पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७२०

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'७०८ · तृफानके शेष होने से पहले हो यन्त्रमें पारदका उनति : पश्चिम-भारतोय होपपञ्जमें वर्षा के शेष हो जाने पर सय देवो है । पिडिटन माह कहते हैं, कि यहो निदर्शन जब मस्तक पर आ जात है. तभी पाया तूफान होता तुफाममें पडे हए नाविकोंक निराश उदय में प्राशाका है। पटलाण्टिक महासागरके उत्तरोय भागमें मञ्चार करता है। जून मासमें ले कर दिमम्बा तक तूफानका ममय किसो किसो तूफान के समय परदकी उपति और है। विशेषतः अगस्त माममें ही कई बार तूफान अवनति अत्यन्त धोरे धोरे और किमो समय प्रत्यन्त प्राता है। दक्षिण भार महामागरमें नवम्बरसे जून शीघ्र शोघ्र हा करती है। जितना शोघ्र यह परिवर्तन पर्यन्स तूफ नका समय रहता है. जिममें जनवरी पोर होता है, तूफानका प्रकोप भी उतना हो अधिक बढ़ना मार्चमाममें सबसे अधिक तथा जन और नवम्बर मासमें है । तूफागके केन्द्र के किमो स्थान पर पाने के ३मे ६ घंटे अस्प हुमा करता है। वङ्गोपसागरमें प्रक वर भोर नव- पहले हो पारद सहमा अवनत हो जाता है। तूफान म्बर मासमें अर्थात् प्रवल उत्तर-पूर्व मौसम वायुके समय प्रकोपले अनुमार इस अवनतिका तारतम्य होता है। इस- में हो प्रायः तूफान होता है । सशिव दक्षिण-पश्चिम में का वेग जब अत्यन्त अधिक होता है, तब यह अवनति मोसम वायु रहने के समय अर्थात् मई पोर जन मासमें २॥ अमे अधिक हो जाती है, अर्थात् यन्त्रस्य पारद भा सूफान हुआ करता है । चोनसागरमें सर्वत्र जनसे २८ पञ्चमे २६३० उच्च पर्यन्स उतर जाता है ! वम्बर मामके मध्य तक पूफानका प्रकोप है जिसमेंसे ____ तूफानका पूर्वलक्षण-तूफान प्रानिक पहले वायु निश्चल सितम्बर में मबसे अधिक और जन मासमें कम होता पोर सूक्ष्म रहता है, नि:खाम प्रवासमें कष्ट मालुम पड़ता है। परवसागरमें दोनों प्रकारको मौसम वायुके समय में है। लमके याद उच्छलभावसे एक एक दिशासे मन्द हो तूफान होता है। मन्द वायु प्रवाहित होता है। तदनन्तर एक घण्टा वा १८वीं शताब्दो के प्रारम्भसे भारतवर्ष और उसके उममे भी अधिक काल तक शान्तभाव लक्षित होता है निकटवर्ती समुद्र में जो भोषण तूफान हो गया है, उसका तथा उसके बाद ही उम दिशासे प्रवल तूफान उठने विवरण अनेक अंग्रेजी पुस्तकों में वर्णित है। मरि लगता है। तूफानके माथ साथ प्राय: विद्युत्, वाघास, रिन ( Henry Pridington ) माहबने, १८३८से मेघ ओर दृष्टि सझटित रातो है । तूफान के पहले ताप- १८५१ ई० तक पय त जो तूफान हुए है उनका विवरण मानयत्र में तापको पधिकता देखो जाता है । इसके लिखा है। इन्होंने पहले परल स्थिर किया था कि भारत. पनि हो तार वट जाता है तथा मेघ और वृष्टि होने और निरक्ष-रेखाके उत्तरके समुद्रों में जो तूफान लगती है। कानके बाद शोतका अनुभव न हो कर पाता है, वहां मवल चक्रवत् परिधाम्यमान घूर्णवायु है। यदि फिर गरमो माल म पड़े तो भमभना चाहिये कि उन्होंने सभी तूफानोका वेग तथा चलनेका रास्ता भी शोघ हो और एक तूफान पावेगा। बड़े बड़े सूफानके स्थिर किया है। ममय समुद्र उहलित और उच्च तरजाकारमें बहुत वेगसे लहराता है और कभी कभी पाम पासके देशोंको भो _____ मद्राज के १०८ मोल उत्तरसे ले कर १२० मोल दक्षिण तकके स्थानों में तूफानका प्रकोप पत्यस पधिक प्लाषित कर डालता है। यह तरङ्ग दो प्रकारको होतो है--एक तो ममग्र चूर्ण वायु हाग विताडित हो कर है। १७४६ से १८८१ ई. पर्यन्त १७ भीषण तूफान इसके आगे भागे चलता है और दूसरी पूर्ण वायके हुए थे जिनसे बहुतों को हामि ईयो। चारों ओर रहनेवाले झटिका चक्रसे सभी दिशाम वोपमागरमें जो भीषण तूफान हो गये है, पेडिक्टम उत्पन्न होती है। पादिको पुस्ताम उनमें १३के उल्लेख है। व्यानफोर्ड

भूमण्डल के किस प्रदेशमें कम किम दिशासे तूफान माहबने हिसाब लगा कर देखा है, कि जनवरी मासमें २,

पाता है यह अब तक अच्छी तरह स्थिर नहीं हुआ है. फरवरोम ०, माची , पमोसमें ५. मई, १७, जूममें ,