पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/४३०

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अनाप्ति-अनायत्त ४२३ 1 ५ बन्धुभिन्न, बरिश्ता। (पु.) ६ अपरिचित व्यक्ति, तकलीफ न पहुंचाता हो। (को०) २ खास्था, अजनबी। तन्दुरुस्ती। 'अनाप्ति (सं० स्त्रो०) प्राप्तिका अभाव, लाहासिली; अनामा, अनामिका (सं० स्त्री०) नास्ति अङ्गुष्ठ- किसी चीजका हाथ न आना। तर्जन्यादिवत् विशेषनाम यस्याः, मनन्तात् डाप- 'अनाप्य (सत्रि०) प्राप्तिके अयोगा, हासिल करने अनामा स्वार्थे कन्-अनामिका स्त्रीत्वात् । मध्यमा के नाकाबिल ; जो हाथ न आये। और कनिष्ठाके मध्यको अङ्गुलि। शिवने कदाचित् अनाप्लुत (स० त्रि०) स्नान न किये हुवा, बेनहाया ; इसौ अङ्गलिसे ब्रह्माका मस्तक काटा था ; इसौसे धोया न गया। अनामिका अङ्गुलि अपवित्र हो गयो। सुतरां यज्ञादि अनाप्लुताङ्ग (सं० वि०) बेधोये शरीरवाला, जिसका कार्यके समय कुशको पवित्री पहन यह अङ्गुलि शुद्ध जिस्म धुला न हो। कर ली जाती है। महेश्वरने अमरकोषको टोकामें अनाबाध (सं० त्रि०) विघ्न अथवा दुःखसे रहित, लिखा है,-"न नाम ग्रहणं योग्य यस्याः, ब्रह्मणोऽनया शिरच्छेदनात् खटका या तकलीफ न रखनेवाला। अतएवास्यां पविबी क्रियते।” इस अङ्गुलिका नाम लेना योग्य -अनाभयिन् (सं० त्रि.) आविभति, अा-भी-इनि नहीं होता। क्योंकि इससे ब्रह्माका मस्तक ततो नञ्-तत्। भय भिन्न, बेखौफ. ; जिसे किसीका काटा गया था। इसीसे इसे पवित्र कर लेना डर न हो। पड़ता है। 'अनाभू ( स० त्रि०) आभिमुख्येन भवतोति आभूः अनामिन् (वै० त्रि०) न झुकते हुवा, जो झुक न स्तोता ; नञ्-तत्। अभिमुखमें अप्राप्त, स्तोताभिन्न ; रहा हो। गाफिल, एहसानफरामोश, बेईमान । अनामिष (सं० त्रि.) १ मांसविहीन, बेगोश्त । अनाभ्युदयिक (स. त्रि.) अशुभ, नामुबारक; २ निरर्थक, बेफायदा। बुरा, खराब। अनामृण (स. त्रि.) न आमृणाति हिनस्ति, आ- 'अनाम, अनामन् देखो। मृण-क ; न तत्। हिंसक-रहित, बेदुश्मन ; जिसे (संत्रि०) १ नामविहीन, अप्रसिद्ध ; मारनेवाला कोई दुश्मन न हो। बेनाम, नामशहर। (पु.) २ मलमास, लौंदका अनामृत (सं० त्रि०) अमर, न मरनेवाला। महीना। (क्लो०) ३ अर्शरोग, बवासीरको बीमारी। अनायक (सं० त्रि.) नायक-विहीन, बेसरदार; अनामत्व (सं० लो.) नामशून्यता, अप्रसिद्धि; जिसे कोई राह दिखानेवाला न मिले। नामका न रहना, नामशहरी। अनायत (सं० वि०) १ अवरोधरहित, न रोका 'अनामन् (सं० लो०) अनं जीवनं अमयति रुजति, गया। २ साहाय्यशून्य, सहारा न पहुंचाया गया। अम-णिच्-कनिन्। १ अर्शरोग, बवासीरको बीमारी। ३ अदूर, नज.दौक। ४ प्रचलित, जारी। ५ अभिव, (त्रि०) नास्ति नाम यस्य । २ बेनाम, जिसका नाम अलग न किया गया। ६ अविस्तृत, न फैला हुवा। न हो। (पु.) ३ मलमास, लौंदका महीना । अनायतन (स.ली.) १ वह स्थान जहां वास्तविक ४ अनामिका अङ्गुलि। विश्वामको जगह या वेदी नहीं होती। (त्रि.) अनामय - (सक्लो०) अम-घञ् आमं तापं याति २ विधामस्थान या वेदी न रखता हुवा, जहां ठहरने अनेन, या-क; आमयो रोगः, अभावे नञ्-तत् । या होम करनेकी जगह न मिले। १ आरोग्य, नौरोगावस्था ; तन्दुरुस्ती, चङ्गापन । (पु०) अनायतनवत् (स० त्रि०) अन्तिम, आखिरी। २ शिव । (वि.) ३ रोगशून्य, बीमारीसे बचा । अनायत्त (स• त्रि.) न आयत्तम् । अनधीन, अवश; "अनामयत् (सं० वि०) १ दुःख न देते हुवा, जो बेकैद, बेइहतियाज ; जो किसीके वशमें न हो।

अनामक