पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३५७

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पालिद्वीप पश्चात् करङ्ग सेमके खजाओने इस प्रदेश पर अधि. उन्होंने बदोंगके मफेल तिगि लोगोंकी सहायता पा बहुतों- कार जमाया। किन्तु राजपुत्रोंके आपसी वैमनस्यके | को अपने दलमें रिलाया और अपने आपको मेंगुइके 'पुङ्गवा कारण राज्यमें बहुत हुल्लड़ मचा। अन्तमें जव करेग नामसे प्रसिद्ध किया। उनके तीन पुत्र गोष्ठी वयहनतगे, असेम, बोलेलेङ्ग प्रदेश दो राजकुमारोंको दे दिये गये तो गोष्ठीन्योमन तगे और गोष्ठो कोटुट कदि नामके थे। इन- उनका विवाद मिट गया। वर्तमान राजभ्राता गोष्ठी में द्वितीय पुत्र न्योमनने ही इस वंशके प्रभावको फैलाया जेलन्द ग यहांके सर्वेसर्वा हैं। और अपने वंशधरोंके लिये राजाका सिंहासन सदाके ७ तबानान्-ये राजवंशवाले अपनेको आर्यडामरको | लिये स्थापित किया। ये साहसी, चतुर और योद्धा संतान बतलाते हैं। राजाकी उपाधि रटू नप्र र अगुङ्ग थे । इन्होंने स्वयं प्रमिवंशीया स्त्रीके साथ विवाह है। बास्तवमें ये किसीके साथ झगड़े में नहीं फंसते | किया था। उनकी एक सालोका विवाह क्लोङ्ग कोके थे। मेंगुइ-राजके विरुद्ध युद्ध करने पर मार्गप्रदेश साथ हुआ था। यह स्त्री अपने पतिके साथ सती हई इनाममें इनको मिला । तवानन्के कोई 'पुङ्गब' मार्गके | थी। इनकी और दूसरी बहनों का विवाह मेंगुइकी शासनकर्ता थे। ये वैश्य नहीं थे। बालिद्वीपमें इन गोष्ठी अंगुके साथ किया गया था। इस प्रकार प्रताप- शूद्रराजाओंको छोड़ और कोई भी शूद्र राजा नहीं हुए। शाली आत्मीय कुटुम्ब से व्याप्त हो द्वितीय न्योमन अपनी इनके पुरखे पहले ताड़ी बेचते थे। मेंगुइ राजाकी दयासे क्षमता फैलानेके लिये प्रयास करने लगे। कब उन्होंने ये "पुङ्गब” हो गये ये । मेंगुइ राजाके बाद यह स्थान मेंगुइ-राजको हराया इस विषयका अभी निश्चय नहीं तवानान राज्यमें आ गया । ये अपने पदकी रक्षा करने में हुआ है, तो भी उनके पुत्र और पौत्र उक्त राज्यके पुजन्य समर्थ हुए थे। थे इस बातका अनुमान किया जा सकता है। उनके ८ बदोग-( बन्दनपुर ) पहिले यह प्रदेश मेंगुइ बाद गोष्ठी नप्र र जम्बेमिहिकने राजा किया। इनके दो और आर्य बेलेतेङ्गाके पिनतिाराज्यमें शामिल था। पुत्र थे। पहलेका नाम था अनक अगुङ्ग जदे गलोगोर तबानानराजगोष्ठीके किसी सारने इस राजाको और दूसरेका भनक अगुङ्ग तल रिङ्ग वतु फोटोक स्थापन किया था। ये 'नपूर बोला, वा अनक अगुङ्ग तगेल। उन्होंने गालागारमें राजा स्थापन किया । रिङ्गबुयाहन भूमितबानान नामसे प्रसिद्ध थे। इस | क्रोटोकके राजवंशधर पञ्चुसन और टेन-अपस्सरके पुङ्गव वंशके नगर जदे पञ्चुत्तने, मदे नघूर देन-पस्सर नामसे प्रसिद्ध हुये थे । क्रोटोकी पञ्णुत्तन राजधानी और नप र जवे काशीमनने प्रदेशों में रह प्रवल पराक्रमसे | किसी समय पलमें जरूर कमजोर थी । किन्तु उसके अपने राजाकी मर्यादा बढ़ायी थी। इनके परिश्रमसे | राजाओं ने अन्तिम बदोङ्ग राजाको एक छलाधोन कर पिनतिः गियान्यरसे तजङ्ग, गुनगरट, सनोर, तमन, इङ्ग- लिया था। क्रोटोकके पुत्र 'पुत्र' नामसे मशहूर थे। उनके रन, सुग, तोरंगनद्वीप, प्रोवोक्कन, लोगियान, कुट्ट, तुबन, जेष्ठ पुत्र अनक अगुङ्ग पञ्चुत्तन वा नप रके प्रभावसे जेम्वरन और वालिद्वीपका दक्षिण भाग ये सब प्रदेश इस | पन्चुत्तन राजा बहुत विस्तृत हो गया था। उन्होंने राजामें थे। उक्त नपर बोलासे १०वीं पीढ़ीमें राजा निकटवतीं दूसरे राजाओं को पराजित कर स्वयं पदोङ्ग काशीमनने इस प्रदेशका कर्तृत्व लाभ किया था। काशी पर स्वाधीन राजा स्थापित किया। उनके पांच सौ मनके प्रपितामहसे ही इस राजाका इतिहास पाया जाता विवाहिता लियां थीं। उनमें यह पाटराणोका पद है। ये ही सबसे पहिले तबानान् राजासे पकेन बदोंग कितनी हो उच्च वंशीय राणियों को मिला था। मामके वाणिजाक्षेत्र में जा बसे थे। । उक्त नपूर-शक्तिके पुत्र नर जादे पञ्चुत्तन राज- नपूर बोलाका पुत्र वा पौत्र अनक अगुग कटुट घंशके प्रतिष्ठाता थे। इन्हींका केवल राजपाभिषेक होता मण्डेशने बुयाहनहसे गुनुग बेटुर नामके आग्नेय पर्वत पर है। द्वितीय मप्र र मयुन और तृतीय वालेरन-देनपस्तार जा कर ठेवीदनु या गंगाकी उपासना की थी। पश्चात् । राजवंशके अधिष्ठाता थे। कलेरनके पुत्र नप र मदे पन्नु