पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष पंचदश भाग.djvu/५०४

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४८ बेदी-बेरार (बरार) लिये सहानुभूति न हो, दूसरों के कप्टको कुछ न समझने- बेर ( हिं० पु० ) १ प्रायः सारे भारतमें मिलनेवाला मझोले वाला। २ निर्दय, बेरहम । आकारका एक प्रसिद्ध कंटीला वृक्ष। इसके छोटे बड़े बेदी (हिं० वि० ) जिसमें पेंदा न हो, जो पेंदा न होनेके कई भेद होते हैं। विशेष विवरण बदर शब्दमें देखो । २ कारण इधर उधर लढकता हो। | बेरका फल। (स्त्री०) ३ बार, दफा । ४ .बिलम्ब, बेफायदा ( फा० वि० ) १ जिससे कोई फायदा न हो, देर। ध्यर्थका। ( क्रि० वि०) २ नाहक । | बेरजरी (हिं० स्त्री० ) जंगलो बेर, झड़वेरी। बेफिक्र (फा०वि०) निश्चिन्त, बेपरवा । . बेरजा (हिं० पु. ) बिरोजा देखो । बेफिक्री (फा० स्त्री० ) निश्चिंतता, बेफिक्र होनेका भाव । बेरवा ( हिं० पु०) सोने या चांदीका कड़ा जो कलाईमें बेबस ( हिं० वि० ) १ जिसका कुछ वश न चले, लाचार। पहना जाता है। २पराधोन, परबश। बेरस (फा०वि०) १ रसरहित, बिना रसका । २ बेबसी ( हिं० स्त्रो० ) विवशता, मजबूरी। २ पराधीनता, जिसमें आनन्द न हो, बेमजा। ३ जिसमें अच्छा स्वाद परवशता । - न हो, बुरे स्वादवाला। बेबाक ( फा० वि० ) जो अदा कर दिया गया हो, चुकता बरहम ( फा० वि० ) निर्दय, निठुर । किया हुआ। बेरहमी (फा० स्त्रो०) निर्दयता, निष्ठुरता । बेबुनियाद ( फा० वि० ) निमूल, खेजड़। बेरा ( हिं० पु० ) १ समय, बक्त। २ प्रातःकाल, तड़का। बेध्याहा (फा० वि० ) अविवाहित, कुआरा । ३ एकमें मिला हुआ जौ और चना। में भाव (फा० क्रि० वि० ) जिसका कोई हिसाब या गिनती बरा ( पु० ) वह चपरासी, विशेषतः साहब लोगोंका न हो, बेहद । वह चपरासी जिसका काम चिट्ठी-पती या समाचार बेम (हिं० स्त्रो०) जुलाहोंको कंघी। आदि पहुंचाना और ले आना आदि होता है। बेमन ( फा० क्रि० वि० ) १ बिना मन लगाए, विना दत्त- बरादरी ( हिं० पु० ) बिरादरी देखो । चित्त हुए। (वि०) २ जिसका मन न लगता हो। बेराम ( हिं० वि० ) बीमार देखो। बेमरम्मत ( फा० वि० ) जिसकी मरम्मत होनेको हो, पर देरामी ( हिं० स्त्री० ) बीमारी देखो। न हुई। बेरार (बरार-मध्यभारतके अन्तर्गत एक स्वतन्त्र प्रदेश । बेमरम्मती (फा० स्त्री० ) बेमरम्मत होनेका भाव । यह पहले बरार राज्यके नामसे प्रसिद्ध था। हैदराबाद के बेमारी ( हि० स्त्री० ) बीमारी देखो। नवाब निजामने जबसे इसका कर्तृत्व अङ्गरेजोंके हाथ बेमालूम (फा० कि० वि० ) १ बिना किसीको पता लगे। सौंपा, तबसे यह हैदराबाद एसाइण्ड डिष्ट्रिक नामसे (वि०) २ जो मालूम न पड़ता हो, जिसका पता न लगता प्रसिद्ध हुआ। हैदराबादके रेजिडेण्ट वेरारके चीफ कमि- श्नर-पद पर रह कर यहांका शासन-कार्य चलाते थे। बमिलावट (फा० वि०) शुद्ध, खालिस । तभीसे बरारराज्य आकोला, बुलदाना, बासिम, अमरा. बेमुनासिब ( फा० वि० ) अनुचित, जो मुनासिब न हो। वतो, इलिचपुर और बुन इन छ: जिलोंमें बंट गया है। बेमुरव्वत (५.१७ वि० ) जिसमें शील या संकोचका इसकी उत्तर और पूर्व सीमामें मध्यप्रदेश, दक्षिणमें अभाव हो, तोता-चश्म। निजामराज्य और पश्चिममें बम्बई प्रेसिडेन्सो है। भूपरि- बेमुरव्वती (फा० स्त्री०.) बेमुरव्वत होनेका भाव। माण १७७१० वर्गमील है। यह अक्षा० १९३५ से बेमौका (फा०वि०) १ जो अपने उपयुक्त अवसर पर न : २१४७ उ० तथा देशा० ७५ ५ से ७६ ११ पू०के हो। (पु.)२ अवसरका अभाव, मौकेका न होना। मध्य अवस्थित है।। बेयरा ( हिं० पु० ) बेरा देखो। समन बरार-राज्य पूर्वपश्चिममें बिस्तृत एक