर। का बदला, हरजाना। ३५ कट्ठा, बाँस। उह ( स० पु. ) पृषो. साधुः । बहु देगे। डाँडना (हि• क्रि० ) अर्थदण्ड देना, अरमाना करना। डा ( में स्त्री०) डोड स्त्रिया टाप । डाकिनो, डाइन। डोडर (हिं. पु.) बाजरको खूटी जो फसलके काट डा (•ि पु. ) मिलारकी गतिका एक बोल। लिये जाने पर खेतमें रह जाती है। डापन (हि.स्त्री.)१ भूतनी, राक्षसी. बुल । २ वह डाँडा (हि.पु.) १ डण्डा, छड़। २ गदवा। २ बास- औरत जिसकी दृष्टि पार्मिक प्रभाव से बचे मर जात।। का लम्बा डण्डा जिसमे नाव खेई जाती है। ३ सोमा, ३ खराब और खौफनाक औरत। . इट। डारकर ( पु.) कार्य संचालक, वह ओ दस- डाँडामड़ा (#ि• पु०) १ परस्पर प्रत्यन्त सामीख, लगाव । जाम करता हो। २ गति उत्पन करनेवाला मयौनका २ झगड़ा, टण्डा । एक पुरजा। डाँडामहल (हिं. पु०) बङ्गालमें मिलनेवाला एक प्रकार- डाइरेकरी (स्त्रो०) एक पुस्तक जिसमें किसो किसी का सॉप। नगर या देशके प्रधान प्रधान मनुष्यों की सूची प्रक्षर डाँडो (Eि स्त्री० ) १ लम्बा पतला काठ। २ लम्बा क्रमसे हो। हत्या । ३ पलड़े बन्धे रहनको तराजूको सोधी लकड़ो। डाई ( पु.) १ पासा। २ ठप्या, साँचा। ३ । ४ पतली शाखा, टहमो। ५ फल या फल लगा हुषा डाप्रेस ( स्त्री०) वह कल जिससे उभरे हुए अक्षर लम्बा उंठल। वे चार मोधो लकड़ियाँ या डोरोकी उठाये जाते हैं। म. जो हिंडोलेमें लगी रहती है । ७ जुलाहोको डॉक (हि.स्खी.) कागजको तरह पतला ताँबे या घरखोकी थवनी में डालो जानेको लकड़ो। ८ पोतल चाँदीका पत्तर। लगा एषा शहनाई की लकड़ी। ८ वह पादमो जो डोंगर (हि. पु.) १ चौपाया, ठोर । २ एक नोच डाँडलेता है। १० पाससी मनुषा । ११ मर्यादा, जातिका नाम। (वि.) ३ कप, दुबला-पतला। ४ इज्जत । १२ वह स्थान जहाँ चिड़ियाँ पा कर बैठा करती मूखं, जड़। है।१३ फसके नोचेका वह भाग जो सम्बा पौर पतला डांगा (हि.पु०) जहाजके मस्त लमें पाडी लगी हुई होता हो। १४ पासकोके दोनों ओर निकले हुए नवे 'धरन जिस पर रस्सियाँ फैलाई जाती। उंडे। कहार होंमें कधा लगा कर चलते हैं। १५ डोट (हि.सी.) १ वश, दाब, दबाव। २क्रोधका पासको । १५ पहाड़ी सवारी, झाप्यान । शब्द उपट, धड़को। डाँबू (•ि पु०) दलदल में होनेवाला एक प्रकारका डांटना ( कि. ) क्रोधपूर्वक कर्कश खर कहना, नरकट। उपटना। विरा (हिजो) पुष, सहका, टा।