पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/२९४

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बाग-बागलकोट सम्राट मदम्मदशाहके राजत्वकालमें बङ्गालके नवाब स्वभावसे ही सबल ढ़काय होते हैं। पुरुष मायके वाल जाफर खां द्वारा जो जरीप कराई गई, उसमें वाखरगञ्ज छटवाते हैं, किन्तु दाढ़ी रखते हैं। इनकी रमणियोंका और सुन्दरबन जहांगीरनगर बाकलाके अन्तर्भुक रहा। वेश भूषा ठीक हिंदू-रमणी सरोखा है। . वाजार में फल, बङ्गाल इष्टइण्डिया कम्पनीके हाथ आनेके वाद १७६५-१८१७ शाक सब्जी आदि बेचनेमें ये पुरुषोंकी सहायता करती ई० तक यह स्थान ढाकाके राजस्व-संग्राहकके अधीन था। हैं। ये लोग अपनी श्रेणिमें ही विवाहादि करते हैं। किन्तु यहांके बिचार-कार्य के लिये स्वतन्त्र जज और मजि- सामाजिक नियमके भग करनेवालोंको चौधुरी प्टेट नियुक्त थे। उस समय कृष्णकाटी और खौराबाद देते हैं। मुसलमान होने पर भी ये लोग गुप्तरूपसे नदीके सङ्गमस्थल पर वाखरगञ्ज नगरमें ही इसकी अदा- हिंदू-देवदेवीको पूजते हैं तथा उत्सव करते हैं। विवाहादि- लत प्रतिष्ठित थी। में काजोको बुलाते हैं । ये लोग हनफी संप्रदायभुक्त १८०१ ई०में विचार-विभागके वरिशाल नगरमें उठ सुन्नी मुसलमान हैं . इनमें कोई भी कभी कलमा पाठ आनेसे वह स्थान जनशून्य और परित्यक्त हो गया। नहीं करता। दूसरे वर्ष इस जिलेकी आकृति बहुत कुछ बदल गई। बागबानी (फा० स्त्री० ) १ मालोका पद। २ मालीका इस जिलेमें ५ शहर और ४६१२ ग्राम लगते हैं । जन- काम । संख्या २० लाखसे ऊपर है। मुसलमानोंकी संख्या बागर ( हिं० पु० ) १ नदी किनारेकी वह ऊची भूमि सबकौमोंसे ज्यादा है। जहां तक नदीका पानी कभी पहुँचता ही नहीं। बरिशाल, बाखरगञ्ज, बउफल, नलछिटी, झालकाटी २ बांगुर देखो। और पिरोजपुर नगर यहांके प्रधान स्थान हैं। यहांके बागलकोट --बम्बई के बीजापुर जिलेका एक तालुक। यह अधिवासो बडे. हो दुर्द्धर्ष हैं। डकैती, मारपीट और अक्षा० १६४ से १६२८ उ० तथा देशा० ७५ २६ से खूनी मुकदमेंको पेशी बरिशालमें बहुत देखी जाती है। ७६३ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमण ६८३ वर्ग- लोगों का अत्याचार जैसा क्षतिकर है, तूफान, बाढ़ आदि मील और जनसंख्या प्रायः १२३४५६ है । इसमें १ शहर भी वैसा हो शस्यादिके लिये हानिकारक है। और १६० ग्राम लगते हैं। जिले भरमें यहांका जलवायु विद्याशिक्षामें यह जिला बहुत उन्नति कर रहा है। बहुत अच्छा है। अभी कुल मिला कर ३०७४ स्कूल हैं जिनमेंसे एक शिल्प- २ उक तालुकका सदर। यह अक्षा० १६११ उ० कालेज है। स्कूल के अलावा ४१ अस्पताल और चिकि- । तथा देशा० ७५४२ पू०के मध्य अवस्थित है । जनसंख्या त्सालय हैं। । उन्नीस हजारसे ऊपर है। यहां रेशमी और सूती कपड़े बाग ( अ० पु० ) १ बाटिका, उपवन, उद्यान । २ लगाम । का विस्तृत कारबार है। शहरसे ढाई कोस दूर मुख- बागडोर ( हि स्त्रो० ) १ वह रस्सी जो घोडे की लगाममें : कन्दि नामक स्थानमें एक बड़ी पुष्करिणी है। उसके बांधी जाती है और जिसे पकड कर साईस लोग उसे जलसे खेतीबारी होती है । शहरमें सब-जजकी अदालत, टहलाते हैं। २ लगाम । अस्पताल और एक म्युनिसिपल स्कूल है । कहते हैं, कि पागना (हिं० कि० ) चलना, फिरना। पहले यह स्थान सिंहलाधिपति रावणके गायकके अधि- बागवान (फा० ३०) वह जो बागकी रखवाली, प्रबंध और कारमें था। १६वीं शताब्दीमें विजय नगरके राजाने इस सजावट आदि करता हो, माली। पर दखल जमाया। १६६४से १७५५ ई०तक यह सव- बागवान्--बम्बई प्रदेशकी धारवाड़ जिलावासी माली नूरके नवाबके अधिकारमें रहा। पीछे पेशवाने उसे जाति-विशेष। आचार व्यवहार इन लोगोंका बहुत कुछ छीन कर अपने राज्यमें मिला लिया। १७७४ ई०में यह कुणवा जातिके समान है। औरङ्गजेब बादशाहकी अमल- हैदरके हाथ लगा, पीछे पेशवाने उसका पुनरुद्धार किया। दारीमें लोग मुसलमानी धर्ममें दोक्षित हुए हैं। ये पेशवाके समय शहर में एक टकसाल थी। जिसमें १८३५