पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२३६

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२३. अणु झुकानेसे झम-झम शब्द निकलता है। वायु रहनेसे। है, सुतरां हाइड्रोजन पहले निकलता, जिसके ऐसा शब्द नहीं होता। पछि कार्बोनिक एसिड निर्गत होता है। कृष्ण- बाष्प, तरल द्रव्य किंवा कठिन पदार्थके अणु सौसके पत्रसे एक आधारको दो भागोंमें विभक्त कर एकत्र मिले नहीं रहते। वह परस्पर पृथक् हो उसके निम्नभागमें केवल विशुद्ध हाइड्रोजन रखने- जाते हैं। फिर भी, कठिन पदार्थक अणु बहुत कुछ पर यह बाष्प कृष्णसीसके भीतरसे शीघ्र ही ऊपर आ पास-पास रहते हैं। किन्तु एक-एक अणुका मध्य पहुंचती है। हाइड्रोजनका कोई-कोई अणु परस्पर वर्ती स्थान खाली होता, वहां आकाश-भिन्न और संघर्ष हारा संयुक्त हो जानेसे अवश्य हो असंयुक्त कुछ भी नहीं। बाष्प और तरल पदार्थक अणु सर्वदा अणुसे भारी होता, जिसके कारण संयुक्त अणु ही चला करते हैं। इसीसे घरमें कोई गन्ध द्रव्य कभी बोतलके ऊपर पहले आ न सकता। फिर ले जानेसे चारो ओर आमोदित हो जाती हैं। एक बोतलवाले दोनो अंशोंके अणुओंको यद्यपि कृष्णसीस- घड़े पानीमें थोड़ा कपूर डाल देनेसे सभी पानी के पत्रसे छान लिया जाये, तथापि ऊपरका अणु सुवासित होता है। बाष्यके अणु पतले हैं, परस्परमें लघु होनेके कारण पहले बाहर निकलेगा। किन्तु अधिक ठेल-ठाल नहीं चलती ; इसौसे यह सौधे कार्यतः ऐसा नहीं होता। विशेष परीक्षा हारा यह राहपर जा सकते हैं। किन्तु, जब एक अणु दूसरे सप्रमाण हुआ है, कि ऊपरके अणु निकलने में जितना अणु को ठेलता, तब यह तत्क्षणात् अलग-अलग हो समय लगता है, नोचेके अणु भी ठोक उतने ही जाते हैं। पृथक् होनेपर यह फिर सीधे अपनी समयमें बाहर हो जाते हैं। इससे यह निश्चित राहपर चला करते हैं। तरल पदार्थंके अणु घन हुआ, कि अणु परस्परमें संयुक्त नहीं,-पृथक्- होते, सर्वदा हो टक्कर मारते रहते ; जिसके लगनेसे पृथक हो रहते हैं। एक-एक द्रव्यके प्रत्येक अणु का पृथक्-पृथक् हो जाते हैं। इसीतरह सर्वदा ठेल आकार, अवयव और भाव ठीक एक ही प्रकारका ठालसे पृथक् हो जानेके कारण इनको गति वक्र है। किन्तु एक प्रकारके पदार्थका अणु अन्य किसी हो जाती है। कठिन पदार्थक अणु एक प्रकार प्रकारके पदार्थवाले -जैसा नहीं। इसका तात्पर्य स्थिर होते हैं। यह परस्पर इतने पास-पास रहते, यह है, जल एक पदार्थ है। निर्मल होनेसे, कि इन्हें चलने-फिरनेका स्थान नहीं मिलता। किसी प्रकारका भी जल क्यों न हो, सबका अणु एक इस बातका खासा प्रमाण विद्यमान है, कि ही जैसा होगा। तालाबका जल हो, या समुद्रका बाष्पीय परस्पर टकरानेसे एकत्र नहीं जुड़ते, जल हो, जन्तुके रक्तका जलभाग किंवा पेड़के रसका संघर्ष होनेके बाद फिर अपने-अपने पथमें चलने लगते जलीयांश ही हो, परिष्कार करनेसे सकल जलके हैं। कार्बोनिक एसिड गैस भरी बोतलको ढट्ठी खोल अणु समान होते हैं। किन्तु जलके अणु लवणवाले देमेसे बाष्प बाहर निकल सारे घरमें व्याप्त हो जाती अण के तुल्य नहीं। भिन्न-भिन्न वस्तुके अणु, विभिन्न है। फिर बोतलके मुंहपर कृष्णसोसका पत्र ढका प्रकार होते भी, इनके आकारमें कोई विशेष प्रभेद रहनेसे, जिसतरह कपड़ेके छेदसे जल निर्गत होता, नहीं रहता। कारण, किसी आधारमें जितने हाइड्रो- उसी तरह कृष्णसीसके पत्रसे बाष्प निकलती है। जनके अणु समाते, उसी आधारमें ठीक उतने ही बोतलमें केवल कार्बोनिक एसिड न रख हाइड्रोजन भी समा सकते हैं। ऐसे स्थलमें और अक्षिजन यह दोनो प्रकारको बाष्पें भी रखो अणु ओंके भारका तारतम्य हो सकता है, किन्तु जाती हैं, किन्तु ऐसी अवस्थामें जो बाष्प अधिक संख्या में न्यूनाधिक्य नहीं पड़ता। इसका प्रमाण यही लघु होती, वही पहले बाहर निकल पड़ती है, किसी आधारमें बाष्प रखनेसे, अणु को स्वाभा- है। हाइड्रोजन कार्बोनिक एसिड गेसको अपेक्षा लघु विक गति द्वारा उस आधारपर सर्वदा हो आघात अण, अण अक्षिजनके अणु