फैलाय-फोटोग्राफी
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फैलाव (हिं० स्त्री० ) १. विस्तार, प्रसार । २ प्रचार। फोटोग्राफ ( अं० पु. ) छायाचित्र, फोटो।
३ लम्बाई चौड़ाई।
फोटोग्राफर ( ० पु० ) फोटोग्राफीका काम करनेवाला।
फैशन ( अं० पु०११ चाल, ढंग । २ रीति, प्रथा। फोटोग्राफी ( Photography ) चित्रविद्याविशेष । आज
फैसला ( अॅपु० ) १ दो पक्षों में किसकी बात ठीक है कल इस चित्रविद्याके प्रभावसे हम लोग मनुष्यमात्रकी
इसका निवटेरा । २ किमी मुकदमे में अदालतकी आखिरी प्रतिकृति, पशुपक्षी आदि जीवमूत्ति और देव मन्दिरादि
राय।
बड़ी बड़ी अट्टालिकाओंकी प्रनिच्छवि बातको बातमें
फोंक ( हिं० पु०) तीरके पोछेकी नोक जिसके पास पर
र ले सकते हैं। यह हस्तसाध्य चित्रशिल्पसे
लगाए जाते हैं। इस नोक पर गाढा या खड़ी बनी स्वतन्त्र है। चित्रधिया देखो।
रहती है जिसमें धनुषको डोरी बैठ जाती है । ( वि० )२ इस कला-विद्याकी सहायतामे जो चित्र उतारा जाता
दलालोंकी बोलीमें चार'।
है, उसे 'फोटोग्राफ' कहते हैं । किस प्रकार प्रतिविम्बित
फोकलाय ( हिं० वि० ) दलालोंकी बोलीमें 'चौदह'। चित्रको देखते ही आधार पर वह प्रतिफलित होता है,
फोका ( हिं० पु० ) १ लम्बा और पोला चोंगा। २ मटर उमको आलोचनासे ही इस विद्याका उद्भव हुआ है।
आदि पोली डंठलवाले शस्योंकी फुनगी। ३ फूका सूर्यरश्मिकी शक्तिसे किसी किसी वस्तुमें रासायनिक
देखो।
विपर्यय हुआ करता है। सूर्यालोककी ऐसी परिवर्तन
फोकागोला ( हिं० पु. ) तोपका लम्बा गोला।
शील शक्ति (Actinic influence) रहनेसे तथा रासाय
फोफर ' हि वि० ) १ सावकाश, पोला। २ निःसार .
निक प्रक्रियासे प्रस्तुत आधारविशेषमे वह आलोक-
फोंक।
चालित प्रतिकृति प्रतिभात हो कर विकाश पाती है।
फोंफी ( हि स्त्री० ) १ गोल लम्वी नली, छोटा चोंगा।
इस तस्वका विशेष अनुशीलन ही फोटोग्राफीकी उन्नति-
२ वह पोली कोल जो नाकमें पहनी जाती है, छूछी। ३
का प्रधानतम कारण है।
सोनार लोहार आदिकी आग धौंकनेकी नली जो बांस-
आलोककी सहायतासे चित्र उतारा वा लिखा जा
की बनी होती है।
फोक ( हि पु० ) १ सार निकल जाने पर बचा हुआ
सकता है, इसी कारण उसे कलाविद्याके अन्तर्निविष्ट
किया गया है। जीवित वा मृत, खनिज, उद्भिद् और
अंश, सीठी । २ तुष, भूसी। ३ स्वादहीन वस्तु,
जीव प्रभृति जागतिक पदार्थोंमें आलोकको कार्यकारिता-
फीकी या नीरस चीज । ४ सूक्ष्म पुष्पी, एक तृणं जिसका
साग बना कर लोग खाते हैं। यह साग मारवाड़की ओर
का लक्ष्य करके हम लोग अनुसन्धिस्सु होते हैं, यही
उक्त विद्याका वैज्ञानिक लक्षण है।
होता है। वैद्यकमें इसे रक्त पित्त और कफनाशक तथा
अभी फोटोग्राफी विद्याकी एक शौकीन कलामें
रेचक और ठंढा बतलाया है।
फोकट (हि वि० ) तुच्छ, व्यर्थ ।
गिनती की गई है। हमें मनस्तृनिकर चित्रोंकी आवश्य-
फोकला (हिं० पु०) किसी फल आदिके ऊपरका छिलका। कता है इस कारण फोटोग्राफरको शरण लेनी पड़ती
फोकस (अं० पु० ) १ वह बिन्दु जहां पर प्रकाशको छित- है। इस प्रकार आवश्यक समझ कर बहुतोंने वर्तमान
राई हुई किरनें एकत्र हो। २ फोटो लेनेके लिये लेंस समयमें इस विद्याको बड़े चावसे सीख लिखा है।
परन्तु प्राचीनकालमें सिले (Schelee),रीटर ( Ritter ),
द्वारा उस वस्तुकी छायाको जिसका छायाचित्र लेना है.
नियत स्थान पर स्थित अपसे लानेकी क्रिया।
सीवेक (Sccheck ), बरथोलेट (Berthollet), धेकारेल
फोग (सपु०) शाकविशेष ।
(Bacquerel ), उल्स टन ( IIollanton), डेभी (Sir.
फोर (हि.पु. ) स्फोट टेखो।
H::mphrey-Dary), वेजउड (Thonas Telguoud).
फोटो (अ.पु. ) फोटोग्राफीके यन्त्र द्वारा उतारा हुआ इ (T. Young) और हर्सल (Two ller chess) आदि
निल, छायाचित्र ।
महापुरुषगण बड़े परिभमसे इसकी वैज्ञानिक भित्तिको
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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/१२३
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