पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/४९१

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बेगमी-बेघराम मसजिद अभी भग्नावस्थामें पड़ी है । नगरकी श्रीवृद्धिके उपरिउक्त पेहवेगी नगर ही प्राचीन राजधानी था, लिये १८५६ ई०को २०वीं विधिके अनुसार म्युनिसिपल यह ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता : क्योंकि उसीके और पुलिमको रक्षाके लिये कुछ राजस्व वसूल होता है। समीप छिन्नबेगी नामक एक और प्राम है। बेगी मगरसे बेगमी (तु० वि०) १ बेगम सम्बन्धी। २ उत्तम. बढ़िया। मोल दक्षिण पूर्व में देण्डलूरु प्राम तक पुरातन अट्ठा. (पु०)३एक प्रकारका वढिया कपूरोपान।४ एक प्रका- लिकाओंका विस्तीर्ण ध्वस्तस्तूप पडा दृष्टिगोचर होता कारका पनीर । इसमें नमक कम डाला जाता है। है। वह प्रायः पेद्दबेगी और छिन्नयेगी तक विस्तृत है। पंजाबमें होनेवाला एक प्रकारका वढिया चावल । यह विस्तृत ध्वंसावशेष प्राचीन बेङ्गी राजधानीकी बेगर ( हिं० क्रि० वि०) बगैर देखो। समृद्धकीत्ति है। उसोसे नगरको प्राचीन वाणिज्यवृद्धि बेगरज़ { फा० वि० । १ जिसे कोई गरज या परवा न हो। और श्रीसौन्दर्यकी कल्पना हो सकती है । किंवदन्ती है, ( क्रि० वि० . २ निष्प्रयोजन, व्यर्थ । कि मुसलमानीने बेगी और हेण्डलूरुका ध्वंसप्राय मन्दि बेगरजी ( फा० स्त्री० बेगरज होनेका भाव । रादिके पत्थर ले कर इल्लोरका दुर्ग बनवाया था। बेगवती (सं० स्त्री०) एक वर्णा वृत्त। इसके विषम पादों- 'बेगुन ( ति पु० ) बैंगन देखो। में ३ सगण, १ गुरु और सम पादोंमें 3 भगण तथा बेगुनाह ( फा०वि० ) १ जिसने कोई गुनाह न किया हो, २गुरु होते हैं। जिसने कोई पाप न किया हो। २निदोष, जिसने कोई बेगसर ( हिं० पु० ) अश्वतर, खश्चर। अपराध न किया हो। बेगानगी ( फा० स्त्री० ) बेगाना होनेका भाव. परायापन। बेगुनी । हिं० स्त्रो० ) एक प्रकार की सुराही । बेगाना ( फा० वि० ) १ जो अपना न हो, गैर, पराया। बेगूसराय बिहार और उड़ोमाके मुङ्ग र जिलेका एक २ अनजान, नावाकिफ। ! उत्तर पश्चिम उपविभाग । य: अक्षा० २५१ से २५४७ बेगार ( फा० स्त्रो० ) १ विना मजदूरोका जबरदस्ती लिया : उ० तगा देशा० ८५ ४७ से ८६ २७ पू० के मध्य अम- हुआ काम । २ वह काम जो चिन लगा कर न किया . स्थित है । भूपरिमाण ७५९ वर्गमील और जनसंख्या साढ़े जाय, वह काम जो बेमनसे किया जाय । छःलाखके करीब है। इसमें ७.५ ग्राम लगते हैं तेघड़ा बेगारी ( फा० स्त्री० । बेगारमें काम करनेवाला आदमी। और बेगुमराय थाना ले कर यह उपविभाग संगठित बेगी (पेद्दबेगो) --मन्द्राजप्रदेशके अन्तर्गत एक प्राचीन नगर। है। एक समय यहां नी की अच्छी खेती होती थी। यह इल्लोर नगरसे ६ मोल उत्तरमें अवस्थित है। जन - यहां फौजदारी और राजस्वकी कलकृरी अदालत है। साधारणको विश्वाय है कि बेडोके नेलिङ्ग राजाओंने पहले २ उक्त उपविभागका मदर। यह अक्षा० २५ २६ उ० यहां राजधानी बमाई थी। ६०५ ई में चात्नुफ्य विजयके तथा देशा० ८६६ पू० के मध्य अवस्थित है । जनसंख्या बादसे ही इस वंशका प्रताप खर्व होता आया। ४थी ६३३८के लगभग है। यहां सरकारी दफ्तर और एक शताब्दीमें जो एक ताम्रफलक उत्कीर्ण हुआ है उममें यह : छाटा जेल है, जिनमें केवल २८ कैदी रखे जाते हैं। घंश शालङ्कायण-राजवंश कह कर वर्णित है। बेघराम एक प्राचीन नगर । अभी यह ध्वंसावस्था- शिलालिपिके प्रमाणसे और भी जाना जाता है, कि में पड़ा है। यह अक्षा० ३४.५३ उ० तथा देशा बेङ्गीराज्य दाक्षिणात्यका एक अति प्राचीन जनपद था । १६ पू०के मध्य काबुल नगरमे २५ मील और जलाला- पल्लवगण यहांका शासन करते थे। काञ्चीपुरके पल्लव ! बादसे २ मोल पश्चिममें अवस्थित है। नगरके चारों राजाओंके साथ इनका नजदीक संबध था। प्रत्नतस्व: ओर ६० फुट चौड़ी कच्ची ईटकी प्राचीर विद्यमान है। विद् बुनलके मतानुसार यह राज्य श्री शताब्दी में प्रति- मुद्रातत्त्वज्ञ भ्रमणकारी चार्लस मेसनने इस नगरका पर्य- ष्ठित हुआ। चालुक्यराजाओंसे बेङ्गीका अधःपतन होनेके वेक्षण करके इसकी .\uxiant citieam कह बाद काञ्चीपुर ही पल्लवराजाओंकी राजधानी हो गई। कर तुलना की है नगरके ध्वंसावशेषका अनुसन्धान ___Vol. xv. 122