पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३४७

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बालाघाट-बालाजी भावजी पूर्व में विलासपुर और द्रग जिला, दक्षिणमें भण्डार और मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण १६८७ वर्गमील और पश्चिममें सिवनी है । बुहरनपुर इसका विचार सदर है। जनसंख्या प्रायः २४६६१० है। इसमें बालाघाट नामका • यह जिला साधारणतः तीन भागोंमें विभक्त है। शहर और ५८२ प्राम लगते हैं। इस तहसीलमें धेन- दक्षिण अर्थात् पहला भाग समतल और सबसे निम्न है। गङ्गाके दोनों किनारे धान खूब उपजता है । दूसरा मानतालुक नामक उपत्यका भूमि है और तीसरे ३ बालाघाट तहसीलका एक शहर । यह अक्षा० भागमे रायगढ़बोछिया नामक अधित्यकाप्रदेश पड़ता २१४६उ तथा देशा० ८००१२ पू०के मध्य अवस्थित है। पहले विभागमें बेणगङ्गा, बाघ, देव, घिसरी और शोण है। जनसंख्या प्रायः ६२२३ है। शहरमें १ मिडिल नदी बहती है । १ला और २रा भाग बनमालासे समा- इङ्गलिश स्कूल, १ बालिका स्कूल और १ अस्प- च्छन्न है। ३रे भागकी सर्वोच्च पर्वतभूमि समुद्रपृष्ठसे | ताल है। ३ हजार फुट ऊंची है। इस पार्वत्यप्रदेशके स्थान- बालाघाट-बेरार राज्यके अन्तर्गत एक पहाड़ी भूमि। विशेषमें घना जंगल नजर आता है। देवनदीके किनारे यह एजेण्टा पर्वतके ऊपर अवस्थित है। दाक्षिणात्य- कटङ्ग नामक एक प्रकारका वांस उत्पन्न होता है जिसको अधित्यका भूमिकी यही सर्वोत्तर सीमा है। ऊंचाई १०० फुटके करीब होगी। ऐसा सुन्दर बसका बालाजी आवजो · महाराष्ट्रकेशरी छत्रपति शिवाजीकी जंगल और कहीं भी देखनेमें नहीं आता । इस वन्य | शासन सभामें नियुक्त एक प्रभु-कायस्थ 'चिटनीस' विभागमें गोंड और वैगा जाति अधिक संख्यामें रहती है। अर्थात् मन्त्री। आप हरि रामाजोके पौत्र और आबजी किसी किसो झरनेमें सोना पाया जाता है। अलावा | हरिके पुत्र थे। आपके पिता पुश्तैनीसे हबसीराज-सर- इसके लोहा, सूरमा, गेरूमट्टी और अबरक भी बहुतायतसे कारमें दीवानका कार्य करते थे । आवजी हरि जब जैजुरी पाया जाता है। में खण्डोवाको पूजा करने गये थे, उसी समय हबसी- महाराष्ट्र-आक्रमणके पहले इस स्थानके दक्षिण भाग- राजकी मृत्यु हो गई । इससे उनके शाति शत्रुओंने अफ- का कोई इतिहास नहीं मिलता ; किन्तु उसके सौ वर्ष वाह फैला दी, कि आबजी हरिकी पूजाके कारण ही राजा- पहलेसे ही नागपुरके भोसले सरदार इस प्रदेशका शासन की मृत्यु हुई है। इस पर राज्यको तरफसे आबजी करते आ रहे थे। मराठोंकी अमलदारीके पहले उत्तरी हरिको वंश सहित समुद्र में डुबो देनेका आदेश हुआ। उच्चभूमि पर गडामण्डलके राजवंश प्रतिष्ठित थे । प्रस्तर उनके तीनों पुत्र बालाजी आनजी, श्यामजी आवजी और निर्मित बौद्धमन्दिरसे यहांकी पूवसमृद्धिकी कल्पना की चिमनाजी आवजी माताके साथ राजापुर-बन्दर पहुं- जाती है। लक्ष्मण नामक किसी व्यक्तिके उद्योग और चाये गये। वहां पर वालाजी आवजीके मामा बिसजी अध्यवसायसे १८१० ई०में नाना स्थानोंसे लोग आ कर शंकरने २५ होन मुद्रा दे कर चारोंको खरीद लिया। यहां बस गये । परशबाड़ा और तन्निकटवत्ती ३० बालाजीकी माताने बड़े परिश्रमसे ५ होन मुद्रा परिशोध प्राम अभी श्यामल शस्यों बसे पूर्ण हो इस उपनिवेशको की। बादमें शिवाजीने बालक बालाजीके सुन्दर हस्ताक्षरों श्रीवृद्धिका परिचय देते हैं। पर प्रसन्न हो कर अवशिष्ट २० होन मुद्रा दे कर इन्हें इस जिलेमें बालाघाट नामक १शहर और १०७५ ग्राम मोल ले लिया और १६४८ ई में उन्हें अपने यहां चिट. लगते हैं। जनसंख्या ३ लाखसे ऊपर है। विद्याशिक्षामें | नीसी पद पर नियुक्त किया। इस जिलेका स्थान बारहवां पड़ता है। अभी यहां १ मिडिल चिटनीस ( Secretary )का पद प्राप्त होने के बादसे इङ्गलिश स्कूल, ३ वर्नाक्युलर मिडिल स्कूल और ६२ ही बालाजीकी भाग्यलक्ष्मीने पलटा खाया। शिवाजीके प्राइमरी स्कूल है। स्कूल के अलावा ६ अस्पताल भी हैं। कार्य में इन्होंने अपना तन-मन न्योछावर कर दिया। उन- २ उक्त जिलेकी एक तहसील। यह अक्षा० २१.१६ के सभी गुप्त कार्य बालाजीके द्वारा होते थे। अफजल से २२५. उ० तथा देशा० ७६ ३९ से ८० ४५ पू०के खाँकी हत्या, सम्भाजी और जीजीबाईको मुक्ति, दिल्ली में Vol. xv. 86