पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष नवम भाग.djvu/९४

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___घर छमिहका विद्रोहानल क्रममा प्रचलित होने का जवाब दिया। अब गाफ सममा गये कि विषची लोग लगा।२४ भकोवरको पेगावरको समम्त सिखमेमा विद्रो युद्ध करनेको तयार है। उन्होंने भो अनिमोको युडके हो हो गई। मेजर लारन्म उनको दमनन कर मकमेके लिए तयार होनेको पादेश दिया। इसके बाद ही वर कारण प्राणभयमे कोहाट भाग गये। कोहाटके प्रसिद्ध चिलियनवालाका युद्ध इमा। १८४८को १३ शासनकर्ता दोस्त महम्मदके भाई सुलतान महम्मद थे। जनवर का दिन सिकाका चिरस्मरणीय है। इस बुद्ध उन्होंने पेशावर विभागके किमो स्थानके बदले मेजर शेरमिकको मनाने जैमा असीम साहम, अमित तेज और लारन्म. उमकी श्री और उनके सहकारी मि. वाडईको प्रबल पराकम दिखलाया था, वह पसाधारण है। वास्तव छत्रमिहके हाथ बेच दिया। कनसिह विद्रोही थे। में इस युद्ध में परेजोंकी पराजय हुई थी। उस युद्ध के शेरसिंहने अङ्गार जोंका पक्ष छोड़ दिया है हम मवा-! बाद गाफको सेना अत्यन्त निरुत्साहित हो गई। रम दमे डनकोसी पायम भयभीत हो गये। उन्होने मोचा युधमे बुकक, पेनिकुटक पादि कई एक सेनापति और कि. सिक्खोंने एकत्र हो कर अंगरेजोंके विरुद्ध पुनः प्रायः २४००० मेना मारी गई थी। सिखोने पगारेजोंमे ग्णाङ्गनमें अवतीर्ण होने का विचार किया है। यदि सो तथा ८ पताकाएं छोन ली थौं। यह करते करते ऐसा ही हुआ तो झटिभगवर्मेण्ट पर बड़ो भागे विपद् गत हो गई थी, राषिके शेषाँशमें मिव लोग युद्धक्षेत्रको भाने वाली है। परिजराज्यको रक्षा करनी हो, तो छोड़ कर चले गये थे, मी लिए शायद अगरेज ऐति- अभीसे पूरो मावधानो रखमो चाहिये। ऐसा विचार हासिकोने इस युद्ध का फल प्रमोमांमित पतनाया है। कर वे उत्तरपश्चिम प्रेदेशकी तरफ चल दिये और प्रधान इसके बादसे हो शेरमि'के अदृष्ट पर शनिको दृष्टि सेनापति गाफ साहब को फिरोजपुर में सैन्य समावेश करने पड़ो। २१ फरवरोको सिम्खमेना गुजगतमें उपस्थित के लिए परामर्श दे गये। लार्डगाफ पब सदासीन न : हुई। लाङ गाफने वहाँ जा कर उन पर पाक्रमण रह सके, वे स्वयं युद्ध में व्याप्त हुए और शोध की च भागा किया। अगरेजोको जय हुई। अनारेजोका अदृष्ट प्रति की तरफ उन्होंने एक दल मेना भेज दो। उता नदोके , सुप्रसन था, इसीलिए वे रम युद्ध में जयलाभ करने में वाम तट पर प्रायः १२ मोल दूर गमनगर नामक स्थान समर्थ हुए थे। बड़े लाट डलहौसोने भो रम बातक में परमिह ठहरे हुए थे। इस स्थानमे उनको हटनिके माना है। उन्होंने लिखा है-ईखर के अनुग्रहसे हो लिए चेष्टा को गई। युद्धमें शेरसिंहको हो जय हुई। अगरेजी देना इस तरह जय प्राप्त करने में समर्थ हुई। अगरेज-पक्ष के कर्मल हैब्लम और किउरटन निहत २१ फरवरीको बुद्ध भारतमें अगरेजों के युद्ध के इतिहास में हुए पोके मर जोसेफ कवेन पोर सार्ड गाफ दोनोने चिरस्मरणोय है।" चिलियनवाल के युद्धके उपरान्त उल. मिन कर शेरसिंहको सेना पर भाकलण किया, किन्तु होसीने भयभीत हो कर इग्लैण्ड से सेना मंगाई थौं, उनकी विशेष कुछ क्षति नहीं कर मके। किन्तु उस सेना पाने केसे पहले हो गुजरात के युद्ध में १८४८६०को १२ जनवरोको लार्ड गाफ डिङ्गि लाङगाफने उनके प्रणष्ट गौरवका उद्धार कर दिया। नामक स्थान पर उपस्थित हुए, यहाँ पा कर उन्होंने शेरसि वितस्ताके उस पार भाग गये। उन्होंने पुनः देखा कि पास ही सिख-सेना ठहरी हुई है। शव पोकी युत करनेका सहप छोड़ दिया और पहले मेजर लारेन्स- अवस्थाको प्रको तरह जाननेके लिए उन्होंने मसूल को जो कैद कर रखा था, उनके हारा वे पगारेज-गव. लामक स्थानको जाना विचारा, इसी ममय कुछ लोग में एटको अधीनता स्वीकार करने का उपाय सोचने खालसा यामके मामने पा कर पंजों पर गोलियाँ लगे। बरसाने सगे। लार्ड गाफने उनको डरानेके लिए कुछ इसके बाद, पञ्चाव शासनके विषयमें क्या होना तो दाग कर पाबाज करवाई, पर इससे कुछ फल चाहिये, डलहौसीने पहले ही इसका निचय कर रक्खा दुपा । सिनीकी तरफसे पसंख्य गोलियोंने पाकर इन बा, तर उसको प्रकट करने जरा भी देर न लगो।