पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/११९

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सडोलावे साद पंगरेजीजा जो बुध बिड़ा का. उसमें इमर (स'• पु०) एक प्रकारका दक्ष और उसका फल, जयमकायसिने पारिज सेनानायक ईकर मनरोको गूबर। याच भारतवर्ष में तथा प्रदेश में सब जगा यथेष्ट सहायता दी थी। पाया जाता है। हिमायके विवखानसे लेकर पासाम- इसी समतामे १८१५ के १० मार्च को बड़े लाट के पर्वतसमूहता यापेमसाहले ४... फुटको माक्षिस पॉफ हेष्टिसने जयप्रकाशसिंहको 'महाराजा संचाई पर सगते देखा गया। बहादुर'को उपाधि दी। __ भारतवर्ष में कई तरह गूलर यपि जयप्रकायके बाद उनके पोते जानकीप्रसादसिंहने उनके पड़ तथा फल एकले दोक्याते, तो भी पाकारमें बहुत कम पवसाम गण्य प्राप्त किया। विन्तु थोड़े बहुत प्रभेद है। किसी किसी जातिको गूलरके पत. दिन बाद ही उनकी मृत्य हो जाने से महादरवक्यसिंह पौर फल बहुत बड़े होते तथा पेड़ लताकी तरह होता बहादुर १८४४ में उमराव राज-सिंहासन पर भि- । फिर किसो जातिका पेट पोपल पेड़ सा पित हुए। मोंने नेपाल-युद्ध तथा सिपाही विद्रोहक सुदीर्घ और शाखाप्रशाखाविशिष्ट होता है। किन्तु समय घटिय गवर्मेण्टको यथेष्ट सहायता को थो। अग. पसका पेड़ जितना ही बड़ा होता जाता है उतना ही दोशपुरम बनके जाति कुमारसिंहके विद्रोही होने पर इसके पत्ते और फल छोटे होते जात। महाराज महखरबाने थोड़े हो समयमें उन्हें पराजित ___गूलरमें फूल नहीं लगता। एकही दफा कोषसे पौर यासित किया था। वहीं कारणोंसे १८७२ में गुच्छाका गुच्छा फल निकलता है। क्षको धड़से तथा अटिश गवर्मेण्टने उन्हें 'महाराज' सबा K. C. S. I. शाखा प्रथाखाको सन्धिखानसे ही पधिकांश फल . की उपाधि दो। उनके जीतेजी १८७५ ई. में राजकुमार निकालता । इस देश में लोगोंका ऐसा विश्वास है कि राधाप्रसाद सिंहको भी "राजा" की उपाधि मिली थी। गूलरका फल देखने राजा होता है। सच पूछिये तो महाराज राधाप्रसादके याबसे भी जुमग राज्य गूलरका फूल देखने में पाता ही नहीं। उच्च शिखर पर पहुँच गया था। १८८८ ई में ये के. अहिदतत्त्वविद पण्डित लोग गूलरको पोपल, बरगद सौ. पार... ( K. C. I. E.) बनाये गये थे। इनका पाकर पादि चोंक पन्तर्गत मानते। सभीकी पड़ी, देहान्त १८८४ ई० में हुआ। इनके मरने पर उनकी स्त्री डाल पादि काटनेसे दूधकी तरह सफेद एक प्रकारका महारानो बेनीप्रसादबरी उत्तराधिकारिणी दुई। गोद निकलता है। इस गोंदसे रबरक जैसा पदार्थ इन्हें घटिश मरकारको चार लाख से अधिक रुपये करमें उत्पन होता है । गूलरका गोंद कभी कभी धावक जपर देने पड़ते हैं। २ शाहाबाद जिले के अन्तर्गत बार उपविभागका मरहमको तराव्यवाहत ओता है। एक गहर। यह पक्षा० २५ २६७० और देशा० ८४ नीचे घोड़े प्रकारके विभिन जातीय गूलरका विषय पू. पर कलकत्ते से ४०० मौसको दूरी पर अवस्थित दिया जाता है। लोकसंख्या प्रायः १७२२० । यहाँ उ.मरावके याकुम्पुर ( Ficus glomerata)-साधारणत: राजाका राजप्रासाद पौर खेमा है। होमकार्य में इसकी माला काम पातो । सो कारणा इमार-अक्षण वर्णित भोजपके पन्तर्गत सिद्धाश्रमके इसका नाम यंत्र दुम्बर पाहिमालय प्रदेश, राज- दधिषमागमें पवखित एक नगर। (यह बत्तमान पूताना, मध्यभारत, बाल, दाक्षिणात्य, पासाम, प्रध- उमरावके जेसा पवमान किया जाता है। भविथ देव धादि खानों में यह पेड़ पाया जाता है। चन्दामें अचखलो मससे यहां भूमिहार जातिको प्रवल परा- इसके दूध पर्यात गोदसे एक प्रकारका रबर बनता है। मान्त पदयवाससिका राज्य था। उनके बयीय इस आपसे कामो कभी खास उत्पन होतो। बई. विक्रमसिंहने यहां एक दुर्ग निर्माण किया था। लिया रसके दूभी पची पकाने के लिये गौर. प्रस्थत बरता