पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४८

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फजिर-फट किया जेनरल पेपियरके विरुद्ध नरोद-युद्धमें आप मारे गये। फट (सपु० स्त्री० ) स्फुट विकसने पचाउच, पृषो. फजिर ( हिंस्त्री०) फजर देखो। दरादित्वात् साधुः। १ फणा। २ दम्भ, पाखण्ड । फजिल ( हि पु० ) फजल देखो। ३ कितव, छल, धोखा। फजीलत ( अं० स्त्री० ) उत्कृष्टता, श्रेष्ठता । फट ( हि स्त्री० ) १ किसी फैले तलकी हलकी पतली फजीहत ( अं० स्त्री० ) दुर्दशा, दुर्गति । | चीजके हिलने या गिरने पड़नेका शब्द । २ फट देखो। फजीहती ( हि स्त्री० ) फजीहत देखो। फटक (हिं० पु० ) १ स्फटिक, विल्लौर पत्थर । (वि०) २ फजूल ( अं० वि० ) व्यर्थ, निरर्थक । तत्क्षण, भट। फजलग्वर्व (फा०वि०) अपव्ययी, बहुत खर्च करनेवाला। फटकन ( हि स्त्री० ) वह जो फटक कर निकाला जाय । फजूलग्यची । फा० स्त्री० ) अपव्यय, व्यर्थ व्यय करना। फटकना (हि क्रि०) १ हिला कर फट फट शब्द करना । फक्षिका ( स० स्त्री० ) भनक्ति रोगानिति भा आमदने २ सूप पर अन्न आदिको हिला कर साफ करना। ३ ण्वुल. पृपोदरादित्वात् भस्य फ, टापि अतइत्वं। १ रुई आदिको फटकेसे धुनना। ४ फेकना, पटकना । ५ ब्राह्मणयटिका, भारंगी नामका क्षुप । २ देवताड़। ३ | चलाना, मारना। ६ पहुंचना, जाना। ७ अलग होना, दुगलभा, जवासा। ४ दन्तिवृक्ष। दूर होना। ८ श्रम करना, हाथ पैर हिलाना। ६ तड़- फञ्जिपत्रिका ( म० स्त्री० ) फजिरोगहारकं पत्र यस्याः " फड़ाना, हाथ पैर पटकना । कप, टाए अतो इत्वं । १ आखुपणी, मूसाकानी । २ फटकरी (हि. स्त्री० ) फिटकरी देखो। वनस्पतिभेद। फटका ( हिं० पु० ) १ रुई धुननेकी धुनियेकी धुननी। २ फजी ( म० स्त्री० ) भञ्ज-अच , पृषोदरादित्वात् भस्य फ, गोगदित्वात् छोए । १ भागीं, ब्रह्मनेष्टि नामक क्षुप । २ तड़फड़ाहट। ३ रस और गुणसे होन कविता, कोरी- तुकवदी। ४ वह लकड़ी जो फले हुए पेड़ोंमें इसलिये दन्तोवृक्ष। ३ वृद्धदारकवृक्ष। ४ योजनवल्ली। बांधी जाती है, कि रस्सीके हिलानेसे वह उठ कर गिरे फजीकर । म पु०) फञ्जी। फज्यादिपञ्चक (म० पु०) पक्षी आदि करके पांच प्रकार- और फटफटका शब्द हो जिससे चिड़ियां उड़ जायं का साग, पक्षी, जीवनी, पद्मा, तर्कारी और चुञ्चक यही अथवा पेड़के पास न आय । ५ एक प्रकारकी बलुई पांच प्रकारके माग। इसका गुण वातहारक, ग्राहक, भूमि। ऐसी भूमिमें पत्थरके टुकड़े भी होते हैं जिससे दीपन, रुचिकर, त्रिदोषनाशक, पथ्य, प्राहक और बलकर वह उपजाऊ नहीं होती। माना गया है। फटकाना ( हि० कि०) १ अलग करना, फेकना। २ फर- फट ( स० अध्य० ) १ अनुकरणशब्द। २ अस्त्रवीज, कनेका कास किसी दूसरेसे कराना। तन्त्रोक्त अन नामक मन्त्रभेद। इस मन्त्रका शान्ति- फटकार (हिं० स्त्र० ) १ दुतकार, झिड़की। २ शाप । कुम्भक्षालन, अर्यपात्रक्षालन, अय॑जल द्वारा पूजोपकरण- फिटकार देखो। के अभ्युक्षण, अन्तरीक्षगत विघ्नोत्सारण, विकिरक्षेपण, फटकारना (हिं क्रि०) १ शास्त्र आदि मारना, चलाना । गन्धपुष्प द्वारा करशोधन, अघमर्षण, पापपुरुषताड़न, २ झटका दे कर फेकना । ३ अलग करना, दूर करना । कराङ्गन्यास, नैवेद्यप्रोक्षण, होमाग्निके क्रव्यादांशपरित्याग, ४ एकमें मिली हुई बहुत-सी चीजोंको एक साथ हिलना होमाग्निके आवाहन, तदग्नि प्रोक्षण आदिमें प्रयोग या झटका मारना जिसमें वे छितरा जांय। जैसे, दाढ़ी होता है। (त्रि.)३विशीर्णादि। फटकारना । ५ लाभ उठाना, लेना। ६ कपड़े को अच्छी

  • दिल्लीगजटमे लिखा है, कि मितोलीके सिंहासनच्युत तरह पटक पटक कर धोना। ७ खरी और कड़ी बात

राजा लोनी सिंह और मौलवी फजल हकको द्वीपातर यह! कह कर चुप करना। मिला था। फरकिया (हिं. पु. ) मीठा नामक एक प्रकारका विष ।