पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२८९

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२८३ समय दानियाल (Dantel) ने जेरेमियाकी भविष्यवाणी- आकुइला, थियोडोसियन और सिमाकस नामके तीन का उल्लेख किया है। अवरोधसे मुक्त हो उन्होंने इस्रा- ग्रीक अनुवाद श्री सदीमें रचित हो ओरिगनके हेक्मा- एलके प्रति ईश्वरप्रोक्त मोजेस गाथाके पुनरुद्धारके लिये : प्लायमें रखे गये थे। तत्पश्चात् १ली शताब्दी में सिरीयक, एजरासे अनुरोध किया । एजरा बहुत परिश्रमसे इस रीमें कोष्टिक, ४थोमें इथिओपिक, ५वीं में आमेनियनोंक पवित्र वाक्यावलीकी एक प्रतिलिपि संग्रह कर गये। सेष्ट्रआजिन्टके आधार पर पूर्व और उत्तर बाइबिल यहूदियोंका उसकी पाठशुद्धिकी रक्षा करने में विशेष ध्यान : खण्ड रचा गया। इसके सिवाय १लो या २री शताब्दीमें था । जोसेफस (Joseplans )-ने लिखा है. कि उनके । इतालोय, ४थी शताब्दीमें उलफिलसके गथिक अनु- समयसे ले कर आत जरक्षस ( Artaxerst)राज्य- वादकी असम्पूर्ण प्रति पाई गई है। काल तक किसीने भी इस पवित्र प्रथका कलेवर बढ़ाने पहिले जिन सब प्रन्थों का उल्लेख किया है, वे मूल की कोशिश न की। हिन पुस्तकके अंशविशेषके अनुवाद मात्र हैं। प्रकृत इंसाको २री सदीसे छठी सदोके मध्य यहूदिओं का संग्रहाकारमें अथित इस पुस्तकको जो एक प्रति मुरा- 'तालमुद' नामका धर्मग्रंथ रचा गया । उसमें विभिन्न टोनिओं के धर्मशास्त्रमें देखी जाती है वह १७०ई० में बाइविलोंका शब्दविन्यास और पाठभेद उल्लिखित है। लिखी गयी थी। इसका प्रथम और शेष भाग नहीं तालुमुदके समाप्त होने पर टिवेरियाके मसोराइट लोगोंने मिलता। जो कुछ पुस्तकमें लिखा है उससे जाना ( Masorites of Tiberias ) बहु परिश्रम स्वीकार कर जाता है, कि पवितात्मा माके सुसमाचारसे इस प्रथका ग्रंथशुद्धि करनेका संकल्प किया (१) उद्बोधन हुआ है। किन्तु वीच बीचमें छूट भी है। सिरीय हिव्र धर्मशास्त्रके समारिटन पेन्टाटूक (२) ( Samat- ' लोगों का पेशिटो (the peshito ) प्रथ अविकल ritan Penta tench) और सेप्टुआजिन्ट (Septungint) अनुवादित तो हुआ है पर उसमें कोई कोई अंश छूट नामक प्रथका प्रोक अनुवाद ही सर्व प्राचीन है । आज गया है। कल जो समारिटन पेन्टटुक देखने में आता है वह प्राचीन युसिवियस् (Eusely us)को उत्तर खण्डकी जो प्रति हिव समारिटन प्रथकी नकल मात्र है। ओरिगेन : मिली थी वही आजकल जनसाधारणकी आग्रहकी वस्तु राजाके राजत्वके पहले समारिया वासियोंने इस प्रथको हो रही है। वे इस प्रथके दो हिस्से कर गये थे। एक प्रस्तुत किया था।७० धार्मिक महापुरुषोंने प्रीक अनुवाद किया था इस कारण इसका नाम 'सेन्टुआजिंट पड़ा ।(३) चलता है, कि आलेकसंद्रियाके पुस्तकागारकी रक्षाके लिये टलेमी फिलाडलफस ने स्मृति-ग्रन्थके लिये (१) विभिन्न समालोचकोंका इस विषयमें विभिन्न : जेरुसेलमके सर्व प्रधान पुरोहित पलियाजारको लिख मत है। कोई कोई कहते हैं, कि उन्होंने पाठशुद्धि कर भेजा था। तदनुसार उन्होंने बारह जातिमेंसे छः छः प्रन्थको पवित्रताकी रक्षा की थी। दूसरे कहते हैं, करके १२ व्यक्तियों को अनुवादके लिये भेजा । जो कि इससे ग्रन्थकी पवित्रता नष्ट की गई है। क्योंकि, | कुछ भी हो, सेन्टुयाजिन्ट प्रथ जो विभिन्न व्यक्तियों के इसमें पूर्व पुरुषों के मुखसे निकले हुये शब्द नहीं हैं; द्वारा लिखा गया था उसके बहुत प्रमाण मिलते हैं। किन्तु इस विषयमें उनकी सद्विवेचना और परिश्रम पेन्टाटुक ग्रन्थ भी इसी प्रकार टेलमीलेगस वा उसके सबको मान्य है। पुत्र फिला डेलफसके राजत्वकालमें लिखा गया था, (२) इस प्रन्थको मौलिकताको बहुत लोग स्वीकार इसमें कुछ भी संदेह नहीं है। ईसाके जीवितकालमें नहीं करते। यह पुस्तक यहूदिओं के आदरकी विशेष सामिग्री थी। (३) कोई कोई कहते हैं, कि यह प्रन्थ उसके प्रमाण उत्तरखएडमें कई जगह लिखे गये हैं। यहूदियों की 'सानहेद्रिम' महासभामें ७७ सभ्यों के पश्चात् ईसाइयोंके प्रथालोचनामें प्रवृत्त होने पर उन्होंने द्वारा अनुमोदित हुआ था। अन्य उपाख्यानों से पता ! इस ग्रंथका परित्याग कर दिया ।