पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२०४

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अजमेर-अजय इस दरगाहको पवित्र समझते हैं। शहाबुद्दोनके दोष नष्ट हो जाते हैं। युरोपीय चिकित्सकोंने अजमेरको आक्रमण करने आनेसे पहले खाजा परीक्षा द्वारा देखा है, कि अजमोदा हिक्का, वमन मुईनुद्दीन चिश्ती नामक एक फ़कोर इस जगह और मूत्राशय प्रभृतिको वेदनामें विशेष उपकार आ पहुंचे थे। प्रायः वह खाजा नामसे प्रसिद्ध करती है। वैद्यशास्त्र में अजमोदा, अजवायन, जङ्गली हैं। यह दरगाह उन्हींका कबरस्थान है। प्रति अजवायन, ईरानी अजवायन और खुरासानी अज- वत्सर इसमें उर्स नामका एक मेला लगता है। वायनके विषय में कुछ गड़बड़ जान पड़ती है । अनेक वह छः दिन रहता और उसमें कोई २०,००० लोग स्थलमें अजमोदाको जगह अजवायन, जङ्गली अज- समवेत होते हैं। वायन प्रभृति सकल प्रकारको अजवायने समझो अजमेरमें एक दूसरी भी बड़ी मसजिद है, जो जाती हैं। किन्तु यह बात ठीक नहीं। अजमोदा, पहले जैनियोंका मन्दिर रही, पोछे मुसलमानोंने अजवायन और जङ्गली अजवायन,-यह तीनो एक उसपर अपना अधिकार किया। अनासागर इदके हो श्रेणोके उद्भिद् (Umbellifers) हैं। इनके ऊपर जहांगीरने सफेद पत्थरका महल बनवाया था। मध्यमें फिर अजमोदा और अजवायन एक जातीय आजकल उसमें चीफ कमिशनर वास करते हैं। (Carum), और जङ्गलो अजवायन अन्य जातीय अजमेर-मेरवाड़ा-राजपूतानेका एक अंगरेजी प्रान्त । (Seseli) है। युरोपीय उद्भिद्शास्त्र में अजमोदाका गवरनर-जनरलके राजपूतानमें रहनेवाले एजण्ट Carum Roxburghianum, Benth ; atua- इस प्रान्तका प्रबन्ध चीफ कमिशनरकी भांति करते का Carum copticum, Benth; इसी जातिका हैं। इस प्रान्तमें दो छोटे-छोटे जिले हैं-अजमेर होने के कारण जीरका Caruin Carui, Linn और और मेरवाड़ा। यहां पर्वत खूब फैले हुए हैं। बहु जङ्गली अजवायनका नाम Seseli indicum है। मूल्य अभरक और प्रधानतः तांबा और सौसा धातु ईरानो अजवायन कोई स्वतन्त्र द्रव्य नहीं, ईरान जगह-जगह मिलती है। प्रधान फल अनार और देशसे इसको आमदनी होने के कारण ही इसे अमरूद है। चीता और भेड़िया तो कम देख ईरानी अजवायन कहते हैं। किन्तु खुरासानी पड़ता ; किन्तु बघेरा नागपर्वतसे देवैरतक भरा है अजवायन एकबारगी हो स्वतन्त्र पदार्थ है। यह और जङ्गली सूअरों को भी देशौ राज्योंमें कोई कमौ वार्ताकु, व्याकुड़, कण्टकारौके श्रेणीमुक्त वृक्षका वीज नहीं, जिन्हें राजपूत बड़े शौकसे शिकार करते है। (Solanaceae) है। उद्भिशास्त्र में इसका नाम जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यकर है। ग्रीष्ममें गर्मी और Hyoscyamus niger, Linn है। डाकरी पुस्तकमें शीतमें सर्दी रहती है। यहां पानी कम बरसता इसके पत्तेको हाइयोसियामस कहते हैं। है। अजमेर शब्दमें इतिहास देखो। अजमोदाख्या (स० स्त्री०) अजवायन । अजमोद, अजमोदा (सं० स्त्रो०) अज-मोदि-अण, अजमोदिका (स. स्त्री०) अजवायन । अजान् मोदयतोति। अजवायन। इस शब्दके कई अजमोदाद्यवटक (सं० पु०) आमवातका एक औषध । एक यह पर्याय हैं-खराह्वा, वस्तुमोदा, वर्कटी, अजमांस (स० लो०) छागमांस, बकरका गोश्त । मोदा, गन्धदला, हस्तिकारवी, गन्धपत्रिका, मायूरो, अजम्भ (सं० पु०) न सन्ति जम्भा दन्ता अस्य, बहुव्रो । शिखिमोदा, मोदाढ्या, वक्रिदीपिका, ब्रह्मकोशी, १ भेक, मेंड़क। २ सूर्य, आफ़ताब। (त्रि०) विशाली, हयगन्धा, उग्रगन्धिका, मोदिनौ, फलमुख्या ३ दन्तशून्य, जिसके दांत न हों। और विशल्या। वैद्यशास्त्रके मतसे अजमोदा-कटु, अजय (स' पु०) न जि-अच्. नञ्-तत्। १ जया- उष्ण, रुक्ष और रुचिकर होती है। इससे कफ, भाव, हार। अजैन छागलेन यातौति, या-क। वायु, शूल, आध्मान, अरुचि और क्षुधामान्य प्रभृति २ अग्नि, आग। ३ छप्पय छन्दका एक भेद।