पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/७७३

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होय (स. सी.) तु-विर ती पूखें याति या-माया तब-1 नोवधर (म.पु. परतीति पर-पर तोय । विकपः तु-यत् निपातनात् साधुः । १जल, पानी। मेघ, बादल। २ मुस्तक, मोषा। इनिधन २ पूर्वाषाढ़ा नक्षन । लम्गखानसे चोथा खान। थान, एक प्रकारका साग । तोयकर्म (सं.लो. ) तोयेन कर्म । सच। तोयधार ( पु.) तोयानां धारा या। १ मेघ, मोयबाम (स.पु.) तो जम कामयते कम-पप ।। बादल । २ मुस्तक, मोशी । धारि भाष पर. १ परिव्याध वृक्ष एक प्रकारका बैंत जो जल समोप तायसाधा। जसवर्ष उत्पन होता है, बानीर। (नि.) २ जलाभिलापुक, तोयधारा (स.सो.) जलसन्तति, जलसी धारा। बोनस चाहता हो। तोधि (संपु० ) तोयानिवन्त धा-विास तोवध (सं• पु० ) तोयस्य कुम्भ इव । वाम, मेवार ।। सागर। तोमा (म.को.) सोयेन तोयमावपानन रातोयधिप्रिय (स'को०) प्रवातिप्रो- तोधि पियो प्रत । जलमात्र पामरूप व्रतविशेष, एक प्रकारका व्रत यसा। सबक लोग। जिसमें जलक सिवा पोर कुछ पाहार ग्रहण नहीं किया | तोनिधि (संपु.) तोय निधोयतेऽस्मिन, तोय.' मि-धा-कि। समुद्र। जाता। यह व्रत एक महीने सकरना होता है। तोयकोड़ा ( स. सी.) तोयसा कोड़ा इ-तत्। जल- तोयनोगे (म. स्त्री० ) तोय समुद्रोडकं मोयोव यखाः कोड़ा। पार्षेन कप । पृथ्यो। ) तोयचर ( स० वि०.) तोये जले विचरति पर पच । जम. तीयपी ( स. सो. ) १ धावविशेष. एक प्रकारका धान। २ कारबोलता. करेला। .. तीयपाषाणजमन (मो .) खर, पपड़ा। तोयज ( स० वि०) तोये जायते जन-डा। बसन, जा तापिप्पलो (सखो० ) जलपिप्पली। जलसे उत्पन होता हो। तोयपुष्यो (सं० लो०) तीयेन बहुजनदान पुष्पाय- तोयडिम्ब ( स० पु.) तोयमा डिम्बरब। मेधोपला, सा। पाटलाहबपाडर। पोला। । तीयप्रष्ठा (संखो०) तोयतुष्पी देगे। तोयद (म.पु.) सोय ददाति दा-क । १ मेघ, बादल । |तीयप्रसादन (सी .) प्रसादयति प्रसिद-पिसाट २ मुस्तक, मागरमोथा। को०) ३ हत, घो। (वि.) तोयमा प्रसादन। कतशफल निर्म खो। यह पर ४ विधिपूर्वक जन्नदाता, जो विधिपूर्वक जम देता हो। जलमें घिस देनेसे जल परिष्कार हो जाता है। जलदान करनेसे अत्यन्त कम्न होता है। पत्रदान तीयप्रमादनफल (स'• को०) यासोक्सानी पर। करना मानो प्रापदाम करना है। प्राणदानसे अधिक कतकपाल, निर्मली। . और कुछ नहीं है, किन्तु जलके विना प्रबादि भी जि-तीयफला (मो .) तायप्रधान फस यसः । १ ला. जनक नहीं है, समोसे जलदान हो सबसे श्रेष्ठ माना | लताविशेष, तरनको सार्वाक, पकड़ो। गया है। जन्मदाता सब प्रकारको कामना और कोत्ति तायमरी ( संखो.) जलापामार्ग, एकप्रकारको साभ कर पक्ष्यस्वर्ग को प्राप्त होते . और उनके सब | पौषध। जाते रहते है। (भारत शान्तिपर्व )। सायमन (संजी .) समुद्रका फैन। "तोगदो ममुजव्याघ्र! स्वर्ग गत्वा महायुते। नायमच, (सं० पु०) नाय मुवति मुच लिप बस. अक्षयान पमवाप्नोति लोकानिस्यावीन् मनुः ॥" सच, मेघ, बादश । २ मतक, मोथा। .. ' (भारततिप) तय तीययन संको.) १ बालबानार्थ घटो यचविष: R INA तोवदागम (स• पु०) तोयदसा आगमः सत्। मेघा- कालसूचक जलपड़ी। पटीयन्त्र रेखो। २ जना गर्म, वर्गाजत, बरसात। .