बुनाई-बुन्देलखण्ड बुनाई ( हिं० स्त्रो०) १ बुननेकी क्रिया या गाव, बुनावट । लक्ष्यमें जो उत्सव होता था, उसे मेरिया वा जुन्ना उत्सव २ बुनमेकी मजदूरो। कहते थे। १८४६ ई०के पहले यह पाप अभिनय पड़ी बुनावट ( हिं० स्त्री०) बुननेम सूतोंको मिलावटका ढंग, धूमधामसे किया जाता था। प्रामके पूर्व, पश्चिम भौर सूतोंके संयोगका प्रकार । मध्यस्थलमें एक एक नग्नेह सूर्य के उद्देश्यसे चढ़ाई जाती बुनियाद (फा० स्त्री० ) १ मूल, जड़ । २ वास्तविकता, थी। इनके उपास्य देवताका नाम माणिकसोरा था। असलियत । बुन्दाला -पजाब प्रदेशके अमृतसर जिलान्तर्गत एक बुनियाददासी-वैष्णव सम्प्रदायविशेष। ये लोग निर्गुण नगर । यह नगर अक्षा० ३१ ३२ उ० तथा देशा० ७४५ उपासक हैं। इस कारण अपने भजनालयमें किसी देव पू० अमृतसरसे ११ मील दक्षिण-पूर्व में अवस्थित है। प्रतिमूर्तिको रख कर उसकी अर्चना नहीं करते । रामात् जनसंख्या ४५०० है। यहां सिख जातिकी संख्या हो निमात् आदि साम्प्रदायिक वैष्णध पापण्ड बतला कर । अधिक है। इनकी घृणा करते हैं। यहां तक कि, इनका अङ्गस्पर्श : बुन्देलखण्ड --आर्यावत्त के अन्तर्गत एक देशविभाग। करनेसे ये लोग अपनेको अशुचि और पापग्रस्त समझते यह अक्षा० २३५२ से २६२६ उ० तथा देशा०७७५३ से , ८१३६ पू०के मध्य विस्तृत है। इसके उत्तरमें यमुना युनेरा राजपूतानेके उदयपुर राज्यान्तर्गत एक नगर । यह · नदी, पश्चिम और उत्तरमें चम्बल नदी, दक्षिण में अक्षा० २५.३० उ० तथा देशा०७४ ४१ पू० उदयपुर जबलपुर नदी और सागरविभाग, दक्षिण तथा पूर्वमें शहरसे ६० मील उत्तर-पूर्व में अवस्थित है। जनसंख्या ' बघेलखण्ड (रेवा ) तथा मिर्जापुर पर्वतमाला है। ४२५१ है। यहांके सामन्तराज उदयपुरराजके प्रधान . हमीरपुर, जलौन, झांसी, ललितपुर और वादा नामक सहाय हैं । नगर प्राचीर वेष्टित और दुर्ग द्वारा सुरक्षित है। अङ्गजाधिकृत जिला, ओच्छा, दनिया, ममथर, अजय इस राज्यमें १ शहर और १११ ग्राम लगते हैं। राजस्व गढ़, अलीपुर और धुरवाई, विजनातोरी. फनपुर, पहाड़ी, ८८०००) रु० है जिनमेंसे ४६००) दरबारमें करस्वरूप वाङ्का आदि अपभाया जागीर ; बरौंदा, रावणी, बेरी, देना पड़ता है। १५६७ ६०को यह अकबर के अधिकाग्मे बिहट, विजावर, चरखारी और कालिञ्जरका नौवीराज्य- . था। १७वीं शताब्दीमें उदयपुरके राणा राजसिंह मके पालदेव, पहरा, तरावन, भाईसौंदा, कम्भा, रजौला, छोटे लड़के भोमसिंह औरङ्गजेबके दरबार में गये और छत्तरपुर, गड़ौली, गौरीहर, जामी, जिग्नी, मियाधान, उन्हें हर हालतसे प्रसन्न कर बनेरा नगर जागीर स्वरूप लुधामी, नैगवान, रिवाई, पन्ना, बिलहरी और सरिला प्राप्त किया। औरङ्गजेबने उन्हें राजाकी उपाधि भी दी। आदि मामन्तराज्य इसके अन्तभुक हैं। नभीसे यह उपाधि उनके वंशधरोंमें आज तक चली आ यह राज्यम्वण्ड विन्ध्याचल, पन्ना और बन्दैकी पवत रही है। यहां १७२६ ईमें एक दुर्ग बनाया गया था। मालासे ममाच्छन्न है। इसी कारण इसका अधिकांश जिसे तोस वर्ष के बाद ही शाहपुरके राजाने अपने स्थान अधित्यकामय है। यहाँकी प्रधान नदियां सिन्धु, अधीन कर लिया। परन्तु कुछ समय बाद ही श्य राणा ' पहुज, वेतवा, धामन, वीरमा, केन, बागई, पायसुनी और राजसिंहने इसके यथार्थ अधिकारीको लौटा दिया। नोम हैं जो यमुना नदीमें गिरती हैं। यहां हीरे, लोह, बुन्द --पजाब प्रदेशके मिन्द राज्यके अन्तर्गत एक नगर। कोयले और तांबेकी खान जहां तहां दिखाई देती हैं। बुन्दी -राजपूतानेके अन्तर्गत एक सामन्त राज्य । स्थानीय प्रवाद है, कि गोंड लोगोंने सबसे पहले दो दग्यो। यहाँ आ कर उपनिवेश बसाया। पीछे चन्देलवंशीय बुन्दारे-मन्द्राज प्रदेशके बीजागापाटम जिलेका एक राजपूतोंने गोंड राजाओंको परास्त कर अपनी प्रतिष्ठा प्रसिद्ध प्राम। यह कन्ध जातिको आवासभूमि है। जमाई। चन्देलराजाओंके अधिकार के समय यहां सैकड़ों पहले यहां नरवलि बेरोक-टोक प्रचलित थी । उस उप- शिल्पकार्ययुक्त देवमन्दिर और जलाशय भादि पनाये गये
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