पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

टेहरी-टैमरनियर (भियान वैशिष्टा) यहाँक जङ्गलमें बाघ, चीता, भाग, हरिन तथा जिलाममें पेण होता। सभी पदमौकी पोल तर ताके भैई पाये जाति है । पावरवा गढ़वाल राजा सुनते हैं। राज्यको पाय ३७४०..यो। जिलकी सी है। राजाको ११३ पदातिक मैन्य पीर २ सो रखनेका गढ़वाल जिले के पतिकामको भी दम राज्यका प्राचीन अधिकार है। राज्य भरमें केवल दो पस्सना और एक इतिहास कह सकते है । एक हो बंधक गजा दोनों देश कागगार है। के शामनकार्य चन्नाने थे। प्रधाशाह नामक पन्तिम २ उत्त राज्य की राजधानी : यह पक्षा० ३.२३. गजा गोरग्वायुङमें काम पाये। लेकिन १८.५ ई में और देगा. ७८ ३२१.के मध्य भागोरथो तथा नपान यह ममाल होने पर उनके लड़के सुदर्शनशाहने मेलिङ्ग नदों के मङ्गम स्थान पर अवस्थित है। लोकसंख्या छटिशगवर्मगटमे वर्तमान टेगरी राज्य प्राप्त किया। मन प्रायः ३३८७ है। यह शार भमुद्रपृष्ठसे २२७८ फुट जचा मत्सावनके गदर, सदर्शनगाहने अंगरेजीको ग्वाम है। यहां गर्मी बहुत पड़ती है। इस समय राजा मदद दी थौ । १८५८ ईमें इनका देहान्त हा। बाद शारसे मोल दूर प्रतापनगरमें जा कर रही हैं। पदा. इनके दत्तकपुत्र भवानोशार राज्य के अधिकारो इए। लत चिकित्सालय और स्कून मिया यहाँ अनेक मन्दिर इन्हें एक ममदतथा दसकपत्र ग्रहण कानका अधिकार तथा वम शालायं भो । मिला था । १८७२ ई०ी इनके स्वर्ग वाम होने पर इनके टंभरनियर (जियान बप्टिष्टा)-प्रभिड यरोपीय पर्यटक मन के प्रतापशाह १८८७ ई में सिंहासनारूढ़ हुए। बाद ये मुगल-मामाज्यके शेष युग में भारत-भ्रमणके लिए आये १८८४ ई० में राजा काति गारने टेहरोका मिहामन थे। इनके भ्रममावत्तान्त मे उस युगके अनेक ऐतिहामिक सशोभित किया। उन्होंने नेपाल प्रचाराज जङ्गबहा- तय्य मालम हो सकी। दुरको पोतोको व्याहा था। ये K.CS.I. उपाधिमे टैभरनियरका जन्म १६०५ ई० में मौन्दय के अमर भूषित थे। वत्तमान राजाका नाम नरेन्द्रशाह है। निकेतन पारिम नगरीमें इपा था। उनके पिता एक राज्यमें कुल २४५६ ग्राम लगते है. शहर एक भो फ्लेनिश शिल्पीके पौरमजात थे और उन्होंने देगनप्रणमें बड़ा नहीं है। लोकसंख्या प्रायः २६८८८५ है। सैकड़े हो अपना जीवन बिताया था। टभरनियान भो पिता ८८ हिन्द की मख्या है। राज्य भरमें केवल एक हो का प्रादर्श सामने रख कर पन्द्रह वर्ष की उम्र में हो तहमीन है। पितासे पाज्ञा ले कर देश-चमगा प्रारम्भ कर दिया। धान और गेह यहाँको प्रधान उपज है। राज्यके प्रथमतः पापने यरोपके भित्र भित्र स्थानों में परिभ्रमण पतिम कुछ चाय भी उपजाई जाती है। यहाँसे देवदार, किया और फिर दो फरासोसो संभात व्यक्तियों में घो, धान और पालकी रफतनी होती तथा दूसरे अधीन काम करते हुए पाप प्राचदेशकी तरफ चल दूम देशों मे चोमो, नमक, लोहे. पोतल के बरतन, दाल, दिये। १६३.०के दिसम्बर महोनेमे पापका भ्रमण मसाले और तेलको बामदनी होती है। शुरू हुपा था। रोजमवर्ग, सडेन, भियना, कनस्तान्ति- __राज्य में केवल राजाको हो पूरी क्षमता है। विचार- नोपल पादि स्थानों में भ्रमण करने के बाद पापने उक्त कार्य बजार पधोन है। राजम्ब मादिका मामला फरासीमी सबमीका साथ छोड़ दिया। पीछे एक्सिजि. एक तहसीलदार पौर तोन डिपटो-अलेकरमे होता गेयम, ताव्रिज, स्याहम,बोगदाद, पानोपो पोर स्काणा- है।तीय श्रेणो के दो मजिष्ट्र ट देव प्रयाग और कोतिः रुन पादि स्थानों में घमते हुए पाप १५१९ में समुद्र के नगरमें रहते हैं। हितीय श्रेणीको सामान्य क्षमता गस्त गेम नगरोमें उपस्थित हुए। ११८ में प्राप माल डिप्टी कलेकरके हाथ और प्रथम श्रेणोको वजीर इमरी बार भ्रमणके लिये निकाले। इस बार पापने तथा एक मजिटके हाथ है। मृत्यु दण्ड केदल राजाले मार्शलिमसे से कर स्काडाहम तक भामण किया। से दिया जाता है। दीवानी मुकदमा डिपटौशलेकर पो पाप मिरिया पार होकर सामान और पारसके