पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१००

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अखरोट जङ्गली-अखुट ६४ जाती, जिसे थैलों में रखकर कोल्हू या कलमें डाल दङ्गल । ३ साधुओंको सभा। ४ दरबार । ५ मजलिस। देते हैं। पहला तेल खानेके काम आता है। इसके ६ रङ्गभूमि, रङ्गशाला। ७ नृत्यशाला। ८ झुरमुट । बाद खली खौलते पानीमें डाली और फिर कोल्हमें ८ आंगन। १० मैदान। पेरी जाती है। इसका तेल लगानेके काममें आता है। अखात (सं० पु०) न-खन्-क्त, नञ्-तत् । १जो पौछे जो खली रहती, वह पशुओंका अच्छा खाद्य खोदा नहीं गया। स्वाभाविक जलाशय । २ झोल । होती है। इसका बकला दस्तावर होता और जुलाब ३ खाड़ी । (सं० त्रि०) खातशून्य । लेने में उपयोग किया जाता है। पत्तियां बहुत ही पुष्ट | अखाद्य (सं० त्रि०) न-खाद-ण्यत्, नञ्-तत् । अभक्ष्य। होतो और क्षतपर लगानेसे उसे चङ्गा कर देती हैं। खान योग्य नहीं। लोगोंको विश्वास है, कि अखरोटका फल भी गठिया- | अखानी (हि. स्त्रो०) अनके डण्ठल ठीक करनेकी बातपर अपना अच्छा प्रभाव डालता है। जुलाई और एक कुरी। सेप्तम्बर मासमें फल पकता, जो कड़े बकलेके भीतर अखार (हि. पु०) कुम्हारके चाकमें रखा जानेवाला निकलता है। काश्मीर और उत्तर हिमालयमें अख- मट्टोका लोंदा। रोट लोगोंका प्रधान खाद्य है। पत्तियां और छोटी- | अखारा (हि. पु०) अखाड़ा। दङ्गल। कसरत करने छोटी डालियां पशुओंको काट-काट कर खिलाई जाती और कुश्ती लड़नेको जगह। हैं। बकला मैदानोंको चालान होता, जिसे स्त्रियां अखिद्र (सं० त्रि०) न-खिद्-रक्, नज-तत् । खेदशून्य । अपने होंठ लाल करनेके लिये व्यवहार करती हैं। प्रसन। लोग कहते, कि अखरोटको डाल कमरेमें रखनेसे अखिन (सं० वि०) न-खिद्-त भावे, नञ्-तत् । मक्खियां भाग जाती हैं। अबुलफजलने लिखा है, कि १ क्ल शशून्य। जो खिन्न न हो। २ जो क्लेश न उनके समयमें काश्मीरमें एक अनोखी चाल थी, माने। ३ सहनशील। तितीक्षावाला। जिसका वर्णन यों है,- अखिल (सं० वि०) न-खिल-क, नञ्-तत्। समस्त । जिनबूल ग्राममें एक कुण्ड है, जिसमें लोग अख समग्र। सम्पूर्ण। पूरा। सब। बिलकुल । सर्वाङ्ग । रोट यह जाननेको फेंकते हैं, कि उनका काम सिद्ध अखौन (हि० वि०) १ न छोजनेवाला। चिरस्थायो। होगा या नहीं। यदि अखरोट उतराता रहा, तो २ स्थिर। ३ नित्य । ४ अविनाशी। ५ एक रस शुभशकुन समझा जाता है, किन्तु उसके डूब जानेसे रहनेवाला। कम न होनेवाला। अशकुन होता और लोगोंको अपनी कार्यसिद्दिको अखौर (अ० पु०) १ अन्त। छोर। २ समाप्ति। सम्पूर्णता। आशा नहीं रहती। अखुआपदा-उड़ीसाके बालेखर जिलेके अन्तर्गत भद- अखरोट जङ्गली (हि० पु०) जायफल । रख तहसौलका एक नगर या शहर, जो उड़ौसा- अखर्ब (सं० त्रि०) बड़ा । लम्बा। भारो। को ट्रक-रोड पर अवस्थित है। उत्तर-भारतसे श्रीक्षेत्र में अखसत (सं० अक्षत) अक्षत देखो। आनेका पहले यह एक मात्र पथ था। इसलिये सन् अखा (हि. स्त्री०) समुद्रको खाड़ी। समुद्रके जलका १८२७ ई० में एक प्रसिद्ध बङ्गालो धनी द्वारा विपुल वह भाग जो भूमिमें चला आया हो और जिसको तीन | अर्थव्ययसे राजघाट, बालेश्वर, अखुआपदा प्रभृति ओर खुली भूमि और एक ओर जल रहे। अगरेज़ीमें स्थानों में सराय निर्मित हुई थी। इसे गल्फ (Gulf) कहते हैं । (वि०) समूचा । अखण्ड। अखुट (हि. वि.) १ अखण्ड । जो न चुके या न घटे । अखाड़ा (हि० पु०) १ वह स्थान जो कुश्ती लड़नेके २ अक्षय । ३ बहुत । अधिक। ४ न खुटनेवाली। लिये बना हो और जहां थोड़े बहुत आदमौ प्रायः इकट्ठे राधा रानीको रहत, हरिपर प्रेम अखूट । रहते हों। २ तमाशा करने या लकड़ी खेलनेवालोंका बंसी मधुर बजायके, श्याम लियो व्रज लूट ॥-सम्पा०