पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२६६

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चालाक। शरीर। रतो वा। इस अतिमुक्तकमाला-अतिराव हुआ। २ बेफायदा, ऊट-पटांग। (पु०) ३ तिनसुनेका अतियाज (स० त्रि.) एक ऋषिका नाम । पेड़। अतिक्रान्त मुक्तां शुभ्रवर्णत्वात् । ४ माधवौलता, अतियुक्त ( स० त्रि०) बार-बार कहा गया। मोगरा। अतियुवन् (सं० त्रि.) बहुत तरुण, निहायत अतिमुक्तकमाला (स' स्त्री०) अतिमुक्तक फूलका हार । नौजवां। अतिमुक्तक, (सं० पु०) अतियोग (सं० पु०) अधिक सम्बन्ध, ज्यादा तिनसुनेका वृक्ष, तिन्दुक अतिमुक्तका (सं० स्त्री०) मिलाव, मानासे अधिक औषधका योग । वृक्ष, पुष्पवृक्षविशेष, तालका पेड़। अतिरंहस् (स० त्रि.) १ बहुत तेज, निहायत अतिमुक्ततेल (सं० लो०) अतिमुक्तके वोजका तेल । २ जिसका वेग अधिक हो। अतिमुक्ता (सं० स्त्री०) अतिमुक्त काया, पुण्य- अतिरक्त (स.त्रि.) अत्यन्तः रक्तः रक्तवर्ण: अनु- १ अति लोहितवर्ण, बहुत ज्यादा लाल । अतिमुक्ति (स० स्त्री०) अत्यन्ता मुक्तिः। कैवल्य, २ अधिक अनुरक्त, किसी वस्तुमें अधिक प्रेम संसारके बन्धनसे निष्कृति। करनेवाला। अतिमुशल (सं० पु०) ज्योतिषका वह वक्र योग, अतिरक्ता (सं० सी०) जवापुष्य वृक्ष, लालदुपहरी। जिसमें मङ्गल एक नक्षत्रमें अस्त और उससे सत्रहवें अतिरजा-रेवतमन्वन्तरके देवताओंका नाम । (मत्स्य- या अट्ठारहवें नक्षत्रपर अनुवक्र होता है। पु० १२ १०) योगमें चोरी और मारकाट होती और पानी नहीं अतिरञ्जना (स० स्त्री०) अधिक बनावट, बड़ी बरसता है। चिकनी-चुपड़ी। अतिरणचण्डपल्लव-सन् ई० के ५३ शताब्दवाले पल्लव- अतिमूत्र (स० पु०) वह रोग जिसमें पेशाब हदसे ज्यादा उतरता है, एक प्रकारका प्रमेह। यह वंशके एक राजा, जिनका राज्य मन्द्राज-प्रान्तमें रोग बहुत बुरा है और रोगीको कमज़ोर बनात विस्तृत था। अतिरथ (सं० पु०) अतिक्रान्तो रथं रथिनम्। अतिमूर्ति (स० स्त्री.) १ उच्च स्वरूप, बढ़िया महा योद्धा, असंख्य शत्रु ओंके साथ लड़ने में समर्थ । (स्त्री०) अतिरथी। २एक प्रथा। अतिरभस (सं० पु.) अतिमृत्यु (स० पु० ) अतिक्रान्तो मृत्युम्। १ मोक्ष । अत्यन्त वेग, निहायत. तेज़ चाल। २ अधिक मृत्यु, महामारी। अतिमैथुन ( स० पु० ) अत्यन्त मैथुनम् । अतिरस (सं० पु०) पौण्ड्रक, पौंडा, स्थूल इक्षुदण्ड । स्त्रीसंसर्ग। यह आयुक्षयका प्रधान कारण है और अतिरसा (स० स्त्री० ) अतिशयितो रसो यस्याः । इसौके दोषसे प्रायः सब जगह यक्ष्मारोग होजाता हैं। रास्ना, मूर्खालता। रास्ना आम आदि वृक्षों में उत्पन्न अतिमोक्ष (सं० पु०) मृत्यु से अन्तिम छुटकारा। होती और निकालकर रखनेसे बहुत दिन हरी भरी अतिमोदनौ, अतिमोदिनी, प्रतिमोदा देखो। बनी रहती है। अतिमोदा (स. स्त्री०) अतिशयितो मोदः गन्धः अतिराज, अतिराजन् (सं० वि०) अतिक्रान्तं राजा- यस्याः। १ नवमल्लिका, निवारका वृक्ष या पुष्प। नम्। अतिक्रान्त नृपति, शहनशाह । (स्त्री०) अति- (त्रि.) २ अत्यन्त गन्धयुक्त, निहायत खुशबूदार। राजौ, मलका मुअज्जमा। अतियव (स० पु.) एक प्रकारका यव । अतिराजकुमारी (स० स्त्री०) सबसे श्रेष्ठ राज- अतियश, अतियशस् (स० त्रि०) अत्यन्त प्रसिद्ध, कुमारी, निहायत आला शाहजादी। निहायत मशहर। अतिरात्र (सं. पु.) अतिक्रान्तो रात्रिम्। एकरात्र जाता है। शल। अत्यन्त