पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/५८०

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५७६ विमगोस्तुर-तिमलपुरका समुद्र भंयसे किनारा छोड़ कर एक योजन पोछे हट गया १५२२१०में रोवर्ट डि नोवलियस नामक प्रसिद्ध तब वरुणने उता कुगड़ मे निकल तिवादपूर्वक राम जेसुट मदुरा पहुंचे, उस समय मदुराके राजा तिरुमल- चन्द्रको प्रसब किया, तभोमे वह कूप वरुणकुगड नाममे के साथ रामनाद के सेतुपतिका घमसान युद्ध हो रहा, मशहर हो गया है। था। इस युद्धमें तिरुमल जातकार्य न हो सके थे। चक्र, वरुण और गमतो के अलावा यहाँ मेतु और वे हमेशा विजयनगर के राजाको अपनो अधीनताका प्रगम्त्य नाके पर दो तोथं हैं। यात्रिगण नियमपूर्वक चिम्वरूप उपहार भेजते थे, किन्नु एक बार उसको इन पन्नतीर्थो में सान करते है। दर्भयन मूक्ति के अवहेला कर १६५० में विजयनगरके राजकमारने मिवा महालक्ष्मी, श्रीदेवो, भूदेवो, जगवान, कोदगड़ राम तिरुमल पर शासन करने के लिये उग माथ युद्ध-घोषणा स्वामी और सन्तान रामस्वामोक कई एक मन्दिर है। कर दी। इस पर तिकमान तमोर पौर जिञ्जोर नायकोंक मन्दिरों में बहतसे प्राचीन शिलालेख है। साथ मिल गये । विजयनगरको सेनाने जिनो पर पाक तिकरणोत्सर-मलवर जिने में कोटयम् शहरमे ३ कोम मण किया। इधर तिरमल के बहकानेमे मुसलमानों ने भो दक्षिणमें अवस्थित एक ग्राम । यहां के पहाड़ पर ( खुदो विजयनगर पर धावा किया। वे क्रमश: मुमलमानराज्य. ही) एक कन्दरा है। को विस्तार करते हुए दक्षिणमें पा विजयनगरके करद तिनमग्लम्-मन्द्राज प्रदेगके मदुग जिलेका एक तालुक राज्य पर पाक्रमण करने लगे। उम ममय तिरुमल भाग और उसका प्रधान मदर । तालुकका भूपरिमाण ६२५ कर मदुराम पा टिके। अन्तमें वे गोलकुगडा के मुसल- वर्ग मोल है। शहर अक्षा.८.४८२० उ०और देशा. मान राजाओं के साथ मिल कर मरिसर और विजयनग- ७८ ११०पू०में पड़ता है । शहरको लोकसंख्या प्रायः राधिनत अवशिष्ट राज्य पर श्राक्रमण करने लगे। महि- छ हजार है। १५६६ में यहाँ वेशालर जाति पा सुनके राजा उदयारने तिसमलको विश्वामघातकताका कर बस गई है। तिरुमङ्गलागे-यह स्थान तोर जिलेके कुम्भकोणम्मे बदल है बदला लेने के लिये तिरुमल पर पाक्रमण किया। भोषण ४ कोम उत्तर-पूर्व में अवस्थित है यहाँ एक प्राचीन युद्धके बाद मदुरा राजा तिरुमलको जोत हुई. किन्तु शिवमन्दिर जिममें ग्रन्याक्षरमें उत्कोर्ण शिलालेख इसी साल इनका देहान्त हो गया। पाये जाते हैं। तिरुमल देव-विजयनगरके एक पमिद गजा। ये सुधि- तिरुमनुर-विशिरापको जिले के उदयारपलेयम् तालुकके ख्यात राम गजके भाई थे। विजयनगरके नानास्थानों- अन्तर्गत एक प्राचीन ग्राम । यहाँ सुन्दर भास्कर यक्त मे तिरुमल के समयमै उत्कोगा शिलालेख प्रावित हुए एक शिवमन्दिर है। जिसमें कई एक शिलालिपि हैं जिनके पढ़नेमे जाना जाता है कि तालिकोट के युद्ध उत्कोण हैं। में गमराजका अधःपतन होनसे तिरुमलने हो विजय- तिरुमल नायक-मदुराक एक विख्यात राजा। रनका नगरके राजवंशमें प्राधान्य लाभ किया था तथा पत्रकोण्ड प्रकत नाम 'महाराज मान्यराज श्री तिसमल शवेगे- नामक स्थानमें राजधानी बनाई थो। इन्होंने १५६० से मायणि पाय्यलु गारू" था। उन्हनि त्रिशिरापल्लो परि- १५७१ ई. तक राज्य किया था। इन को मृत्य के बाद त्याग कर मदुरामें अपनो राजधानी स्थापन को थी। इन- इनके बड़े लड़के औरङ्ग राजा हुए थे। के यनसे मदुरा सुन्दर राजप्रासाद और बहुतमे देव- तिरुमलपुरमा-उत्तर पार्कट जिलेमें वालाजापट तालुक मन्दिर बने थे। इन्होंने पहले हो पाल बिजय- का एक ग्राम, जो पुल र रेल-ष्ट शनसे २॥ कोस उत्तरमें नगरका पधोनतापाय विच्छिन कर एक बार स्वाधीन अवस्थित है। यहाँ एक अति प्राचीन भग्न विष्णु- होनेको चेष्टा को थो । इम ममय महिसुरने मैना दण्डि- मन्दिर है; जिममें बहुतसे शिलालेख देखे जाते हैं। गुल नामक स्थानमें पाकर उन्हें महायता दो, किन्तु वे तिबेवेलो जिले में भी इसो नामक स्थान है जो तिब। सम्पूर्ण रूपसे पराजित हुए थे। वेलो शहरमे । कोस उत्तर पथिममें पड़ता है। इस