पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४०८

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बिल्वा-बिसनामि ३ बेनकी जा. इसकी छालका काढ़ा बना कर : बालोंको हाथ, कंघी आदिसे अलग अलग करके साफ मविराम ज्वरमें प्रयुक्त किया जा सकता है। दीर्घकाल' करना, बाल सुलझाना। स्थायी कोष्ठबदता रोगमें जड को छाल ५ आउन्म बिवराना (हि. क्रि० ) १ बालोंको खुलवा कर सुलभ- १० आउन्म गरम जलमें उबाल कर, उसमेंसे या २. वाना। २ बालसुलझाना: आउन्स सेवन करनेसे यथेष्ट उपकार मिलता है। चिन्तो- बिशप ( अपु० ) ईसाई मतका बड़ा पादरो। न्मादता (II pr!undriasis) और हृदरोग ( Palpit:- विशाखपत्तन-विशाग्वपत्तन देखी । tion of the theirt )में यह फायदेमन्द है । वैद्यक दशमूल बिशालकवि---विशालकवि देखा । पाचनमें वेलकी जड़ रहती है । बेलकी जम मर्पके मस्तक विश्वनाथ सिंह- विश्वनाथ सिंह देखो! पर लगानेसे उमका फन नब जाता है। मर्पके काटे हुए विधान ( हि पु०) विषागा देखो। स्थान पर बेलकी जड, लगानेसे विष भी नष्ट होता है। विष्णुप्रसाद कुवरि---वि-गुप्रमाद कुरि देला । ४ पत्र--बेलपत्तेका रस अल्पज्वग्में देनेसे सामान्य दस्त बिसंभार ( हि बि०) अमावधान, गाफिल । होता है और ज्वर घट जाता है। नक्ष गेगमें अथवा गात्र. बिस। हिं० वि०) बिप देखा। क्षनमें कभी कभी बेलपत्तको बंट कर, उन स्थान पर कच्चो बिसकण्ठिका (मस्त्री०) विपमिव कण्ठोऽस्याः कप। पुलटिम रखी जाती है, जिमसे दर्द घठ जाता है। सामान्य बलाका, वगलोंकी पंक्ति। ज्वग्में बेलपत्तेका काढ़ा सेवन कराया जाता है । बेलपत्ती विसण्ठिन् ( स० पु० ) विसमिव कण्ठोऽस्त्यस्य इनि । में शिव और शक्तिकी पूजा होती है, यह बात बिल्व बक, बगला । शब्दमें कही जा चुकी है। बिमकुसुम ( स० क्ली०) विषस्य कुसुम। कमल । ५ बानका छिलका - यह भी समय समय पर औषधके विसम्वपरा ( हि पु० ) १ गोहकी जातिका एक विषेला काममें आता है। । सरीसृप जन्तु । यह हाथ मबा हाथ लंबा होता है। ६ फूल इससे अच्छ। सुन्धि प्राप्त होती है। . इसका काटा हुआ जोब तुन्रत मर जाता है। इसकी यूरोपीय चिकित्सकोंने बेलसे तोन औषधियां बनाई। जीभ रगींन होती है जिसे वह थोड़ी थोड़ी देर पर हैं (१)/stact of thei, (२) Lithiltistrict of Bel, निकाला करता है। देखने में यह बड़ो भारी छिपकली और ( ३ ) Puler of the ult ये तीनों दबाइयां सा होता है। २ पुनर्नवा, पथरचटा। ३ एक प्रकार- उदर और ज्वर रोगमें अवस्थानुसार सेवन की की जंगली बूटो। इसकी पत्तियां बनगोभकी-सो, पर जातो है। कुछ अधिक हरी और लंबी होती हैं। यह औषधमें काम बिल्वा ( स० स्त्री०) बिल्व-टाप् । हिगुपत्रो। आती है। इसका दूसरा नाम बिससपरी भी है। बिल्वाश्रमक (मं० क्लो०) रेवातीर-स्थित एक तीर्थ स्थान । विसखा ( म त्रि०) बिसं मृणालं खनति खन-बिट- बिल्वेश्वर ( स० क्लो० ) शिवलिङ्गभेद। • डा। मृणाल खननकर्ता । बिल्वोदकेश्वर ( म० पु० ) शिवमूनिभेद । हरिवंशके १३६ बिसवादका ( स० स्त्री० ) १ मृणाल-खननकादि . २ अध्यायमें इसके आविर्भावका विषय लिखा है। वात्स्यायनका कामसूत्र-वर्णित नाटकभेद । बिल्हण ( स पु० ) चालुक्यराज विक्रमाङ्ककी सभा- बिमखापर ( हि पु० ) विसखपरा देखो। के एक कवि । इन्होंने विक्रमाङ्क-चरित काव्य लिखा है। बिसप्रन्थि-विषस्य प्रन्थिः। मृणाल प्रन्थि, कमलकंद । इस प्रथमें उस समयकी अनेक ऐतिहासिक कथाओंका इसे जल में देनेसे जलकी मलिनता दूर होती है। वर्णन है। इन्हें लोग 'चोर कवि' भी कहा करते थे। विसज ( स० क्ली०) विसाजायते जन-ड। पद्म, कमल । बिवरना (हि० क्रि० ) १ सुलझना, एकमें गुथी हुई सिटी ( हि स्त्री० ) बेगार। वस्तुओंको अलग अलग करना। २ बधे या गुथे हुए बिसनाभि (सपु०) विसं नाभिरुत्पत्तिस्थानं यस्य ।