पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

, अनभोरी-अनमिलता ४.५ अनभोरी (हिं. स्त्री०) छल, कपट ; मक्र, फरेब ; अपने ही नामकी पहाड़ीके ढालू कोनेसे पांच कोस धोखा, भुलावा। दूर अलियार नदीपर बसा है। आबादी कोई छः अनभ्यनुज्ञा (सं• स्त्री) न-अभि-अनुज्ञा। आज्ञाका हज़ार होगी। यहां चावल खूब बोया जाता, किन्तु अभाव, हुक्मको नामौजूदगी, मनायो। खास फसल चनेको हो होती है। दक्षिणको ओर अनभ्यसित, अनभ्यस्त (स. त्रि०) १ अभ्यास न किया कितना हो जङ्गल खेतोंके लिये साफ़ किया गया है। हुआ, बिला-मशक, जिसको हथौटी नहीं पड़ी। कितने ही दिनसे सरकारने यहां जङ्गली महकमा २ अभ्यास न करनेवाला, जो मश्क न बढ़ाये। लकड़ी इकट्ठा करनेके लिये स्थापित किया और अनभ्यावृत्ति (स. स्त्री०) न अभ्यावृत्तिः अभ्यासः, पोल्लाचीको गाडीको सड़क भी निकाली है। प्रति अभावार्थे नञ् तत् । अभ्यासको नामौजूदगी ; हथौटी सप्ताह लकड़ीका बाजार लगता है। वार्ड और का न पड़ना। (त्रि०) नास्ति अभ्यावृत्तिः पुन कोनोरने लिखा है, कि सन् ई० के १८वें शताब्दमें रागमनं यस्य। २ पुनरागमनरहित, फिर न यह बहुत बड़ा शहर था, जिसके सब मन्दिर टीपू - लोटनेवाला। सुलतानने तोड़-फोड़ डाले। अनभ्याश, अनभ्यास ( स० त्रि०) दूरवर्ती, नज़ अनमसमुद्रम्पट-मन्द्राज प्रान्तके नेल्लूर जि.लेका एक - दौक नहीं। गांव। यहां एक निहायत पुरानी और बढ़िया मस- अनभ्यास (सं० पु.) १ अभ्यासका अभाव, मश्क जिद खड़ी और जुलाईमें नौ दिन खाजा रहमतुल्लाके का न मंजना ; हथौटौ न पड़नेको हालत। (त्रि०) नामपर उरूसका मेला लगता है। मसजिदमें नौ ३ दूरवर्ती, दूर-दराज। गांव खैरात लगे और उसके सञ्चालक पौरजादे अनभ्यासमित्य (सं० त्रि०) न अभ्यासे निकटे इत्यं गम्यम्, कहलाते हैं इण-कर्मणि क्यप्। एतिस्तु-शास्वट्टजुषः क्यप् । पा ३।१।१०६ । अनमारग (हिं. पु०) कुमार्ग, जो राह राह न निकटमें उपस्थित होनेके अयोग्य, पास जानेके हो। २ दुराचार, बुरा काम। काबिल नहीं। अनमिख, (हिं० ) अनिमिष देखो। अनभ्यासी (हिं० वि०) अभ्यासशूना, मशक से ख.ाली, अनमितम्पच (सं० त्रि.) १पहलेसे परिमाण न जिसको हथौटी न बंधी हो। बांधी गई वस्तुको सिद्ध न करता हुआ, जो अनन्त्रक सं० पु.) १ बौद्धोंके देवविशेष। (त्रि.) पहलेसे बेतौली चीज़ न पकाता हो। २ कञ्जस, २ मेघरहित, बेबादल। कृपण। अनम (सं०. पु.) १ वह व्यक्ति जो अनाको | अनमित्र (सं० त्रि.) नास्ति अमित्र शत्रुर्यस्य, प्रणाम करनेकी ज़रूरत न रखे। २ ब्राह्मण । नञ्-बहुव्री। १ शत्रु शून्य, बेदुश्मन ; जो किसीसे अनमद (हिं० वि० ) मदरहित, बेगुरूर ; जिसे वैर न रखता हो। (लो०) २ शत्र शून्यता, बेदुश्मनो। किसी बातका घमण्ड न घेरे। (पु०) ३ युधिष्ठिर। ४ नृपति विशेष, एक खास अनमन, अनमना (हिं० वि०) अन्यमनस्क, खिन्न ; राजा। यह वृष्णिके पौत्र थे। विष्णुपुराणमें इन्हें बेदिल, बेख़ाहिश ; मन को दूसरी ओर लगाये हुवा। सुमित्राका पुत्र लिखा है। भागवतके मतसे यह २ रोगी, बीमार। युधाजितेयके पुत्र रहे। अनमनापन (हिं० पु०). १ अन्यमनस्कत्व, बेदिली। अनमिल, अनमिलत (हिं० वि०) १ सम्बन्धरहित, २ रोग, बीमारी। बैरिश्ता; मेल न लगानेवाला। २ पृथक्, अलंग।' अनमलय-मन्द्राज़, प्रान्तके कोयमबातूर जि.लेका एक अनमिलता. (हिं. वि.) न मिलनेवाला, दस्त- शहर। यह पालघाटसे दक्षिण-पूर्व साढ़े ग्यारह और याब नहीं। 102