पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

टीपू सुलतान-दुइल मन कर द ग की रक्षा करने लगे। शिन्त टोपू पर। टोपू का परिवारवर्ग पाले मेहरम समानान्तरित विधाता ही उलटे थे, उनको मब चेष्टायें व्यर्थ हुई। था, किन्तु उससे हटिय गवण्डका सुभीता नपा, अधिकांश दुर्ग वामो मायकानके प्रारम्भमें प्रात्मसमर्पण इमलिए सब कलकत में लाये गये। इस समय टीप के करने लगे। दुर्ग में प्रवेश कर शव भोंने देखा तो घरानिके सभी लोग हटिश गवर्मेण्टको वृति पति वोर टीपू सुलतानको अपने मम्मान और गौरवके रक्षार्थ और कलकत्त के रमापगला वा टालोगन नामक स्थानमें रय शय्या पर हमेशा के लिए मोते पाया। कोई कोई रहते हैं। कहते हैं कि, जिस ममय टीपू दुर्ग-रक्षार्थ स्वय युद्ध टोबा ( हि पु. ) टोला, भीटा। कर रहे थे, उस समय पो छेसे किसो व्यक्तिने गुलभावसे | टोम ( 4 स्रो० ) खेलनेवालोका दल। उनको मार दिया था। टोमटाम (हिखो .) १ बनाव, सिंगार, सजावट । ३ कुछ भी हो, अग्रेज मेनापतिने वीरमदसे आज पाखड, तड़क भड़क। दुर्भद्य श्रीरणापत्तनके दुर्ग में प्रवेश किया। यथासमय टोला (हिं० पु.) १ पृथ्वी का सलमे ऊँचा भाग, भोटा । महासमारोहसे मुसलमान-प्रथानुमा। टोपू सुलतानकी २ महो या बाल का ऊँचा दर ३ कोटी पहाड़ो। मृत-देश ममाधिस्य की गई। वोरनादसे अंग्रेजोको टोस (हिं. स्त्रो०) ठहर ठहर कर होनेवाली पीड़ा, सोपे टीपूके सम्मान और वीरगपत्तनविजयको घोषणा असक चसक । करने लगी। साथ ही महसूरसे कणस्थायो मुसलमान | टोसना (हि.क्रि. ) ठहर ठहर कर दर्द उठना, कमक राजत्वका भो अन्त हुपा। होना। इम युद्ध में जयलाभ करके बड़े लाट मनिटन वैलिम्नि रंगना ( हि क्रि०) १ कुतरमा, कोमल पत्तियोंको दांतमे उपाधिसे विभूषित हुए । इसी माममे ये भारत-पात काटना । २ कुतर कर चबाना। हातमें प्रमित हैं। श्रीरङ्गपत्तमदुर्ग जय करके ग्रं जीने टुंच (हि. वि.) क्षुद्र. तुच्छ, टाचा । नगद २ करोड़ रुपये, ८२८ तोपें, ४२४००. पोतल और टुंटा (हि. वि० । जिसके हाथ न हो, ल ला। लोई के गोले तथा ६५०० मन बारूद पाई यो। टंडशिप.)१ विनवृक्ष, वरपड जिमका डाल लालबाग नामक उद्यानमें हैदरके ममाधि मन्दिरमै दाना कट गई हो, हूँठ। २ पत्तियांसे रहित तन्न, । टोपू अत्यन्त अत्याचारो, चञ्चल और विना पतका पेड़। ३ कटा हा हाथ, न ला। ४ एक अस्थिर प्रकति होने पर भी इनमें बहुत से मदगुण थे। ये प्रकारका प्रत। प्रवाद है कि यह प्रत घोड़े पर चढ़ नित्य नवीन पसंद करते थे। इनकं प्रामादमे बहुतमे कर अपना कटा हुषा मिर आगे रख कर रातको निक संस्थत ग्रन्थ, कुरानीका अनुवाद पर हिन्दुस्तामा विश सता है। षतः मगल-मामाज्यक इतिहाम-मुलक बहुतसी हम्सटंडा (हि. वि० ) १ढ़ा, जिसमें डाल टहनो न हो। लिपियाँ मिली हैं, जो कलकत्ते के पुस्तकालयमें सुरक्षित : २ जिसके हाथ न हो, ख ला. लुजा । ३ एक सौंगका रखा गई है। वे देशीय शिल्प और पण्डितीका विशेष बैल, डूंडा। (पु.) ४ व मनुष्य जिसके हाथ कट समादर करते थे। गये हों, सू ला पादमी । ५ एक सींगका बैल। शेपू सिर्फ पुस्तक-संग्रह करके ही शान्त नहीं हुए टुंडो (हि. स्त्री० ) १ मुश्क, भुजा, माहुदंड ।। वि०) थे । ये स्वयं भो विहान थे. उन्हों ने फारसो भाषामें दो २सलो जिसे हाथ न हो। अन्य भो लिखे - एकका नाम है "फरमान बनाम दरयाँ (हि. स्त्रो.) १ सोतको एक नीच जाति, सुग्गी । पलीराजा" और दूसरेका “फत-उल मजाहिदीन "इम इसको चोच पौली और गरदन बैंगनी रंगकी होती के मित्रा ये अपने जीवनको बहसली घटनायें लिग गये ।(वि.) २ माटा, बोना । टाणा (ो . ) एक तरहका सती कपड़ा। या