पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/२७४

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२६८ अतिशारिवा-अतिसान्तपन अतिशारिवा (सं० स्त्री०) अनन्ता, अनन्तमूल । अतिसंस्कृत (संत्रि.) बहुत संस्कार किया गया,. अतिशीत (सं० अव्य०) १ जाड़ेसे बाहर, जाड़े के बाद । निहायत दुरुस्त किया हुआ। (पु.) २ अधिक जाड़ा। अतिसक्ति (सं० त्रि०) बड़ा प्रेम, अजहद मुहब्बत । अतिशोलन (स० पु०) अभ्यास, महावरा, मश्क, अतिसक्तिमत् (सं० त्रि.) बहुत लगा हुआ,. किसी कामका बार-बार विचार । निहायत मुश्ताक। अतिशुक्र, अतिशुक्ल (सं. त्रि.) बहुत उज्ज्वल, अतिसय (सं० पु.) बड़ा ढेर, भारी जखोरा। निहायत सफेद। अतिसन्तप्त (सं० त्रि.) बहुत दुःखी, निहायत. अतिशूक ( स० पु०) यव, बेभरा। अफसुर्दा। अतिशूकज (सं० पु०) गोधूम, गेहूं। अतिसन्ध (सं० पु०) वचन या आदेशका अमान्य, अतिशूद्र (सं० पु.) जिस शूद्रके हाथका पानी शास्त्रको आज्ञाका उल्लङ्घन । ब्राह्मण आदि न पीयें, अन्त्यज-कोरी, चमार, धोबी, अतिसन्धान (सं० पु०) अतिक्रान्तं सन्धानम्। सन्धान- मेहतर आदि। वर्जित, वञ्चना, धोखा, फरेब, जाल । अतिशृतक्षौर (स' क्लो०) मावा, खोया। अतिसन्धित (स त्रि.) १ जिसका खूब फैसला हो. अतिशेष (सं० पु०) अति-शिष-कर्मणि घञ्, अति गया हो। २ ठगा गया। शिष्यते । स्वल्पावशिष्ट, जो बहुत थोड़ा बचा हो। अतिसन्धेय (स. त्रि०) प्रसन्न करने योग्य, फैसला अतिशोभन (सं• त्रि०) अति-शुभ-ल्युट । अत्यन्त होने काबिल। शोभायुक्त, श्रेष्ठ, निहायत खूबसूरत । अतिसन्ध्या (सं० स्त्री०) अतिशयेन सन्ध्या, प्रादि-स। अतिशोष (सं० पु०) क्षयरोग। अतिशय सन्ध्याकाल, ठीक सन्ध्याका समय । अतिथी (सं० वि०) बहुत सम्पन्न, निहायत आसूदा। अतिसमर्थ (सं० त्रि०) बहुत समर्थ, निहायत कामिल । अतिश्रेयसो (सं० स्त्री०) उत्तम स्त्रीयोंसे भी उत्तम अतिसमीप (सं० त्रि.) बहुत निकट, निहायत कल्याण करनेवाली। नजदीक। अतिश्रेष्ठ (स० वि०) सबसे बड़ा, निहायत अफज़ल । अतिसम्पर्क (सं० पु०) बड़ा सहवास । अतिश्रेष्ठत्व (सं० लो०) बड़ी बड़ाई, अज़हद अतिसर (सं• त्रि०). अति-स-अच् । खस्य गति- सबकत। मतीत्य सरति गच्छति। अतिचारी, अग्रसर, अपनी अतिख (सं० वि०) अतिक्रान्तं खानं टच । अते गुनः । चालसे बाहर चलनेवाला। पा ५४६६। कुत्तेको हरा देनेवाला ; जैसे सूअर, भेड़िया अतिसर्ग (सं० पु०) अति-सृज-घञ्। १ दान, आदि, वेगवान्, कुत्तेसे तेज, दौड़नेवाला। उत्सर्ग। (त्रि.) २ सृष्टि-अतिक्रमकारी। अतिश्वन् (सं० पु०) अतिशयितः सुन्दरः श्वा। अतिसज्जन (स'• पु० ) अति-स-ल्य ट। १ विसर्जन उत्तम कुत्ता। २ दान। ३त्याग। ४ नियोग, वध। ५ विप्रलम्भ । अतिष्कहरौ ( स. स्त्री०) लुच्ची स्त्री, आवारा औरत। ६ अतिशय दान। अतिष्ठत् (स० वि०) न टिकनेवाला, नापायदार। अतिसव (सं० त्रि०) अतिक्रान्तः सर्वान् सबसे अतिष्ठा (सं० स्त्री०) अति-स्था-क्विप, सर्बानतीत्य अतीत, सबसे आगे निकला हुआ। तिष्ठतौति। सबसे अतीत, वह स्त्री जो सबसे बढ़ी अतिसाध्वस् (सं० लौ० ) बड़ा डर, भारौ खौफ। चढ़ी हो। अतिसान्तपन (स' क्लो०) १ अतिक्रान्तः सान्तपनम् । अतिष्ठावत्, अतिष्ठावन् (सं० त्रि०) टिकाऊ, पायदार। अधिकदिनसाध्यत्वात्, अत्यादि-तत्। २ एक व्रत। 1