पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१५१

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डाका उनको समयमै जो राजभवन और सरोवर बनाया गया. पोर बाकरगल चारी पोरके प्रदेश जलालाबाद पौर वा भी वसालबाड़ी पोर वल्लालदोघो नाममे मशहर फतयाबाद नामसे परिचित थे। १५१८ में मेरमारने वा है। प्रवाद-इस तरह है, वे बाबा पादमनामक एक मुसल देशपर शासन किया। उनकी उत्तराधिकारी मुगलोंसे परा- मान फकोरके साथ युद्ध करने लगे। युद्ययावाकालके जित हुए । मुगल-सबाट पावर बारा मध्यवा से भगाये समय वे अपने परिवारवर्ग से इस तरह कह गये, “युद्ध में जाने पर होने उड़ीसा पोर ढाबामें जा कर पात्रय यदि मरी मृत्यु हो जायगी, तो मेरा साथी कबूतर उड़कर ग्रहण किया। १५.५ में इनके एक सर्दार उसमान वहाँ पहुँच जायगा पोर तब तुम लोग भी अग्निकुण्ड में बाँसे निमाया लूटा गया था। उसने उस प्रदेशको मूद कर प्राणस्याग करना।" इतना कह कर वे रणव- १५१२० तक अपने अधिकार में रखा था। इस वर्ष में गये और वहां वशालको हो जय हुई । वे ज्यों ही एक पूर्व वा किसी स्थानमें मुगलों के साथ युद्धमें वे मारे सरोवर में प्रवेश कर अपने रतात कलेवरको माफ करने गये। इस समय इसलामखाँ बङ्गदेशके गासनकर्ता थे। लगे त्योंही अवकाश पा कर उनका कबूतर उड़ गया। इस युद्ध के बाद उन्होंने राजमहलसे ढाबामें अपनी राज- इधर कबूतरको देख कर राजपरिवारवर्ग ने अग्निकुंडमें धानो स्थानान्तरित की। सबसे ११३८ ई. तक पन्तवि- कूद कर अपना अपना प्राणत्याग किया। जब वजाल द्रोहपौर वहिराक्रमपसे ठावा कई बार उत्योड़ित एमा लौट कर पाये, तब वे उस घटनाको देख अत्यन्त शोकातुर था। इस समय पासामवासी पौर मगोंने ययक्रम हुए और उन्होंने भी उसी जलते हुए अग्निकुण्ड में कूद ढाकाका उत्तर और दक्षिण भू-भाग लूटा था। ११३८ कर प्राण छोड़ा। उनका विस्त त राज्य भोग करनेके में सुलतान महमद सुनाने ढाका परित्याग कर पुनः लिये अब कोई न बचा । ढाका जिला पुनः मुसलमानोंके राजमहलमें राजधानी खापनको। १.१.में मीर. हाथ पाया। किमोके मतानुसार उस समय भी भावाल। जमला जब राजप्रतिनिधि नियुक्त हुए, तब राजधानी और शाभर प्रभृति स्थानों में हिन्दू जमीन्दारगण स्वाधीन फिर ढाकामें लाई गई। मोरणमलाके शासनकालमें हो भावसे राज्य करते थे। भावास ढाका सबसे अधिक उबतिशिखर पर पहुंच गया था। १३३० ई० में महम्मद तुगलकने पूर्व बङ्गाक्ष अपने मग और पाराकानको बाधा देनेके लिये उन्होंने खाशा अधिकार किया। इस समय बङ्गाराज्य लक्षणावतो, पोर धोखरी नदीके सङ्गम पर बहुतसे दुर्ग निर्माण सातगाँव और सोनारगाव इन सोन भागों में विभक्त हुआ। किये थे, जिनमेसे हाजीगत पौर इदरफपुरके दुर्ग हो ढाका सोनारगाँव विभागके अन्तर्गत था। १३३८ ई.मे | सबसे अधिक विख्यात है। इनके समयमें ढाकाके निकट सोनारगांवके शासनकर्त्ता तातार बहरमखोंको मृत्यु, बहुतसो भड़कें और पुल प्रस्तुत हुए। सारस्ताखाँके राजस्व होनेमे फकर-उहीन् सिंहासन पर बैठे और इन्होंने मुबा. कालमें इस नगरमें स्थापत्यवियाकी बहुत उबति हुई रकणार नामसे १० वर्ष से अधिक समय तक उक्त प्रदेश थी। उन्होंने यहां बहुतसी मसजिदें बनाई। इनके समय- में राज्य किया. १३५१ ई०में समसुहोन इलयासशाह में ईटोक घर बनानेके लिये एक नयो पति पावि. तथा उनके पुत्र सिकन्दरगाहको प्रतिहत चेष्टासे समय मत हुई जिसे सास्ताखानी करते हैं। रस. पदतिक वन्देश एक राज्यभुक्ता तथा ढाकाके निकटवर्ती मोनार- दो एक घर अब भी ढाका नगरों में देखे जाते है। गांवमें राजधानी स्थापन को। सिकन्दरके पुत्र आजम सारस्ताखाँने ठाका पार तथा निकटवर्ती खानको माने दिलोको अधीनता परिव्याग को । राजाखाँके शासन उत्तरकी पोर टुङ्गो तक विस्तात किया था। सबाट शासके समय यह प्रदेश त्रिपुरा, पासाम पौर पाराकानके पोरगजवके पादेशसे उनोंने कुछ दिनके लिये पज राजाबीसे कई बार उत्पीडित हुपा था। १४४५६ में बलिवोंके ठाकास्थित एजण्ठोंबो गालावर कर रखा मानदयाइने पुनः समस्त बङ्गालको पपने पधिकार, था। जब पौणजेब सबाट ए, तब वादेयवा राजख कर लिया। इस पके शासनकासमें ढाका. फरीदपुर बड़ामके लिये उमोंने मुर्थिदवसीमाको बादेशका