पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/३८९

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२८३ हसन बाहुश्रुत-बामनीवंश बाहुश्रत्य ( सं० पु०) वाहुश्रुत होनेका भाव, बहुत-सी बामनी राजवंश। बातोंको, सुन कर, प्राप्त को हुई जानकारी। १ अलाउद्दीन हसन बाहुसम्भव (स० पु०) बाहू ब्रह्मवाह सम्भवोऽस्य । गङ्गो बाहनो ( १३४७ १३५८) • क्षत्रिय, जिनकी उत्पत्ति ब्रह्माको बांहसे मानी जाती है। बाहुसहस्रभृत् (सं० पु०) बाहूनां सहस्र विभत्तौति क्विप् २महम्मद श्म ४ दाउद ५महमूद श्म (हस्वस्य पितिकिति तुक । पा ६।११६१) इति तुक च। (१३५८ १३१५) (१३७८) (१३७८-१३६७) कार्तवीर्यार्जुन। परशुरामने परशु द्वारा इनको हजार. भुजाएँ काट डाली थीं। सबेरे इनका नाम लेनेसे (१३७४-१३७८) ३ मुजाहिद रूपर्व आघ ६ गयासउदोन ७ समसुद्दीन (१३९७७ सप्ताह) (१३६७) 'सब प्रकारको दुर्गति और महापातक विनाश होता है। ..... महम्मद संजर ८फिरोज अहमद शाहवली खान् "कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रभृत् । (१३६७-१४२२) (१४२२-१४३५) योऽस्य संकीर्तयेन्नाम कल्पमुत्थाय मानवः । ____ हसन ...- -. । न तस्य वित्तनाशः स्यात् नष्टञ्च लभते पुनः ॥” (आह्निकतत्त्व) कार्तवीर्यार्जुन देखो। १० अलाउद्दीन श्य महम्मद (१४३५.१४५७) बाहू (सं० स्त्रा) बाहु देखा। बाह्रवाहवि (सं० अध्य० ) बाहूभिर्वाहु भिर्यत् युद्ध वृत्त । ५५ वृत्त । हुमाय जिहाय वा जहिया वाहु द्वारा जो युद्ध होता है, कुश्ती। (१४५७-१४६१) बाहेर ( हि० क्रि०वि० ) पवित्र, निकृष्ट । बाह्मणगांव -मध्यप्रदेशके वालाघाट जिलान्तर्गत एक ११ निजाम १३ महम्मद श्य अहमद (१४६१-६३) (१४६३.८२) भूसम्पत्ति । भूपरिमाण ८ वर्गमील है। १४ महमूद श्य बाह्मण ( हिं० पु० ) ब्राह्मण देखो। (१४२८-१५१८) बाह्मनोवंश-दाक्षिणात्यका एक मुसलमान राज-वंश। १३४४ ई०में बरंगुल, विजयनगर और द्वारसमुद्र में हिन्दू १५ अहमद श्य १६ अलाउद्दीन १७ वालिं उल्ला (१५१८-२०) राजाओंने मिल कर दिल्लीकी अधीनता त्याग दीगो (१५२०-२२) (१५२२२२) देख दौलताबादके मुसलमान शासनकर्ता अन्यान्य मुस- १८ कमाल उल्ला लमान अमात्योंकी सहायतासे एक साथ १३९१ ई में (१५२५-२७) दिल्लीश्वर मुहम्मद तुगलकके अधीनता-पाश छेद कर उपयुल्लिखित अठारह राजाओंने करीब दो सौ स्वाधीनताकी ध्वाजा उड़ानेमें समर्थ हुए थे। कुलवर्ग वर्ष तक दाक्षिणात्यके कुलवर्गा-राजसिंहासन पर बैठ (आशनाबाद ) में उन्होंने अपना राजपाट स्थापित किया कर राजकार्य चलाया था। अनन्सर वरिदशाही, आदिल- था। उक्त दौलताबादकेराज-प्रतिनिधि हसन बाल्यावस्थासे शाही, इमादशाही और कुतुबशाही राजाओंने दक्षिण- ही अति दरिद्र थे । गङ्ग नामक किसी ब्राह्मणकी सहायतासे भारतमें शासनदण्ड विस्तार किया था। इन्होंने राजसरकारमें प्रतिष्ठा प्राप्त की और पीछे पदोन्नति अलाउदोन अपना राज्य चार भागोंमें विभक्त कर हुई। ब्राह्मणके प्रति, कृतोपकारके लिये कृतज्ञता प्रदर्श. १३५८ ई० में परलोक सिधारे। उनके पुत्र महम्मदशाहने नार्थ ये अपना नाम हसन गङ्ग बाह्मनी. रख कर राज गणपति-राज्य लूट कर बरङ्गल राज्य पर हमला किया। सिंहासन पर बैठे। इन्हीं के द्वारा प्रतिष्ठित राजवंश, उस | युद्ध में बरङ्गाल राजपुत्र नागदेव मारे गये, जिससे गोल- ब्राह्मणके स्मरणार्थ बाह्मनी नामसे प्रसिद्ध हुभा। । कुण्डा आदि राजा महम्मदशाहके हस्तगत हुए ।