पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१५४

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डाका यह पक्षा. २९ ३० मे २४ २०७० पौर देशा० दीवाई पड़ते हैं -सुलतान महम्मद सुजासे निर्मित कटरी ८० से २०१३ पू०में अवस्थित है। भूपरिमाण १२६६ पौर लालबागपासाद। ये दोनों अभी भो भग्नावस्थायें वर्ग मील और जनमख्या प्रायः ८८१५१७ है। इसमें पर। १७वीं शताब्दीको बनी हुई गरेज पोर ढाका शहर तथा २६४७ ग्राम लगते है। यहाँ लालबाग, फ्रांसोसो कोठियों भी नदी-गर्भ में विलीन हो गई है। साभार, कपामिया पार नवाबगञ्ज नामके ४ थाने हैं। बहुत समयसे ढाकाके चारों ओरके प्रदेशों पर मग ४ पूर्वीय बगालके अन्तर्गत ढाका जिलेका मदर और पोत गोज डकैत बहुत अधम मचाते थे। उन लोगों- नगर । यह अक्षां० २३४३ उ० ओर देगा..२४ के पाक्रमणसे इस प्रदेशको बचानेके लिये १६१०१०में पू० पर बूढ़ीगङ्गा नदोके दहिने किनार अवस्थित है। बङ्गालको राजधानी ढाका नगर में स्थापित हुई। १७०५ यही नगर जिलेमें मबसे बड़ा है। ढाका विभागके ईमें मुर्शिदकुलीखाँ ढाकासे निज प्रतिष्ठित मुर्शिदाबाद- कमिश्रर साहब यहाँ वास करते हैं। ढाका म्य निस- में राजधानो उठा लाये । उसो समय से ढाकाको अवनति पालिटीके अन्तर्गत स्थानका परिमाण प्रायः ८ वर्गमोल प्रारम्भ हुई। कहा जाता है, कि इमको समृद्धिक समय है। लोकसंख्या प्रायः ८.५४२ है। ढाका नगर बहु जनाकीर्ण पोर नदी किनारसे उत्तर- यह नगर नदीक उतरी किनारे प्रायः ४ मोल तक को ओर १५ मोल तक विस्तृत था। अभी भी अरण्यके लम्बा और नदी किनारेसे उत्तरको ओर प्रायः १५ मीन मध्य टुङ्गो ग्राममें बहुतसो अट्टालिकायें और मस जिद चोड़ा है। दोलाई खाड़ोको एक शाखाने से दो भागों- प्रभृतिका भग्नावशेष देखा जाता है । १८वी शताब्दी में में विभक्त किया है। नगर में दो प्रधान सड़क है, एक ढाका नगरको मलमल बहुत आदर के साथ यूरपखण्ड में पश्चिममें लालबाग प्रासादसे पूर्व में टोलाई खाड़ो सक विकाती थी । उस समय यहाँके हिन्दू ताँतियोंने वंशपर प्राय: २ मील और दूसरो नदोसे उमरको और प्राचीन म्पराक्रमसे ढाका-मलमल का प्रभूत उत्कर्ष साधन किया दुर्ग तक गई है। दो राज-सड़क हो सबसे बड़ो था। सूक्ष्मतामे, बुनावट के ढंगमें, चिकनापनमें तथा परिः पौर उनके दोनों किनारे सुन्दर अट्टालिका और विपणि कार परिच्छवतामें कोई भी दम लोगोंको बराबरी नहीं (दूकान) श्रणी-हारा सुशोभित हैं। शेष सड़कोंमसे कर सकते थे। ढाकेको कपास भी उस समय महीन अधिकांश छोटी और टेढो है। नगरके पश्चिमप्रान्तमें सूत निकालने में भूमण्डल पर अतुलनीय समझी जाती चक अर्थात् बाजार पड़ता है। यूरोपीयगण नगरके थो। १८वीं शताब्दीके अन्तमें इष्ट इण्डिया कम्पनो मध्यभागमें नदी किनार प्रायः । मील तकके स्थानमें और देशीय सौदागर प्रति वर्ष प्रायः २५ लाख रुपयेकी पास करते हैं। पाम पोय पोर ग्रीक पलो में बहुतसी ढाकेको मलमल खरीदते थे । १८वों शताब्दोके प्रारम्भ- बड़ी बड़ी प्रालिकायें भग्नदशामें पड़ो हैं। देशीय में मैनचेष्टर-तांतियोंकी सुम्लभ मलमलको प्रतिहन्दितासे लोगोंको वासभूमि बहुत सकोण है । विशेष कर तातो ढाकेको मलमलको खपत कमने लगी। पन्तम १८१७ पौर शायणिकके वासस्थान का सम्म खभाग ६७ हाथ- ई०को इष्टइण्डिया कम्पनीको कोठी उठ गई। यह मे अधिक नहीं है, किन्तु उसको लंबाई प्राय: ४० हाथ ढाकाको अवनतिका दूसरा कारण है। सभीमे इसकी तक रहती है। इस तरह मकानका मध्यस्थान खुला उबतिको कोई पाशा न रही। केवल वस्त्र व्यवसाय ही है, केवल दो हो प्रान्समें घर है। ढाकेको प्रधान पायका मुल था। अभी वह व्यवसाय १७वीं शताब्दीमें ढाकानगर बालके मुसलमान यहाँसे लोप हो जाने पर अधिवासीगण धनहीन हो गये राजापोंकी राजधानो था। किन्तु अभी उसको पूर्व है। बहुत से पधिवासी स्थान छोड़ कर दूसरी जगह जा समृषिका पधिक परिचय विद्यमान नहीं है। सबाट बसे। अब भी तातियों को दुरवस्था पौर बहुतसे परिस्थता जहाँगोरक समय में प्रतिष्ठित ढाकेका दुर्ग बहुत पहले लोप ठहादि रमका विषमफल घोषणा करते हैं। १८०० हो गया है। मुसलमान राजापोंके केवल दो चित्र में यहाँक पधिवासियों की संख्या दो लाखसे कम नहीं