पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पसिध-वस्तार २४६ वसिष्ठ-पसिष्ठ देखो। बसेरो (हिं० वि०) निवासी, रहनेवाला। बसीकत (हिं० स्रो०) १ वस्ती, आबादी । २ बसनेका बसोबास (हिं० पु० ) निवासस्थान, रहनेकी जगह । भाव या क्रिया, रहन । बसौंधी (हिं. स्त्री० ) एक प्रकारकी रबड़ी जो सुगंधित बसीकर (हिं० वि० ) वशीकर, वशमें करनेवाला । और लच्छेदार होती है। बसीठ (हिं० पु.) १ दूत, संदेसा ले जानेवाला । बस्ट ( अ० पु०) चित्रकारीमें वह मूर्ति, चित्र वा प्रतिकृति पसीठी (हिं. स्त्री०) दौत्य, दूतका काम । | जिसमें किसी व्यक्तिके मुख अथवा छातीके ऊपरके बसीत (अ० पु०) एक यन्त्रका नाम जो जहाज पर सूर्य- भाग मात्रको आकृति बनाई गई हो। का अक्षांश देखनेके लिये रहता है, कमान । बस्त (सं० पु०) बस्त्यते यशार्थ वध्यते इति वस्त-घम् । बसु (सं० पु० ) वसु देखो। १ आदित्य, सूर्य । २ छाग, बकरा। बसुकला (हिं० पु० ) एक वर्णवृत्त जिसे तारक भी कहते बस्तक (सं० क्ली० ) शाकम्भर लवण । बस्तकर्ण ( स० पु० ) वस्तकर्ण अर्श आदित्वादच । १ बसुदेव-वसुदेव देखो। शालवृक्ष, शालका पेड़। २ अजकर्णक । ३ असनाका बसुधा --सुधः देखो। पेड़, पीतशाल वृक्ष। बसुन्धिया-यशोर जिलेके अन्तर्गत एक ग्राम । यह · बस्तगन्धक (सं० पु० ) अरुणतुलसीवृक्ष। अक्षा०२३८० तथा देशा८२४ पू०के मध्य अव- बस्तगन्धा (सस्त्री०) बस्तस्य गन्ध इव गन्धो यस्याः। स्थित है। यहां यशोरको प्रधान हाट लगती है। नाव १ अजगन्धा, अजमोदा। २ क्षेत्रयमानी। बाग चीनी, चावल आदि यशोर लाया जाता है। बस्तगन्धाकृति ( सं स्त्री० ) पुत्रदात्री लता। बसुमती-वसुती देखो। बस्तमोदा ( स० स्त्री० ) वस्त छागं मोदयतीति मुद्- असुरहाट-१ बङ्गालके २४ परगनेके अन्तर्गत एक उप- : णिच्-अण् । १ अजमोदा। २ बनयमानी। विभाग। भूपरिमाण बस्तर (हि.पु०) वस्त्र देखो। ... २ उक्त उपविभागका प्रधान नगर और विचार सदर। बस्तवासिन् ( स० नि०) बकरेको तरह शब्द करनेवाला । यह अक्षा० २०४० उ० तथा देशा० ८८ ५३ ३५ पू०के बस्तशृङ्गो ( स० पु० ) मेषङ्गी, मेढासींगी। मध्य अवस्थित है। यहां दोवानी और फौजदारी अदा- बस्ता (फा० पु०) कपड़े का चौकोर टुकड़ा जिसमें कागज- लत लगती है। के मुह, बहीखाते और पुस्तकादि बांध कर रखते हैं। बसुला (हिं पु०) बचूला देखो। बस्ताण्ड (सं० क्ली० ) छागाण्ड । पसूला (हिं०.पु. ) लकड़ी छोलने और गढ़नेका बढ़ईका बस्तान्त्री ( स स्त्री० ) बस्तस्येव अन्नमस्याः, गौरादि- एक हथियार। यह बेंट लगा हुआ चार पांच अंगुल त्वात् कोष । छागलान्त्रोक्षप। पर्याय-घषगन्धाख्या, चौड़ा लोहेका टुकड़ा होता है जो धारके ऊपर बहुत मेषान्त्री, षपलिका, अजान्त्री, बकड़ी । इसका गुण - भारी भार मोटा होता है। यह ऊपरसे नीचेकी ओर कटु, कासरोगनाशक, वीजप्रद और गर्भजनक माना • चलाया जाता है। गया है। बसूली (हिं० स्त्री०) छोटा बसूला। बस्तार-मध्यप्रदेशके बांदा जिलान्तर्गत एक मिनराज्य । बसेरा (हिं० वि० ) १ बसनेवाला, रहनेवाला। (पु.)२ यह अक्षा० १७४६ से २०१४ उ० तथा देशा० ८०२५ . वह स्थान जहां रह कर यात्री रात बिताते हैं, टिकनेकी | से ८२.१५ पू०के मध्य विस्तृत है। भूपरिमाण १३०६२ जगह । ३ वह स्थान जहां चिड़िया ठहर कर रात बितातो धर्गमील है। इसके उत्तरमें कानकर राज्य, दक्षिण- है। ४ टिकने या बसनेका भाव, बसना, आवाद में मन्द्राजका गोदावरी जिला, पश्चिममें चांदा जिला, रोना। हैदराबाद राज्य और गोदावरी नदी तथा पूर्वमें जयपुर Vol xv.. 63