पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३०२

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बाजार-बाजोरावरघुनाथ (२१)

बाजार-युक्तप्रदेशके सीमान्त प्रदेशके अन्तर्गत एक बाजितपुर-तैरभुक्तके अन्तर्गत एक प्राचीन नगर । प्राचीन नगर। यह कालीपाणी नामक नदीके किनारे | (ब्रह्मर ० ४७।१४८-१५५) अवस्थित है। स्वात और सिन्धुनदके मध्यस्थलमें बाजिताग्राम---बङ्गालके बीरभूमके अन्तर्गत एक प्राचीन अवस्थित रहने के कारण इस स्थानने प्राचीन भारतीय प्राम। यह मयूराक्षीसे ४ कोस उत्तरमें अवस्थित है। वाणिज्यका केन्द्रस्थान अधिकार किया था। काबुल, . . (देशा० ५७१२४) मध्य एशिया आदि नाना स्थानों से माल यहांके बाजिप्रभु -एक महाराष्ट्र-सेनापति । १६६५ ईमें जब बाजार में जमा होता था, इसीसे इसका 'बाजार' नाम मुगलसेना शिवाजीका गर्व खर्च करने के लिये आगे बढ़ो, पड़ा। इसके सन्निहित दन्तालोक पर्वत पर अनेक उस समय ये मावली और हेटकारी मराठा-सेना ले कर बौद्धगुहा-मन्दिरों का ध्वंसावशेष देखने में आता है। पुरन्धर-दुर्गमें मौजूद थे। मुसलमान-सेनापति मिर्जा, बाजारगांव-मध्यप्रदेशके नागपुर जिलान्तर्गत एक प्रसिद्ध राजा जयसिंह और दिलेर खाँके पुरन्धरकी ओर बढ़ने प्राम। पूर्व कालसे ही वेरार और बम्बई नगरके साथ पर घे असीम साहससे उसके साथ युद्ध में प्रवृत्त हो यहांका विस्तृत वाणिज्य चला आ रहा है। आमदनी गये। कई एक युद्धोंके बाद मुगलसेनाने दुर्गके निम्न और रफ्तनी रेलगाड़ी द्वारा ही होती है । इसके देश पर अधिकार जमाया। किन्तु हेटकारी मराठासेना दक्षिण भागके ध्वंस-प्राय दुर्गका नागपुरराज जानो- ऊपरसे गोली बरसाने लगी जिससे शत्र गण भाग जाने- जीके पांच हजारी सेनापति द्वारकोजी नायक शासन को वाध्य हुए। इसी समय मावली-सेना भी मुगल- करते थे। प्रायः ८५ वर्षे पहले द्वारकोजीने वह दुर्ग सेना पर टूट पड़ी। अच्छी तरह परास्त हो जाने पर बनबाया था। । भी मुगल-सेनापतिने फिरसे लड़ाई ठान दी । इसी बीच बाजारी ( फा० वि० ) १ बाजार-सम्बन्धी, बाजारका । २ शिबाजीने कौशलपूर्वक मुगलसेनापति जयसिंहसे सन्धि साधारण, मामूली । ३ अशिष्ट । ४ मर्यादारहित, । करके इस युद्धका अवसान किया । इस युद्ध में बाजिप्रभुः बाजारमें इधर उधर फिरनेवाला । । ने बीरोचित साहसका परिचय दिया था। बाजारू (हिं० वि० ) बाजारी देहा। बाजी ( फा० स्त्री०) १ शर्त, दाँव, बदान । २ खेलमें प्रत्येक बाजिघोरपड़े एक महाराष्ट्रीय सामन्त, मुधोलके अधि- खिलाड़ीके खेलनेका समय जो एक दूसरे के बाद क्रमसे पति । इन्होंने १६४६ ई में वीजापुर-सरकारके पिताके प्रति आता है, दाव। निर्दय व्यवहार किया था । उस कृत पापके प्रायश्चित्तके वाजी ( हिं० पु.) १ घोड़ा। २ बजनिया। लिये १६६१ ई०में शिवाजीने स्वयं उनके विरुद्ध यात्रा बाजीगर ( फा०पु० ) ऐन्द्रजालिक, जादूगर । कर दी। घोर-पड़े पकडे गये और निहत हुए । उनके वाजीराब (१म )-एक महाराष्ट्र पेशवा, बालाजी राव आत्मीय और अनुचरवर्गने अपने मालित्रका पदा- विश्वनाथके पुत्र । १७४० ई०में इनकी मृत्यु हुई। नुसरण किया। मुधोल नगर लूट जानेके बाद जला विस्तृत विवरण पेशवा शब्दमें देखो। दिया गया। बाजीरावरघुनाथ (श्य)-महाराष्ट्रके नवम पेशवा । १७६५ बाजितपुर---मैमनसिंह जिलेके किशोरगा उपविभागका ईमें सप्तम पेशवा माधवराव नारायणको अपघात एक शहर । यह अक्षा० २४१३ उ० तथा देशा० १०५७ मृत्युके बाद वे महाराष्ट्रपेशवा पद पर अभिषिक्त हुये। पू०के मध्य अवस्थित है । जनसंख्या दश हजारसे किन्तु महाराष्ट्र मन्त्रिसभाके कार्यविपर्ययसे कुछ समय ऊपर है। पहले यहां बहुत बढ़िया मसलिन तैयार तक उनके कनिष्ट भ्राता 'चिमनाजी माधोराव'ने पेशवा होता था जिससे इसकी सुख्याति दूरों फैल गई थी। हो कर महाराष्ट्रका शासन किया था। मसलिन संग्रह करनेके लिये इष्ट-इण्डिया कम्पनीकी यहां चिमनाली मावसब देखो। एक कोठी ( Factory ) भी थी। १७७६ ईमें मंत्रिदलकी प्रार्थनाके अनुसार जब