पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३८८

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बाहुपाश-बाहुशोष पाप किया था, इस कारण राजाके समीप भेजा। राजा युद्धके अनेक भेद हैं, यथा-सङ्कट, कङ्कट, करघर्षणज ही दोषीको दण्ड देते हैं, मुझे दण्ड देनेका कोई भी और किण : म्हाभारतके विराटपर्व १२ अध्यायमें अधिकार नहीं है। अभी तुम और राजा दोनों ही ! इसका विवरण लिखा है। मल्लयुद्ध देखो। पवित्र हो गये हो। ( भारत शान्तिपर्व २३,२४ अ०) बाहुयोध ( स० पु०) मल्ल, पहलवान । यह नदी हिमालयसे निकलो है। हरिवंशमें लिखा बाहुल ( स० क्ली० ) बहुल- अण। १ बहुलभाव, बहुता- है,--प्रसेनजित राजाके गौरी नामकी एक स्त्री थी। । यत, ज्यादती। २ बाहुनाण, युद्धके समय हाथमें पहनने. स्वामीने कुद्ध हो कर उन्हें शाप दिया था जिससे वे की एक वस्तु जिससे हाथकी रक्षा होती थी। २ 'बाहुदा' नदीमें परिणत हुई अग्नि, आग। ३ कार्तिक मास । लेभे प्रसेनजिद्भार्या गौरी नाम पतिव्रतां । बाहुलक ( स० क्ली०) बहुलेन बहुलग्रहणेन नियन्तं अभिशप्ता तु सा भर्ना नदी बै बाहुदा कृता ॥" सङ्कलादित्वात् अण संज्ञायां कन् । व्याकरणोक्त सर्वो- (हरिवंश १२५) पाधिरहित विधानादि । २ पुरुवंशीय परीक्षित् राजाकी पत्नी (त्रि०) ३ कहीं कहीं विधिका विधानविविध देख कर बाहुलक बहुदात्री, बहुत दानकरनेवालो विधि चार प्रकारको बतलाई गई है, यथा-कहीं प्रवृत्ति, बाहुपाश ( स० पु० ) १ बाहु द्वारा युद्धकौशल भेद । कहीं अप्रवृत्ति, कहीं विभाषा और कहीं इसकी अन्यथा। २ बाहुश्शृङ्खल। बाहुलग्रीव (स० पु० ) मयूर, मोर। बाहुप्रलम्ब ( स० त्रि०) अजानुबाहु, जिसकी बाहें बहुत बाहुलता (सं० स्त्री०) बाहुरेव लता, रूपक कर्मधा। बाहु लम्बी हों। ऐसा व्यक्ति बहुत वीर माना जाता है। रूप लता। बाहुबल ( स० क्ली० ) बाह्वोः बलं । हस्तबल, पराक्रम, बाहुलतिका (सं० स्त्री० ) बाहुरेव लतिका। बाहुलता। बहादुरी। बाहुलेय (सं० पु०) बहुलानां कृत्तिकादीनामपत्य पुमान बाहुबलि (स० पु० ) गिरिभेद । बहुला ढक् । कार्तिकेय । बाहुबलिन् ( स० वि०) बाहुवलशाली, पराक्रमी । बाहुल्य (सं० क्लो०) बहुल-ष्यण् । आधिक्य, अधिकता। बाहुवाध (सं० पु०) जनपदभेद । बाहुविस्फोट ( सं० पु०) ताल ठोकना। बाहुभाष्य (सक्ली०) बहुभाषणशीलता, बहुत बोलने- बाहुवीय (सं० क्ली० ) वाह्वोः वीय। बाहुबल, भुजबल, वाला। पराक्रम । बाहुभूषा (स० क्लो०) बाह्वोर्भुजयोभूषा भूषणं । १ केयूर, वाहुष्यायाम (सं० पु०) बाहु द्वारा नाना कौशल । बहूंटा। २ बाहुभूषणमात्र । बाहुशर्द्धिन (सं० वि०) बाहुभ्यां शद्ध यति अभिभवतीति बाहभेदिन (स.पु०) बाहु भिनतीति बाहु० भिद णिनि । (सुप्यजाती णिनिस्ताच्छील्ये । पा ३।२।७८) इति णिनि । विष्णु। (त्रि०) २ बाहुभेदक । बाहुबलयुक्त। बाहुमत् ( स० वि० ) बाहुयुक्त । बाहुशाल (सं० पु० ) वृक्षभेद । बहुशाल देखो। बाहुमान ( स० वि०) बाहुः प्रमाणमस्य बाहु-मानच। बाहुशालिन् (सं० वि०) बाहुभ्यां शालते तदविक्रमाधि- बाहुपरिमाण । | फ्येन श्लाघते शाल-इनि। १ बाहुवीर्याधिक्ययुक्त, परा- बाहुमित्रायण (स० पु०) बहुमित्रका गोत्रापत्य। कमी। स्त्रियां डीषु ।। पु०) २ शिव । ३ भीम । ४ धृतः बाहुमूल (स० क्ली० ) बाह्रोमूल । कक्ष, कंधे और राष्ट्र पुत्रभेद । ५ दानवभेद । ६ राजपुत्रभेद । बाहुका जोड़। बाहुशिनर (सं० पु०) स्कन्ध, कंधा। बाहुयुद्ध ( स० क्लो०) वाहोर्भुजाभ्यां पा युद्ध। भुज बाहुशोष (सं० पु०) बांहमें होनेवाला एक प्रकारका वायु द्वारा संप्राम, मल्लयुद्ध, कुश्ती। पर्याय-नियुद्ध । बाहु-! रोग जिसमें बहुत पीड़ा होती है।