पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५२८

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तिम्बुकिंवा-विपामद ५०में अवस्थित है। भूपरिमाप १२८ वर्गमोन और तिपाई-दक्षिण-पासामकी एक नदी। मविपुम तुकार लोकसख्या प्राय: १८४६४७ । रस तालुकमें दो मोर लुसार पर्वत पर तुइवर कहते हैं। सुसार पर्वत शहर पोर १२३ ग्राम लगते हैं। कोदगन, पालयन, पर यह मदो घूमतो गरी कछाड़के दक्षिण-पश्चिमकोर- तिवेली, प.य मरुदूर पोर पश्चिमीय मन्दर नामक में 'बराक' मदोसे मिल गई है। दम सङ्गमस्थल पर नहरोंम अन्न मिलनका कार्य होता है। सिवाईमुख नामक एक ग्राम है। इस ग्राममें सुसाइयोंकि ४ इमो नामके तालुक और जिम्नेका एक प्रधान शहर साथ व्यवसाय चलता है। लुमाए लोग गई, एक प्रकार यह पक्षा०८४४ उ० और देशा० ७७४१ पू में साम- का मोटा कपड़ा, भारतीय रबर, हाथोके' दाँत, मोम पर्णी नदी के किनारे मन्द्राज शहरको रेलसे ४४६ इत्यादि वनमात द्रव्यों को अपने साथ ला कर यहाँक मोलको दूरी पर अवस्थित है। इसका ऐतिहामिक चावल, नमक. मोडके यन्वादि, कपड़े, नकली मोतीको विवरण अस्पष्ट है । १५६०१०में मायकवंशके अधिष्ठाता माला और तमाकूमे बदला करते है। विखनाथने इस शहरका संस्कार किया था। यहाँका निवागढ़-मध्यभारमका एक प्राचीन स्थान । यह चन्दा एक प्राचीन शिवमन्दिर बहत प्रसिद्ध है, अन्यान्य बड़े जिले में अवस्थित है। यहां तिपागढ़ पर्वतके अपर तिपा बड़े मन्दिरीको नाई इसमें भी सहसस्तम्भ-नाट• गड़ नामक एक किला है। इस किले के निकट एक सरो. मन्दिर है। वरसे तिपागड़ो नामको एक नदो मिजस्तो है। यह इस शहरको लोकसंख्या प्रायः ४०४६८ है. जिनमें प्राचीन दुर्ग. कमि हम सारबके मतसे गौड़ राजामों को ३४६६४ हिन्दू, ४६८८ मुसलमान और ८०७ ईमाई है। कीर्ति है। दुरारोड पर्वत, बांसके जङ्गल तथा गम्य १८६६ में यहां म्य निस्पलिटि स्थापित हुई है। इस पथके पभावसे इस दुर्ग में महजमें नहीं जा सकते । शहरको वार्षिक पाय २६,५००, और व्यय ३४,८०, रास्ता इतना दुर्गम है. कि सिपागड़ो नदोको हो सात १०। यहां दो कालेज, एक शिल्पविद्या सिखानका बार पार करना पड़ता है। यह दुर्ग तियागड़ पर्वत. स्कूल तथा कई एक छोटे छोटे स्कल है। को एक दुर्गम उपत्य करके अपर अवस्थित है। इस दुग। तिम किया-पासामप्रदेश के लखिमपुर जिलेके अन्तर्गत के नीचे एक बड़ा सरोवर है जो पार्वत्य झोलको गाई डिबगढ़ उपविभागका एक प्राम। यह पक्षा० २७ दीख पड़ता है। यह दुर्ग सरोवर चारों ओर दोवारमे २८ उ० पोर देशा० ८५.२१ पू० में अवस्थित है। यहां घिरा इमा है। कंवल दक्षिण-पूर्व की भोर दीवार नहीं एक चिकित्सालय है। आसाम-बङ्गाल और डिवह । दीवार पर्वतके प्रधिरोह और अवरोह के अनुसार मदिया रेलवेका यहां मन न होने के कारण यह स्थान एककमसे पांच शिखरको धेरै हुए है। इस वेष्टित खान दिनों दिन प्रसिद्ध होता जा रहा है। में बहुतसो समतल उपत्यकायें हैं, जिनमें तिवागड़ो सिपड़ा ( पु.) कमवाब बुननेवालोंके करघेको एक नदोको उपनदियां प्रवाहित हैं। उन नदियोंका जल लकडो। इस लकड़ो में तागा लिपटा रहता है और यह प्रायः पहाडके ढालवा स्थानसेन बह कर इधर उधर दोनों बैसरों के बीच में होता है। समतल भूमिमें गिरता है। बहुत से छोटे बड़े सोते उत्पन हिपतूर-महिमुरकै तुमकूर निलेका तालुक । यह पक्षा. भोनका यही कारण है। दुर्ग के समस्त बशको निकट- १३. और १३ २६ ७० पौर दशा• ७६ २१ वर्ती रलदन्द ग्रामके लोगोंने भी नहीं देखा है और पौर ५१ पू०में अवस्थित है। भूपरिमाण ५०८ पहाड़के उस पर जानको सुविधा न होने के कारण वर्ग मील और लोकसंख्या ८०७०८। इसमें चार कोई भी वहां नहीं जा सकता । प्राचार बड़े प्रस्तर- शहर पोर ३८१ ग्राम खगते हैं। खण्डों से गठित है, किन्तु पभी जमको संचाई चिसो तिक्षा हि वि० ) १ जिभ में तोन पत्त या पार्श्व हो। जगह भी ५ फुटसे अधिक नहीं देखी जाती है। पर्वत. ३ जिसमें तीन तागे हो। के दक्षिण-सम शिरके निकट बातसे मकानों के