पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४०

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अकौलिस-अकुलन सभामें पहुंच अपनी बेचनेकी चीज़ दिखाई। इन सुझाये गये और भेजे हुए पैरिसने अकोलिसके चौजोंमें एक बर्खा और एक बाल भी थी। सभामें पैरको एडोमें वाण मारा था, इमोसे उनकी मृत्य बैठौ बालिकायें जिस ममय चौज आदि देखने में लगी थीं, उसी समय अओडोसिअल एक भयानक शब्द अकुण्ठ (सं० त्रि०) जो गुठना न हो, तेज़ । कार्य- उच्चारण किया। यह भयानक शब्द सुन बालिकायें दक्ष। प्रतिभायुक्त । प्रतिबन्धशून्य । डरसे भाग खड़ी हुई, किन्तु अकोलिस निर्भय भावसे गवऊ गमड़ जाबमनिमन। वहीं डटे रहे और दिखाये जानेवाला वह बर्बा और मति अकगार हरि भगति अरव ॥ (लग्नमी) ढाल उठा लो। इसतरह ओडोसिअसके सामने आत्म- अकुण्ठि (सं० त्रि०) चोखा, तीव्र, ग्वरा । प्रकाश करनेसे अकोलिम अनुरुद्ध हो दूसरे युनानो अकुटिल (सं० त्रि०) जो कुटिल न हो। मोधा । वीरोंके साथ युद्धयात्रा करनेपर वाध्य हुए थे। मरल । भोला । सीधा-सादा। निष्कपट । इलियदमें ऐसा लिखा है, कि ट्रय-युद्धके पहले अकुटिलता (मं० स्त्री. ) मादापन। मीधापन। वर्षों में ट्रयके पासवाले कितने ही नगरोंको अकोलिसने मिधाई। उजाड़ डाला और बार शहरोंपर अधिकार कर अकुताना (हिं० क्रि०) उकताना देखा। लिया था। दशवें वर्ष अगामेसजनके माथ झगड़ा शुरू अकुतोभय (मंत्रि०) न किम्-तमिल्-भय । नास्ति हुआ । अपोलोको कोपट्टष्टिमै सिपाहियोंमें महामारी कुतोपि भयं यस्य । मयू०तत् । निभय । जिसे किसोका फैली। अपोलोका कोप टण्डा करने के लिये अगाम- भय न हो। अकि उन देवी । मननने वन्दिनी क्राइमइसको उसके पिता, अपोलोके अकुप्य (म. ली.) न कुप्य, नञ्-तत्। स्वण । पुरोहितको सौंप दिया। किन्तु अकोलिसको अनुरक्त रुप्या न-गुप क्यप् ।। गजमयमामृपोद्यरुप्य- गुलाम ब्रोसेइसको ऊन्हें न सौंपा। इससे अकोलिस क्रुद्ध कुप्यकृष्टपच्चाव्यथाः । पा ३।१।११४। एतं मतक्यवन्ता हो अपने डेरे वापस आये और भविष्यत्में फिर युद्धपर निपात्यन्ते। गुपैरादेः कुत्वञ्च मंज्ञायाम् । सुवर्णरजत- जाना अस्वीकृत कर गाने-बजानेमें मन लगा समय भिन्न धनं कुप्यम्, गोप्यमन्यत् । ( भट्टाजिदीक्षित ) बिताने लगे। उनकी अनुपस्थितिके कारण यूनानो राजसूय-सूर्य मुषोद्य कप्य कुप्य कृष्टपच्य अव्यथ,यही सिपाहियोंकी फोज मारौ जाने लगी। यूनानियोंको सात क्यप् प्रत्ययान्त शब्द निपातनम मिद हुए ऐसी दुरवस्था देख अकालिस कुछ होशमें आये और गप धातुका गकार ककार हो गया है स्वगण अपना कवच और रथ देकर अपने बन्धु पेट्रोल्लसको और रजत भिन्न धन लेनस कुप्य होगा, नहीं तो लड़ाईपर भेजा। इसके बाद पेट्रोलसके ट्रोजन-वीर गुप्य। हेकर द्वारा मारे जानेपर अकोलिसका निरुत्साह अकुमार (सं० त्रि०) न-कुमार । न कुत्सितः अल्पो भाव पूरे तौरपर मिट गया, वह उत्तेजित हुये और मारो यस्य । जिमकी कुमारावस्था अतीत हो चुको हो। फिर नये उत्साहसे लड़ने चले। पीछे इस युद्ध में अकौ- युवा। बालिग। अकुमार अर्थात. नाबालिग नहीं। लिसने हेकरका वध कर अपने प्यार बन्धुके मारे जाने- अकुल (सं० त्रि०) न-कुलं नास्ति कुलं यम्य । नत्र - का बदला लिया था। तत् । बहुव्रो०।१ अमदंश । २ जिमका कुल न हो। हेकरको अन्त्येष्टिक्रिया वर्णनकर होमरने इलि- कुलरहित। ३ परिवारविहीन। (१०) ४ शिव । अद काव्य समाप्त किया है। अकौलिसको मृत्यु निर्गुण निलज कुव' कपाली । अकाल अगेह दिगम्बर व्याली ॥ तिनमी) इलिअदमें नहीं लिखी। दूसरी पुस्तकोंमें ऐसा तल स्त्रियां टाप-अकुलता, नोचवंशका भाव । लिखा है, कि मेमनन और अमेजनको हत्या करनेसे "कुल्लान्यनुकुलतां यान्ति ।" ( मन ३६३ । अकौलिस पेरिसके हाथ मारे गये । अपोलो हारों अकुलन (हि. पु०) अनाटन, अभाव ।