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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४७०

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बुलबुलचश्म--बूंद । पहनती हैं। बुलबुलचश्म ( फा० स्त्री० ) एम प्रकारकी चिड़िया। और जनसंख्या प्रायः ८७८८६ है। इसमें इसी नामका बुलबुलबाज (फा० पु०) वह जो बुलबुल पालना या १शहर और ६५ ग्राम लगते हैं। समुद्र के किनारे बस्त्र लड़ाता हो, बुलवुलका खिलाड़ी या शोकीन। होनेके कारण यहांकी आबहवा अच्छी है । बम्बई बुलबुलबाजी (फा. स्त्री० ) बुलबुल पालने या लड़ानेका नगरसं अनेक मनुष्य स्वास्थ्यपरिवर्तनके लिये यहां काम। आते हैं। बुलबुलबोस्ता ( फा० पु. ) बुलबत्न देग्यो । ____२ उक्त तालुकका एक शहर । यह अक्षा० २०३७ बुलबुला ( हिं० पु० ) बुदबुदा, पानीका बुला। उ० तथा देशा० ७२ ५६ पू०के मध्य अवस्थित है। बुलवाना ( हिं० क्रि०) बुलानेका काम दुसरेसे कराना, जनसंख्या १२८५७ है। यहां जलपथ और स्थलपथसे दृमको बुलानेमें प्रवृत्त करना। नाना प्रकारके द्रध्यांका वाणिज्य होता है। शहरमें एक बुलाक (हिं० पु० ) वह लंबोतरा या मुगहीदार मोती सवजजकी अदालत. अस्पताल, एक हाई स्कूल और एक जिसे स्त्रिया प्रायः नथमे या दोनों नथनोंके बीचके परदेमें मिडिल इङ्गलिश स्कूल तथा : वर्नाक्युलर स्कूल हैं। वुप ( सं० क्ली) घुस्यते उत्सृज्यते यत् , इगुपधेति क, बुलाकी ( हिं० पु० ) घोड़े की एक जाति । पृषोदरादित्वात् पत्वं । बुस, अनाज आदिके ऊपरका बुलाना ( हिं० कि० ) १ आवाज देना पुकारना।२ किमी- छिलका । को बोलनेमें प्रवृत्त करना, बोलनेमे दुसरेको लगाना। बुस (म क्ली०) बुस्यते तुच्छन्वादुत्सृज्यते इति (इगुपधज्ञा बुलावा ( हिं० पु० ) निमन्त्रण, बुलानेको क्रिया या भाव । ' प्रीकिरः कः । पा ३।१।४३५ ) तुप, भूमी । पर्याय - कडङ्गर, खुलाह ( हिं० पु० ) वह घोडा जिसको गग्दन और पूछके बुप। २ उदक, जल। बाल पीले हों। वुस्त ( सं० क्ली० ) बुस्त्यते नाद्रियते बुस्त-घम् । पन बुलि (सं० स्त्री० ) बुल-इन् विच । १ ग्त्रीचिह्न, भग। मादि फलका त्यज्य अंश, कटहल आदिका वह हिस्सा बुलिन (स्त्री०) चौकोर पालके लायमें बांधनेका एक जो ग्वाने लायक नहीं है : २ मांसपिएक भेद, मांसको विशेष प्रकारका रम्मा। पीठो । घुलेली ( हिं० पु० ) महिमुर और पूर्वी घाटमें अधिकतासे बुहरो ( हि० स्त्री० ) बहुर। दग्या । मिलनेवाला मझोले आकारका एक पेड़ । इसकी लकड़ी बुहारना ( हि० किल ) झाड़ से जगह माफ करना, झाड़ मफेद और चिकनी होती है जिमसे तस्वीरोंके चौखटे, देना। मेज, कुरसियाँ आदि वनाई जाती हैं। इसके बीजोंसे बुहारा ( हिं० पु० ) वह बड़ा झाड़ को ताड़की मींकोसे एक प्रकारका तेल निकलता है जो मशीनों आदिके . बनाया जाता है। पुरजोंमें डाला जाता है। बुहारी ( हि स्त्रो० ) झाडू, सोहनी। बुलौवा ( हिं० पु०) बुलावा देग्वा । वृच ( हि स्त्री० ) एक प्रकारकी मछली। गूछ देखो। बुल्लन ( हिं० पु० ) १ मुंह, चेहरा । २ पानीका बुलबुला। वृद ( हि स्त्री० ) १ जल या और किसी तरल पदाथका २ गिरईकी तरहको पर भूरे रंगको एक मछली। इम वह बहुत ही थोड़ा अंश जो गिरने आदिके समय प्रायः मछलीके मूंछे नहीं होती। छोटी सी गोली या दाने आदिका रूप धारण कर लेता बुल्व (सं० त्रि०) बुल-व उल्यादित्वात् निपातनात् साधुः।। है। २ एक प्रकारका रंगीन देशी कपड़ा। इसमें बूदोंके तिरश्चीन, तिग्छा। आकारकी छोटी छोटी बूटियां बनी होती हैं। ३ वीर्य : बुलसार-- बम्बई प्रदेशके सूरत जिलेका उत्तरोय तालुक । (वि०) ४ बहुत अच्छा या तेज। इस अथमें इसका यह अक्षा० २०४६ उ० तथा देशा० ७२ ५२ से ७३ घ्यवहार केवल तलवार, कटार आदि काटनेवाले हाथयारों ८ पू०के मध्य अवस्थित है। भूपरिमाण २०८ वर्गमील! और शरावके संब'धर्म होता है।