पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२२४

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२१८ अञ्जौर अन्य - यह पिष्टक पुरके उद्भिद्-उद्यानमें नीचे लिखा दो तरहका अञ्जौर पूजामें चढ़ता था। प्राचीन काल से अद्यावधि तुरुष्क विद्यमान है- अञ्जौरके लिये प्रसिद्ध होता आया है। तुरुष्कको राज- पहलेमें ईरानके छोटे अञ्जोर जैसा फल लगता धानी स्मिरना नगरमें अञ्जोरको बड़ी-बड़ी दुकानें । यह खाने में अत्यन्त सुस्वादु और मुखप्रिय है। मौजूद हैं। विदेशमें अञ्जीर भेजनेको स्मिरनाके लोग वृक्ष बहुत सबलकाय और मोटा होता है। बड़ी मिहनत और ख बसूरतीसे पेटियां बनाते हैं। वृक्ष कानपुरका है। इसका फल अत्यन्त सुन्दर उनके दूसरे कामको देखते इस काममें आडम्बर और आंवले-जैसा बड़ा होता है। पकनेसे यह अधिक रहता है। रूमके धनी लोग भी बड़े-बड़े गहरा बैंजनी बन जाता भोजोंमें अञ्जोरको व्यवहार करते हैं। शीतकाल आनेपर उपरोक्त दोनो प्रकारके वृक्षोंमें आजकल भूमध्यस्थ-सागरके उपकूलस्थ देशसमूह- पत्ते नहीं रहते। फाल्गुन माससे कोंपल फटने में अञ्जीरकी खेती की जाती है। एशिया-माइनर, लगती, उसी समय कलौ भी निकलती है। ग्रीष्म स्पेन, पोतूंगाल और दक्षिण फ्रान्ससे राशि-राशि ऋतुके मध्यमें फल परिपक्व हो जाता है। इसी अञ्जार नाना देशोंको भेजे जाते है। इसमें तुरुष्कका समय वृक्षमें नये फल आते, किन्तु वह फिर पकते अञ्जीर ही सबसे अच्छा है।। नहीं। भारतवर्षके बीच पञ्जाब अञ्चलमें अञ्जीर युरोपवाले सभी देशोंके लोग अञ्जीर खाते हैं। अधिक होता, जो दूसरी थेणोके अञ्जौरसे अनेकांशमें विलायतमें दरिद्र लोग अञ्जीरके साथ बादाम मिला श्रेष्ठ है। वहांका अौर दो तरहका - काला और एक प्रकारका पिष्टक बनाते हैं। सफेद होता है। दाक्षिणात्यमें भी अञ्जौर उपजता विलायतमें राह-राह बिकते देख पड़ता है। पके है। वहांके बाजारों में ढेरका ढेर अञ्जीर बिका अञ्जौरको शराब भी बनाई जाती, जिसे प्राचीन रूमी करता है। साइसिटिस् (Scites) नामसे व्यवहार करते थे। जहां अञ्जौर उपजता है, वहां दूसरा वृक्ष अधिक युरोपीय और तुरुस्कदेशीय चिकित्सकोंके मतसे नहीं लगता। एक-एक अौरफल वजनमें कोई अञ्जीरका गुण भेदक है; किन्तु कभी-कभी यह एक छटांक तक होता है। इस फलको बहुकालसे उदरव्यथा और रुक्षता उत्पादन करता है। इसके मनुष्य व्यवहार करते आये हैं। यहदियोंकी प्रधान क्वाथका सारभाग शीतल और मृदु-विरेचक होता है। धर्मपुस्तकमें अञ्जौर शब्द वारंवार लिखा गया है। उपरोक्त चिकित्सक निम्नलिखित रोगों में अञ्जीरको हिरोदोतासको पुस्तक पढ़नेसे मालूम होता है, कि प्रयोग करते हैं,- कायरुसके समय ईरान देशमें अञऔर प्रचलित न था। १। स्वभावतः अलसक (constipation ) यानी किन्तु ईजिया और लिवाण्टके निकटस्थ प्रदेशसमूहमें कल होनेसे सूखा अञ्जीर बहुत उपकारी है। बहुकाल पूर्व से इसका प्रचलन था। यूनानियोंको २। स्फोटक यानी फोड़ा या ब्रण होनेसे अञ्जोरको पहले केरियासे अञ्चौर मिला, इसीसे वह इसे 'केरिया' पका पुलटिस बांधा जाता है। कहते हैं। प्रथमतः हेलेतिकोंने इसको कृषि बढ़ाई ३। फेफड़े और मूत्राशयको पौड़ामें अञ्जीरका थी। प्लिनीने नाना प्रकारके अञ्जौरका उल्लेख किया क्वाथ अतिशय शीतल और विरेचक होता है। है। रोमके विलासी लोग इवुसासके अञ्जौरको अच्छा अञ्जौर-एक नगर जो बलूचिस्थान-खिलातसे सोन- कहते थे। पहले इटली देशके क्रौतदास यानी मियानी जानेको राहमें मूला नदीको एक पयःप्रणाली गुलाम और किसान ही अधिक अञ्जौर खाते थे। किनारे अवस्थित और खिलातसे ३० कोस दूर है। रोमियोंके पुराण-ग्रन्थमें अञ्जोर बहुत शुद्ध और पवित्र पहले यहां जीही जातिके बलूची रहते थे। सन फल बताया गया है। यह रोमके देवता वाकाशको १८३८ ई० के शेषभागमें अंगरेजोंके सेनापति विलशा-