पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४२०

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४१४ बीमारदारी-बुंदकी वीमारदारी ( फा० स्त्री० ) रोगियोंकी शुश्रूषा । बीवर ( अं० पु० ) उत्तरीय अमेरिका और एशियाके वोमारी ( फा० स्त्री० ) १ व्याधि, रोग। २ झंझट । ३ । उत्तरीय किनारे मिलनेवाला एक प्रकारका जन्तु। यह बुरी आदत। जलके किनारे झुट बांध कर रहता है। इसके मुंहमें बोया ( हिं० पु० ) वीज, दाना । बड़े बड़े और मजबूत कटीले दांत होते हैं। ऊपर बार ( हिं० वि० ) ? वीर देग्या। ! पु० ) २ भ्राता, भाई। नीचे चार डाढ़ होते हैं जो ऊपरकी ओर चिपटी और ( स्त्री० ) ३ सखी, सहेली । ४ चरागाहमें पशुओंको कठिन होती है। इसके प्रत्येक पांवमें पांच पांच उग. चरानेका वह महमूल जो पशुओंको संख्याके अनुसार लियां होती हैं और पिछले पैरोंकी उंगलियां जुड़ी रहती लिया जाता है। ५ कानमें पहननेका स्त्रियोंका एक हैं। इसकी पूछ भारी, नीचे ऊपरसे चिपटी और आभूषण। यह गोल चक्क-सा होता है और इसका छिलकोंसे ढकी होती है। इसकी नाक और कानको ऊपरी भाग ढालुआं और उठा हुआ होता है तथा वनावट ऐसी होती है, कि पानीमें गोता लगानेसे आपे इसके दूसरी ओर खू टी होती है जो कानके छेदमें डाल आप उनके छिद्र बंद हो जाते हैं। इसका चमड़ा कर पहनी जाती है। इसमें ढाई तीन अंगुल लंबी जो समूर कहलाता है, कोमल और बड़े दामोंमें बिकता कंगनीदार पूंछ सो निकली रहती है जिसमें प्रायः है। इसका मांस स्वादिष्ट होता है, पर लोग इसका स्त्रियां रेशम आदिका झब्बा लगवाती हैं। यह झब्बा शिकार विशेषतः चमडे के लिये ही करते हैं। पहनते समय सामने कानकी ओर रहता है। ६ एक बीवी ( हि स्त्री० ) बीबी दग्यो। प्रकारका गहना जो कलाईमें पहना जाता है । ७ पशुओं- बीस (हिं० वि० ) १ जो संख्यामें दसका दृना हो । २ के चरनेका स्थान, चरागाह । श्रेष्ठ, अच्छा। । स्त्री० ) ३ बीसकी संख्या । ४ बीसकी बीरन ( हि० पु० ) भ्राता, भाई । संख्याका द्योतक चिह्न। बोरनि (हि.स्त्री) एक प्रकारका गहना जो कानमें बीसना ( हिं० कि० ) शतरंज या चौसर आदि खेलने के पहना जाता है। इसे बीरी भी कहते हैं। लिये बिसात बिछाना, खेल के लिये बिसात फैलाना । बीरबहूटी ( हि स्त्री० । एक छोटा रेंगनेवाला कीड़ा। यह किलनीको जातिका होता है और प्रायः बरसात शुरू बीमवां ( हिं० वि० ) वीसके स्थान पर पड़नेवाला । दोनेके समय जमीन पर इधर उधर गता हुआ दिखाई बीसी ( हि० स्त्री०) १ बीस चीजोंका समूह, कोरी।२ पड़ता है। इसका रंग गहरा लाल होता है और मखमल और मखमल भूमिको एक प्रकारकी नाप जो एक एकड़से कुछ कम की तरह इस पर छोटे छोटे कोमल रोप होते हैं। होती है। ३ ज्योतिष शास्त्रके अनुसार साठ संवत्सरोंके अन्य देखा। तीन विभागों से कोई विभाग । इनमेंसे पहली बीसी बोरिट ( स० पु०) गण। ब्रह्मबीसी. दूसरी विष्णुबीसी और तीसरी रुद्र या बीरो ( हि स्त्री० ) १ एक प्रकारका गहना जो कानमें शिवबोसो कहलाती है । (पु०) ४ तौलनेका कांटा, पहना जाता है। इसे तरना भी करते हैं। २ ढरकी- तुला। (स्त्री०) ५ प्रति बीघे दो बिस्वेकी उपज जो के बीच में लम्बाई के बल वह छेद जिसमेंसे नरी भर कर जमोदारको दी जाती है। तागा निकाला जाता है। ३ लोहेका वह छेददार बीहड़ ( हि.पु.) १ विषम, ऊंचा नीचा। २ जो ठोक न टुकड़ा जिस पर कोई दूसरा लोहा रख कर लोहार छेद हो, जो सरल या समान हो । ३ पृथक्, जुदा। करते हैं। वुद ( हिं० स्त्री० ) १ बूद, ठोप। २ वीर्य । (पु०) ३ बोल ( हि० वि० ) १ पोला, भीतरसे खाली। (पु० तीर । ( वि०) ४ थोड़ा-सा, जरा-सा । २ वह जमीन जो नोची हो और जहां पानी भरा रहता बुंदकी ( हि स्त्रो०) १ छोटी गोल विंदो । २ किसी हो। ३ बेल । ४ पक ओषधिका नाम। । चीज पर बना या पड़ा हुआ छोटा गोल दाग या धब्बा ।