पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४०९

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विसनालिका-विस्कुट ४०३ १पमिनी, कमल। २ पनसमूह, कमलोंका ढेर। ' बिसाख ( हिं० स्त्री० ) विशाखा देखा। विसनालिका (सं० स्त्रो०) विसस्य नालि केव । मृणाल। : बिसात अ० स्त्री०) १ धनसम्पत्तिका विस्तार, हैसियत । बिसनासिका ( सं स्त्री० ) बकभेद। • सामर्थ्य, हकीकत। ३ शतरंज या चापड़ आदि खेलनेका बिसनी (हिं वि० ) १ जिसे किसी वातका ध्यसन या : कपड़ा या बिछौना जिस पर खाने बने होते है। 8 जमा, शौक हो । २ वेश्यागामी, रंडीवाज। ३ जो थ्यवहारकी पूंजी। साधारण वस्तु सामने आने पर नाक भौं मिकोड़े, बिसाती ( अ० पु. १ विस्तर बिछा कर उस पर सौदा जिसे चोजें जल्दी पसन्द न आए। ४ जिसे सफाई सजा- रख कर बेचनेवाला। २ छोटी चीजोंका दूकानदार । वट या बनाव सिंगार बहुत पसन्द हो, चिकनिया। बिमाना । हिं० क्रि०) १ वश चलना, कावू चलना । २ बिसप्रसून ( स० क्ली०) पद्म, कमल । विषका प्रभाव करना, जहरका असर करना। बिसमव (हि. पु. ) विस्मय दं खो। 'मिसारद । हिं० पु०) विशारद दं खा। बिसमिल (फा०बि०) आहत, घायल । बिसारना (हि.क्रि.) स्मरण न रखना, भुला देना। विसमिल्लाह ( अ० पु. ) श्रीगणेश, आरम्भ।। बिसारा (हि.वि.) विषाक्त, विष भरा। विसरना (हि० कि० ) विस्मृत होना, भूल जाना। विसासिनी ( हि स्त्री०) विश्वासघातिनी, जिस पर बिसराना (हि क्रि०) विस्मृत करना, ध्यानमें न विश्वास न किया जा सके। रखना। बिसाह ( हि पु० ) क्रय, खरीद । विसल (स० क्ली०) विसं लातीति ला-क । पल्लव, कोंपल। विमाहना ( हि० कि० ) १ क्रय करना, खरीदना । २ जान बिसवत् ( स० वि०) बिस-चतुर्थादित्वात् मतुप मस्य बूझ कर अपने पीछे लगाना, अपने साथ करना। (पु.) व। मृणाल-युक्तादि। मोल लेनेकी वस्त. कामकी चीज। मोल लेनेकी बिसवमन ( स० पु० क्ली० ) विसाख्य नेत्रवत्मंगत रोग-, क्रिया, खरीद । भेद। बिसाहनी ( हि क्रि०) मौदा, जो वस्तु माल लो जाय । विसवार (हि.पु०) हजामोंकी वह पेटी जिसमें वे विमाहा ( हिं० पु० ) सौदा, खरीदी हुई वस्तु । हजामत बनानेके औजार रखते हैं, किसबत। विमिनी (सं० स्त्री०) विस पुष्करादित्वात् इनि । १ पद्मिनी, बिसवासिनी (हिं० वि०) १ विश्वास करनेवाली । २ २ मृणालादियुक्त देश। ३तत्समुदाय । जिस पर विश्वास हो। बिसिल (सं० त्रि०) विस काश्यादित्वादिल । जो मृणालके विसवासी (हि वि०) १ जो विश्वास करे। २ जिस पर समीप हो। विश्वास हो। ३ जिस पर विश्वास न किया जा बिसुनना ( हि क्रि०) कोई वस्तु खाते समय उसका सके, एतबार । ४ जिसका कुछ ठोक न हो, कि कब , कुछ अंश नाकको ओर चढ़ जाना। क्या करे करावेगा। बिसुनी ( हिं० पु० ) अमरवेल । विससना ( हि क्रि०) १ बध करना, घात करना।२ दिसुवा (हिं० पु. ) बिस्वा दखा । शरीर काटना, चीरना फाड़ना। बिसूरना ( हिं० कि० ) १ चिन्ता करना, सोच करना। विसहर (सं० पु०) सर्प, सांप। ( स्त्रो० )२चिन्ता, फिक्र । बिसहरू (हिं० पु०) मोल लेनेवाला, खरीददार। बिसेन ( हिं० पु०) क्षत्रियोंकी एक शाखा, किसी समय विसहिनी ( हि स्त्री० ) एक प्रकारकी चिड़िया। इसका राज्य वर्तमान गोरखपुर के आस पासके प्रदेशसे विसांयध (हिं० वि०) १ सड़ी मछलीकी-सी गन्धवाला, : ले कर नेपाल तक था। जिससे सड़ी मछलीकी-सी गंध आती हो। ( स्त्री०) बिस्कुट ( अं० पु. ) खमीरी आटेकी तंदूर पर पकी हुई २ मछलीकी-सी गंध, सड़े मांसकी-सी गंध । एक प्रकारकी टिकिया। यह बहुत हलकी होती है और