पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/१८३

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तम्बोर (समापूर) (बणिक), अम्बन् (नापित), वेबान (धोबी), कवन मधुरापरी रहींके समय में तनापुरमै मिलाये गये। मधुरा- ( कुम्हार ), क्षत्रिय, कणकन (लेखक) प्रभृति प्रधान है। पुरीके सिंहासनचुत राजा चन्द्रशेखरने विजयनगरके मुसलमानगण शेव, मैयद, मुगल पठान, पाबर, गार! राजासे सहायता प्रार्थना की । विजयनगराधिपति प्रभृति मम्प्रदायमें विभक्त हैं। इनके अलावा ईमाई और मणरायने उनको मधुरापुरोमें पुनः स्थापन करने के लिये जैन तथा थोडो संख्यामें अन्य जाति वाम करती है। कतियान नाग नायक नामक सेनापति के प्रधान एक दल तनापुरो-माहात्मामें तनाबुर निचोर)को उत्पत्ति सैन्य भेजो। इधर वीरशे गार भो युद्ध के लिये प्रस्तुत हुए। का विवरण इस तरह लिखा है--सचान नामक एक मधुरापुरी के निकट दोनों पक्षमै घमसान सड़ाई हुई. बाद गक्षम तनाबुरमें बहुत अधम मचाया करता था। सञ्जोरके राजाने अपना प्रागा परित्याग किया।मधुरापुगे. अधिवामियोंको दःखित देव विष्णुभगवान्न एम राक्षस- त्रिशिरापल्ली और तखावर विजयनगरके प्रधान हुए। को वध किया। राक्षमने माते ममय विशमे प्रार्थना को १५३० ई में अच्थ तगय विजयनगरके सिंहासन पर थो, कि यह नगर मेरे ही नाममे प्रमिह हो । विष्णु भग बैठे। रनको माली के साथ मेवाप्या मायका विवाह वानने वैमा हो होगा" ऐसा कह कर प्रस्थान किया। हा। रम सम्बन्धकै कारण उक्त वर्ष में पथ सरायने उमो राक्षमके नाममे संस्कृत नाम तसापर और तामिल। मेवप्या नायकको समाबुर पौर विशिरापलीके शासनकर्ता तञ्जाबुर पड़ा है। बना कर भेजा। उसोमे ताबुरके नायक-राजवंशको ___ बहत पहलेमे ने कर १५०० ई. तक चोनराजाभोंने उत्पति हुई। नायकराजगण पहले विजयनगर के प्रधान यहॉ राज्य किया, किन्तु ननावर ठोक किम समय राज हो राज्य करते थे। किन्स १५६४ ई. में विजयपुर के धानों के रूपमें परिणत हा था. उसका निर्णय करना राजाम विजयनगरके गजाचोंका बस किये जाने पर कठिन है। चोलगजाओंने त्रिशिरापल्ली के निकट बरेयुर उस ममय १६६२ १० तक उस राजाओं ने स्वाधोनभावसे नामक स्थानमें तथा इसके ध्वम होने के बाद कुम्मघोणम् नबाबुरमें शासन किया था। इन राजापोंके समय में परुण- में गजधानी स्थापन को यो। सोडा, पदुकोहै, कैलासबाई प्रभृति का एक टुगे और ___ तनाबुर के वृक्षदोश्वर महादेव के मन्दिर में उत्कीर्ण देवमन्दिर निर्माण किये गये थे। नायकराजाओं के समय अनशामनसे पता चलता है, कि गजा कलोत्सङ्गन यह १६१२ ई०को पोर्स गोजोन नम्नपत्तनम तथा १६२. अनुशामन प्रदान किया था। अतएव यह अन मान । ई में डेनमार्कक लोगोंने दानकुहवर नामक स्थानमें किया जा सकता है. कि राजा कुलोत ङ्ग चोल अथवा निवामम्यान स्थापन किया। उनके पिता तनाबुरमें राजधानो उठा लाये थे। शायद जब नायकवंशके चौथे राजा विजयराघव तमा- १०२३मे १०८० ई०के किमो समय यह घटना हुई। बुक मिहासन पर अभिषित थे, तब मदुगक शोक्यमब होगी। नायकमे तबाहर पर पाक्रमण करनेके छलसे राजकन्या डाकर बुरनेल माहबने चोलराजवंशका जो | का पाणिग्रहण करने के लिये दूत भेजा। राजासे तालिका प्रस्तुत को है, उममे मालूम होता है, कि अग्राह्य किये जाने पर उन्होंने १६५० में दलवाय हितोय कुलोत्तज चोल ११२८ ई० में तनाबुर-मिहामन वाटाणप्या नायकको समाबुर जीतने के लिये भेजा। पर अधिष्ठित थे। उनके शासनकालमे हो तबारक मैनापति गोविन्द दीक्षितने उन्हें रोका, विन्तु दलवायन सोलराजवशका अधःपतन प्रारम्भ हुमा था तथा चोल उन्हें पराजित कर तखार अधिकार कर लिया पौर राजलक्ष्मी क्रमशः चवला हो गई। शोघ्र ही वे राजभवनर्क समीप पहुंच गये। उस समय समाबुर-बुरूवारि चरित नामक हस्तलिपिके पढ़नम | विजयराघव ध्यान निमम थे। ध्यान भा होने के बाद मालूम होता है, कि चोलवंशीय शेष राजाका नाम वोर। जब उन्हें सब हाल माल म एमा, तब उन्होंने अपने शेखर था। बे प्रभूत पराक्रमशान्ती थे। विशिगपनो और वीरपुत्र को बुला कर कहा, कि राजभवनको सभो महि-