पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/३८८

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सानिमाविह पोर उमे नल के भोतामे ले जात । प्रेम तारमें नाड़ित कुण्डलोम गर्भाधोभावसे एक चुम्मा-खाका बबित का प्रयचय तो कम होता है, पर यादत मत-जापनके रहतो. और उस चुम्बक-शलाकाके साथ तारका एक मिए उतना उपयोगो नही है। . काँटा सलग्न रहता है । यह शेषोत काटा हो यन्त्रको ताड़ितवार्तावहके पूर्व पूर्व प्राविकाताका विश्वाम बाहर दृष्टिगोचर होता है। तार हारा विभिन प्रकारका था कि ताडितप्रवाहकं प्रत्यावत के निएक दूमरे ताड़ितप्रवाह उस गहलोम प्रवाहित होने पर चुम्बक सारके बिना काम नहीं चल सकता। पूवा स्टाइन- शलाका दो विभिन्न दिशाओं में हिलता रहता है। सोसे निमारवन, एक दिन रेल पथका लोहवरम इनके मत ममझाया जाता है। प्रेरक वच्छानुसार धन वा मास्तियाको सारका काम दे सकता है या नहारम भृग-ताडित प्रवाहित कर उसकोटको दाहिने बा बायें बात की जाँच करते हुए पाविष्कार कर डाम्ना कि यदि हिला मकता है। हो ताडित-प्रत्यावर्त मके निर तारका काम कर सकत डायल टेलिग्राफमें एक डायल वा गोसावति कागज है। दो स्टेशनों में तारके दोनों छोरा को जमोनमें गाड़ी पर २४ अक्षर लिखे रहते हैं। केन्द्रस्खलमें एक कॉट टेनेसे, दूमरे तारका काम निकल पाता है। ऐमा । रहता है, जो ताड़ितोय चुम्बकको सहायतासे दूर होने पर भी तारमें जैमा वास्तविक तारितस्रोत लोट 'सुशनसे इच्छानुमार घुमाया जा सकता है। यह पाता है, वैसा पृथिवोमे नहीं पाता। पृथिवो तारके कॉट- म अक्षरका निर्देश करता है, वह प्रेरित पक्षर दोनों छोरों से विभिव प्रकारका ताड़ित शोषण करता है, ऐ... झा जाता है। ऐसे टेलिग्राफोंमें बहुत समय है, इसलिए तारमें तास्तिका प्रवाह अव्याहत रहता नष्ट होत. "और यन्त्रादि अत्यन्त कुटिल होनेसे शीघ्र है। जमीनमें तार अच्छी तरह गढ़ जाना जरूरी है विशाल "जाते है । अव्यवसायोगय अपने अपने महों तो वह कामयाब नहीं होता । तारके एक छोरमें कामके लिए लिग्राफ कभी कभो व्यवहारमें लात बडो तविकी पत्ती लगा कर उसे माधारणतः पुष्करिणी वा है, अन्यथा इम "वहार नहीं के बराबर होता है। कूपादिमें गाड़ देना चाहिये । बड बड़े शहरों में गैम या मोससटेलीग्राफ -2 लिग्राफ सम्प्रति बहत प्रचलित पानीके नलों में तारका मुह नगा डेनमे हो काम चल है। मामस टेलिग्राफद न अङ्ग एक लौह दगड पोर आता है। स्थानविशेषम वज्जाधात-निवारक तार वा पत्ता ताड़ितप्रवाहके गमनका सका अस्थायोरुपमें चुम्ब- माय जोड़ दिया जाय तो कोई हर्ज नहीं। तात्पर्य कधम प्राप्ति है। नोचे । कार्य प्रणालो सचेपसे यह कि तारका छोर जो जमोनमें गाड़ा जाना है, वह लिखा जातो है। " सर्वदा पाई रहना चाहिये, कभी सूग्वना न चाहिये। लौहनिर्मित एक ताहितीय साड़ितवार्तावरक मून उपादन ३ है-१ दोनो लक पदार्थ में डबोया हपा (पर्यात पर अपारचा स्थानों के बोचमें धातुमय तारका मयोग और ताहित से मड़ा हुआ) ताँबका तार लिपटा रचालक पदार्थ- प्रवाह-उत्पादक एक यन्त्र, २ एक स्टेशनमे दूसरे मेशन एक छोर जमोनमें और एक छोर लाइस तारका रके साथ को मवाद भेजनेका यन्त्र गौर ३ सवाट ग्रहमा करनका लगा होता है। उता चुम्बकके जपा, गन्त्र । जिन कौशलों से ये कार्य, विशेषतः शेषोक्त टो इस प्रकार लगा रहता है कि जिससे का दण्ड पानशे वाय मम्पब होते है. वे बहत प्रकारक , जिनमें प्रवस्थानके अपर पान्दोसित होता. काटेका टेलिग्राफ, डायल-टेलिग्राफ और प्रिटि टेलिग्राफ छोटेमे स्प्रिड के सहार वाडा सुरकविकि . वा मुद्रणवार्ता ये तीन प्रधान है। ___कर अवस्थान करता है। चुम्बकव विीत दिशा, ___ कम्यामके काटेका टेलिग्राफ प्रधानतः एक तडित उडे के छोर पर एक पेन्सिल वा सालोको प्रवाहमाम यन्त्र (Galvanometer) के सिवा और कुछ , उस सुरवा पेन्सिलके बहुत ही पास Me भी नहीं है। एक पपरिचालक पदार्थ मडित सारकी उसने पवन एवं वामनका पतली प र