पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/१९०

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अचीन-अच्छत्र १८३ अचीनाधिपतिने मलक्का हौपको अधिकार करनेके अचेतन कहते हैं। जैसे-वृक्ष, पर्वत इत्यादि। लिये कमसे कम दश बार जङ्गो जहाजोंको प्रेरण पीड़ादिवशतः ज्ञानशून्य हो जानसे जब मनुष्य इच्छानु- किया था। सन् १६१५ ई० में तात्कालिक राजा सार बात नहीं करता और पूछनेपर बातका उत्तर सिकन्दर मदाने ५०० जङ्गी जहाजों और ६०,००० नहीं देता, तब उसे भो अचेतन कहा जाता है। सिपाहियोंको रवाना किया। उनमें १०० जहाज इतने मूर्छा, सन्यास, ज्वर, मस्तिष्क-प्रदाह, कृमि प्रभृति शब्दोंमें इसका विशेष बड़े थे, जितने बड़े जहाज उस समय किसौ युरो- विवरण देखो। पोय राजाके पास न रहे। इससे स्पष्टे मालूम अचेतस् (सं० त्रि०) न चित-असुन्। सर्वधातुभ्योऽसुन् । उप होता है, कि अचौनाधिपति कैसे धनी और प्रताप ४११८८ । नञ्-तत्। चेतनाशून्च, बेहोश । शालो थे। सन् १६४१ ई० में सिकन्दर मुदाको मृत्युके अचेतान (सं० त्रि०) न चित-शानच्, नञ्-तत् । बाद क्रमान्वयसे तीन स्त्रियोंने राजाशासन किया। चेतनाशून्य, बेहोश। सन् १६८८ ई० में अरबोंके एक दलने स्वजातिको अचेलपरीसह (हिं० पु०) आगममें कथित वस्त्र राजा बनाया था। इसके बाद अचीनको अवनति होने पहनने और उनका दोष न देखनेका नियम । लगो। सन् १८१६ ई में यवद्दोप हलाण्डको प्रत्यर्पण अचेष्ट (सं० त्रि०) नास्ति चेष्टा यस्य, बहुव्री । किया जानेसे इङ्गलण्डीय गवर्णमेण्टने अचीन पर १ निश्चेष्ट, चेष्टारहित ; विना कोशिश । २ ज्ञानशन्य, अपने प्रभुत्वको अक्षय रखनेकी चेष्टा को। सन् बेहोश। १८१८ ई० को सन्धिमें यह नियम रखा गया- अचेष्टता (स० स्त्री०) अचेष्ट-तल्-टाप् । निश्चेष्टता, कोई जाति अचीनमें रहने न पायेगो। सन् १८२४ चेष्टाराहित्य । ई० में जब इङ्गलण्डीय गवर्णमेण्टने हलाण्डके साथ अचैतन्य (स० वि०) नास्ति चैतन्यं यस्य । ज्ञानश न्य, कितने ही अधिकारोंका विनिमय किया, तब चेतनारहित । बेहोश। सुमात्रामें इङ्गलण्डका जो सकल अधिकार था, वह अचेन (हिं० पु० ) तकलीफ, दुःख, वेचैनी। हलाण्डको दिया गया। सन् १८७३ ई० में हलाण्डके अचैना (हिं० पु०) चारा काटनेका लकड़ीवाला कुन्दा। सैन्यदलने अचौन नगरपर आक्रमण किया। इसमें यह जमोनमें गड़ा रहता और इसपर रखकर हलाण्डवाले सम्पूर्ण पराभूत हुए और उन्हें विस्तर गंडाससे चारा काटा जाता है। पहुंटा। २ लकड़ी क्षतिको उठाना पड़ा। किन्तु हलाण्डवालोंने एकबारगो काटने और छीलनेका ठीहा। हो भग्नोत्साह न हो थोड़े दिनों बाद पुनर्वार | अचोट (हिं० वि०) जिसके चोट न लगे, युद्धको आरम्भ किया एवं सन् १८७४ ई० के जनवरी मासमें अचीन नगरको हाथमें ले लिया। अचोना (हिं० पु०) १ आचमनी। २ पानी पौनेका अचूक (हिं० वि०) १ न चूकनेवाला, निश्चित। पात्र, कटोरा। (क्रि० वि०) २ विना चूके, बराबर। अच्छ ( स० अव्य०) न च्च्यति दृष्टिम्, छो-क। अचेत (सं० त्रि०) १ चेतनाशून्य, बेहोश । २ बेअल्ल, १ अभिमुखमें, सम्मुख में। रूबरू, सामने। (त्रि.) निर्बुद्धि। ३ जड़, बेजान । (क्ली० ) ४ बेजान चीज. न च्च्यति, छो-क; २ स्वच्छ, निर्मल ; साफ़, बेमेल । जीवनशून्य पदार्थ । (पु०) ३ स्फटिक । ४ भालू । ५ अक्षि, आंख। अचेतन. (सं० त्रि०) नास्ति चेतना यस्य। चेतना ६ अक्षयकुमार। ७ रुद्राक्ष । शून्य, ज्ञानशून्य। बेजान, बेअक्ल । जो सकल पदार्थ | अच्छत--अक्षत देखो। • इच्छानुसार कहीं नहीं जाते, देखते और सुनते अच्छत्र (स० वि०) छदि-रक् छत्र। नास्ति छ नहीं और न सुख-दुखका अनुभव हो करते, उन्हें | राजशासनं यत्र। जिस -स्थलमें राजच्छत्र न हो। सुरक्षित।